– राकेश अचल
केन्द्रीय गृहमंत्री अमितशाह को बधाई देने का मन है। उन्होंने इंटरपोल की तर्ज पर भारत की पुलिस के लिए एक नई एजेंसी ‘भारतपोल’ बनाई है। ये वैसे एक पोर्टल है, लेकिन है तो नया ही। अमित शाह ने कहा कि ‘भारतपोल’ की संरचना से भारत की हर एजेंसी, हर राज्य की पुलिस खुद को इसकी मदद से बहुत सरलता से इंटरपोल के साथ जोड पाएगी और जांच को गति दे पाएगी।
आप जानते ही हैं कि इंटरपोल एक अंतर्राष्ट्रीय पुलिस संगठन है जो दुनियाभर में पुलिस सहयोग और अपराध नियंत्रण की सुविधा प्रदान करता है। इसका मुख्यालय लियोन, फ्रांस में है। इसके दुनियाभर में सात क्षेत्रीय ब्यूरो हैं, और सभी 194 देशों में, जो इसके सदस्य हैं, एक राष्ट्रीय केन्द्रीय ब्यूरो है, जो इसे दुनिया का सबसे बडा पुलिस संगठन बनाता है। भारत को इसकी नकल करने की जरूरत क्यों पडी ये शाह ही जानते हैं। लेकिन ये एक अच्छी पहल है। नकल ही सही लेकिन है अक्लमंदी की कोशिश। क्योंकि भारत में पुलिस के बीच राज्यों की तो छोडिये थाना स्तर पर भी सामंजस्य नहीं है। सीमा विवाद को लेकर देश में आए दिन हादसों का शिकार लोग हफ्तों तक प्रथमिकी दर्ज नहीं करा पाते। अज्ञात शव सडते रहते हैं।
वैसे आपको बता दूं कि ‘पोल’ का मतलब एक खोखला आकार होता है। जो लंबवत होता है। पोल को हिन्दी में ही नहीं बल्कि राजस्थानी में खम्भा ही कहते हैं। राजस्थान के अनेक शहरों में पोल ही पोल हैं। ढोल में भी पोल होती है। अब आप अनुमान लगा सकते हैं कि भारतपोल कैसा होगा? केन्द्रीय केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने मंगलवार 7 जनवरी 2025 को भारतपोल पोर्टल का उदघाटन किया। इस मौके पर अमित शाह ने कहा, यह हमारे देश की अंतर्राष्ट्रीय जांच को एक नए युग में ले जाने वाली शुरुआत है। ‘भारतपोल’ की संरचना से भारत की हर एजेंसी, हर राज्य की पुलिस अपने आप को इसकी मदद से बहुत सरलता से इंटरपोल के साथ जोड पाएगी और जांच को गति दे पाएगी।
सरकारी दावे के मुताबिक भारतपोल के जरिए सभी एजेंसियां एक मंच से जुड जाएंगी। इसके माध्यम से हम दुनियाभर के अपराधियों को भारत में खोजने करने की व्यवस्था भी कर सकेंगे। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जांच सरल हो जाएगी। शाह का कहना है कि कई सालों तक अपराधियों ने विदेशों में बैठ कर कानून की पहुंच से बाहर रहे। अब समय आ गया है कि उन्हें इसके अंदर लाया जाए। ड्रग ट्रैफिकिंग, स्मगलिंग, ह्यूमन ट्रैफिकिंग जैसे क्राइम पर लगाम लगाने के लिए यह काम करेगा।
भारत पोल के पांच प्रमुख मॉड्यूल होंगे, यानि कनेक्ट, नोटिस, रेफरेंस, ब्रोडकास्ट और रिसोर्सेस। इन्हीं मॉड्यूल्स के जरिए देश की सभी लॉ इंफोर्समेंट एजेंसियां एक ही साथ में एक प्लेटफार्म में आ जाएंगी। रेड कॉर्नर और अन्य अलग-अलग तरह के नोटिस जारी करने के लिए हमारी एजेंसियां अपने अनुरोधों को भारतपोल की मदद से अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों तक तेजी से पहुंचा सकेंगी और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियां भी भारत तक अपने ऐसे किसी अनुरोध को तेजी के साथ पहुंचा सकेंगी। भारतपोल 195 देशों की पुलिस से जुडकर काम कार सकेगा।
दरअसल भारतपोल उस सीबीआई का बच्चा है जो पिछले दस साल से देश के विपक्ष के खिलाफ एक औजार की तरह इस्तेमाल की जा रही है। भारत सरकार के पास पहले से अनेक पोर्टल है। हर विभाग का अपना पोर्टल है। मसलन साइवर अपराधों की रोकथाम के लिए भी एक पोर्टल है, लेकिन साइबर अपराध नहीं रुक रहे। ये पोर्टल आकर क्या जादूकर दिखाएगा, इसे बताने में सरकार अभी समर्थ नहीं है। सरकार की असमर्थता को समझा जा सकता है। सरकार को इस तरह के एक पोर्टल की जरूरत थी भी। भारतपोल पहले से काम बाढ की शिकार सीबीआई के लिए कहीं सिरदर्द तो नहीं बन जाएगा, इसकी गारंटी कोई नहीं दे रहा। केन्द्र ने सीबीआई के लिए एक और पोल खोल दी है। जैसे ढोल की पोल होती है। वैसे भी आने वाले दिनों में सरकार को नए ढोलों और नई पोलों की जरूरत है, क्योंकि सरकार को दिल्ली विधानसभा के चुनाव में उतरना है।
ढोल और पोल का पुराना रिश्ता है। सरकार कब किस पोल में घुस जाए, ये कोई नहीं जानता और कब कौन सा ढोल बजाने लगे, ये भी कहना मुश्किल है। जैसे अमित शाह आज-कल कश्मीर का नाम बदलकर कश्यप प्रांत करना चाहते हैं। वे जब इंटरपोल की तर्ज पर भारतपोल बना सकते हैं तो कश्मीर का नाम भी बदलकर कश्यप प्रांत कर सकते हैं। कौन है जो उन्हें ऐसा करने से रोक ले? मैं शाह साहब का शुरू से मुरीद हूं। उनके जैसा प्रतिभाशाली गृहमंत्री देश को पहले कभी मिला ही नहीं। कांग्रेस के 21 और भाजपा के 3 गृह मंत्रियों में से शाह सबसे काबिल गृहमंत्री हैं।
भारत के दो दर्जन से अधिक गृह मंत्रियों में से मैंने केवल पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल, सी राजगोपालाचार्य, कैलाशनाथ काटजू, जीवी पंत, लाल बहादुर शास्त्री और गुलजारी लाल नंदा को नहीं देखा, बांकी के जितने भी गृह मंत्री हुए हैं उनमें से अधिकांश से मैं मिला हूं या उनके कार्यकाल का चश्मदीद हूं। मुझे लगता है कि अमित शाह के समाने यशवंत राव चव्हाण, उमाशंकर दीक्षित, इन्दिरा गांधी, केबी रेड्डी, चरण सिंह, मोरारजी देसाई, ज्ञानी जेल सिंह, आर वेंकटरमन, पीसी सेठी, पीवी नरसिम्हाराव, शंकर राव चव्हाण, सरदार बूटा सिंह, मुफ्ती मोहम्मद सईद, चंद्रशेखर, प्रो. मुरली मनोहर जोशी, इंद्रजीत गुप्ता, लालकृष्ण आडवाणी, शिवराज पाटिल, पी. चिदांबरम, सुशिल कुमार शिंदे और राजनाथ सिंह भी कहीं नहीं ठहरते। हमें उम्मीद करना चाहिए कि भारत पोल का भविष्य उज्ज्वल हो ताकि अमित शाह गृहमंत्री के रूप में अजर-अमर हो सके।
अपने 45 साल के पत्रकारिता के जीवन में मैंने देखा है कि देश के अनेक गृह मंत्री देश की पुलिस के अंग्रेजी चरित्र को बदलने की बात करते हैं, लेकिन बदल नहीं पाते। हमारे मध्य प्रदेश के तमाम पुलिस महानिदेशक मित्र मप्र की पुलिस को ब्रिटेन की बॉबी पुलिस बनाना चाहते थे किन्तु बना नहीं पाए, क्योंकि हमें तो आततायी और भ्रष्ट पुलिस की जरूरत है न! हमें जरूरत भारत पोल से ज्यादा पुलिस में सुधर के लिए एक नए आयोग की थी, लेकिन किसी को फस्र्ट कहां जो इस विषय में सोचे।