@ राकेश अचल
भारत के पास वीटो पावर नहीं है फिर भी भारत अब पहले वाला भारत नहीं है। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत कभी भी दूसरों को अपने फैसलों पर ‘वीटो’ लगाने की अनुमति नहीं देगा और वह किसी डर की परवाह किए बिना राष्ट्रीय हित और वैश्विक भलाई के लिए जो भी सही होगा वह करेगा। एस जयशंकर ने भले ही किसी का नाम न लिया हो, लेकिन उनका इशारा सीधे तौर पर चीन की ओर था| दरअसल, यूएन में चीन भारत से जुड़े प्रस्ताव वर वीटो का इस्तेमाल कर अड़ंगा लगाता रहा है।
सबसे पहले तो ये जान लीजिए कि ये वीटो पावर है क्या बला? दरअसल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य देशों को मिला हुआ विशेषाधिकार ही ‘वीटो पॉवर’ कहलाता हैं| जिन देशों के पास यह विशेषाधिकार होता हैं वो परिषद में प्रस्तावित किसी भी प्रस्ताव को रोक सकते हैं या उसे नकार सकते हैं, भले ही उसके पक्ष में कितने भी वोट पड़े हों। किसी प्रस्ताव को पारित करने के लिए परिषद के सारे स्थाई सदस्यों का वोट और 4 अस्थाई सदस्यों का वोट मिलना जरूरी होता हैं| सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्य जिन्हें ‘वीटो पावर’ प्राप्त हैं उनमें महाबली अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ़्रांस और चीन शामिल हैं। भारत को अभी तक ये विशषाधिकार नहीं मिला है।
भारत की विदेश नीति में इस समय स्पष्टता का अभाव है। भारत कभी अमेरिका के साथ खड़ा दिखाई देता है, तो कभी रूस के साथ। भारत ने अपने पारंपरिक विरोधी चीन के साथ भी रिश्ते सुधरने के प्रयास भी किए हैं, लेकिन उसे हमेशा खतरा बना रहता है कि यदि संयुक्त राष्ट्र में भारत के खिलाफ कोई मामला गया तो चीन उस पर अपने वीटो का इस्तेमाल कर सकता है।
भारत के खिलाफ अभी हालांकि कोई प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में नहीं है, लेकिन ऐसे तमाम मामले हैं जो वहां उठाए जा सकते हैं, इसीलिए शायद विदेश मंत्री जयशंकर ने अपनी और से कहा कि “स्वतंत्रता को कभी भी तटस्थता के साथ भ्रमित नहीं किया जाना चाहिए| हम ‘संगत’ होने के किसी डर की परवाह किए बिना अपने राष्ट्रीय हित और वैश्विक भलाई के लिए जो भी सही होगा, वह करेंगे। भारत कभी भी दूसरों को अपने फैसलों पर वीटो लगाने की अनुमति नहीं दे सकता।” जयशंकर ने कहा कि भारत आज एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। एक तरफ पिछले दशक ने दिखाया है कि उसके पास क्षमताएं, आत्मविश्वास और सबसे महत्वपूर्ण बात, व्यापक मोर्चों पर विकास को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता है।
सवाल ये है कि क्या जयशंकर इतना नहीं जानते कि वीटो का इस्तेमाल किसी से पूछकर नहीं किया जाता। जिसके पास वीटो पावर है वो इसका इस्तेमाल करता ही है। 1970 से लेकर अब तक अमेरिका 82 बार वीटो पावर का इस्तेमाल कर चुका है, क्या उसने किसी से पूछकर इस विशेषाधिकार का इस्तेमाल किया? रूस ने ही भारत के पक्ष में 4 बार अपने वीटो पावर का इस्तेमाल किया। रूस ने सबसे ज्यादा 294 बार वीटो पावर का इस्तेमाल किया है। रूस के राजदूत व्यचेस्लाव मोलोतोव को तो दुनिया ‘मिस्टर वीटो’ के नाम से ही पुकारने लगी थी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद विश्व शांति के लिए प्रतिबंधों के साथ ही आवश्यक बल प्रयोग करने का अधिकार भी रखती है। रूस ने 1957, 1961, 1962 और 1971 में भारत के पक्ष में अपने वीटो का इस्तेमाल किया था|
विश्व गुरु बनने का प्रयास कर रहे भारत को अभी तक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता और वीटो पावर नहीं मिली है, जबकि भारत आबादी के लिहाज से अब दुनिया का नंबर वन देश है, लेकिन न कांग्रेस और न भाजपा की सरकारें वीटो पावर हासिल करने में कामयाब हो पाईं। भूटान और पुर्तगाल ने भारत के पक्ष में आवाज उठाई है। भारत के पड़ौसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका यहां तक की मालदीव से भारत की अनबन है| अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस पहले ही भारत का समर्थन कर चुके हैं| हालांकि चीन, भारत की स्थाई सदस्यता में सबसे बड़ी बाधा बन रहा है। जब तक चीन नहीं मानता तब तक भारत को वीटो पर नहीं मिल सकती और बिना वीटो पावर के भारत बिना सुदर्शन चक्रधारी विष्णु जैसा है। भारत 2021 में सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य बन चुका है लेकिन उसे अभी तक स्थाई सदस्य्ता नहीं दी गई है। परिषद में 9 और देश अस्थाई सदस्य हैं।
भारत ने वीटो के बारे में अचानक जो कुछ कहा है उससे ये आशंका होने लगी है कि संयुक्त राष्ट सुरक्षा परिषद में कोई न कोई प्रस्ताव भारत के खिलाफ आने वाला है, यदि ऐसा नहीं है तो विदेश मंत्री को वीटो पावर के बारे में जिक्र करने की क्या जरूरत थी? संसद में तो इस बारे में कोई जिक्र हुआ नहीं। देश के आम चुनावों में किसी दल ने भारत को वीटो दिलाने की बात अपने चुनाव घोषणा पत्र में की नहीं। फिर अचानक ये वीटो राग कहां से शुरू हो गया? लगता है कि सरकार देश के अंदरूनी मुद्दों से जनता का ध्यान बंटाने के लिए वीटो-वीटोगा उठी है। भारत को विश्वगुरु बनने की सनक छोड़कर वीटो हासिल करने कि लिए काम करना चाहिए।