प्रभारी चीफ इंजीनियर अरख के मुकद्दमे का 6 जनवरी को होगा फैसला

लोनिवि में फर्जी जाति प्रमाणपत्र से नौकरी कर रहे हैं प्रभारी चीफ इंजीनियर

ग्वालियर, 23 दिसम्बर| लोक निर्माण विभाग में ग्वालियर में पदस्थ अतिरिक्त परियोजना संचालक वीके अरख के फर्जी जाति प्रमाणपत्र को लेकर चल रहा विवाद नए साल में सुलझ सकता है। आरक्षित पदों पर नौकरी कर रहे अधिकारियों-कर्मचारियों के जाति प्रमाण पत्र की जांच करने वाली उच्च स्तरीय समिति ने 2017 में वी के अरख का मध्यप्रदेश में आरक्षित ‘आरख’ जाति का प्रमाणपत्र फर्जी घोषित कर दिया था।
तीन वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों की समीति के इस फैसले के खिलाफ अरख ने जबलपुर हाईकोर्ट से स्टे लगवा दिया था। इस स्टे को हटवाकर सामान्य वर्ग में आने वाले वीके अरख को नौकरी से बर्खास्त करने पर अडिग सरकार आठ साल से मुकद्दमा लड़ रही है। अब इसकी सुनवाई पूरी हो चुकी हो चुकी है। स्टे हटाने के लिए चल रहे मुकद्दमे में जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की अदालत नए साल की 6 जनवरी को अपना फैसला सुनाएगी।
दरअसल अरख जाति के लोग उत्तर प्रदेश के अवध के मूल है। क्षत्रिय समाज से जुड़ी यह जाति पूरी तरह सवर्ण हैं। वहीं मध्य प्रदेश में इससे मिलते-जुलते नाम की आरख जाति निवास करती है जो गोंडवाना साम्राज्य से संबंधित होने के कारण मध्यप्रदेश में आरक्षित हैं।
इसी मिलते जुलते नाम का फायदा उठाकर ग्वालियर के प्रभारी चीफ इंजीनियर वीके अरख ने आरख जाति का प्रमाण पत्र बनवा लिया था। इसके आधार पर ही उन्होंने 30 साल पहले लोक निर्माण विभाग में असिस्टेंट इंजीनियर की नौकरी हासिल की थी। इतना ही नहीं बल्कि इसी फर्ज़ी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर तीन दशक के कार्यकाल में उन्होंने एक्जीक्यूटिव इंजीनियर और सुप्रीटेंडेंट इंजीनियर के पद प्रमोशन भी ले लिया।
इसी बीच उनके फर्जी जाति प्रमाणपत्र को लेकर कई शिकायतों के बाद जांच होने पर सवर्ण हिन्दू जाति के वी के अरख पकड़े गए। लेकिन उन्होंने धन बल के चलते काफी समय तक फर्जी जाति प्रमाणपत्र के मामले में कोई कार्रवाई नहीं होने दी।
लेकिन जब यह मामला आरक्षित पदों पर नौकरी कर रहे अधिकारियों कर्मचारियों की जांच करने के लिए सरकार द्वारा गठित तीन वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों की हाई पावर कमेटी में पहुंचा तो उनकी दाल नहीं गल पाई। नतीजन कमेटी ने वी के अरख का जाति प्रमाणपत्र फर्जी घोषित कर दिया। कमेटी के इस फैसले पर सरकार द्वारा कार्रवाई कर पाने से पहले ही वी के अरख जबलपुर हाईकोर्ट चले गए और इस पर स्टे लगवाने में सफल रहे। इस स्टे को हटवाकर उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सरकार भी अदालत पहुंच गई।
करीब आठ साल में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद इस मामले में जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की अदालत ने 6 जनवरी 2025 को फैसले की तिथि तय कर दी।
कुछ दिन बाद आने वाले इस फैसले से साफ हो जाएगा कि वी के अरख ने सामान्य वर्ग का होने के बावजूद 17153 नंबर का ‘आरख’ जाति का प्रमाणपत्र फर्जी तरीके से बनवाया था।
मध्यप्रदेश में आरक्षित आरख जाति से उनका कोई लेना-देना नहीं है।
हाई पावर कमेटी के फैसले में उल्लेखित प्रमाणों के आधार पर यह माना जा सकता है कि सवर्ण जाति का होने के बावजूद फर्जीवाड़ा करके मध्यप्रदेश में आरक्षित आरख जाति का प्रमाणपत्र पर नौकरी पाने और लंबे समय से लोक निर्माण विभाग की मलाईदार कुर्सियों के जरिए बेशुमार संपत्ति जोड़ने वाले वी के अरख के दुर्दिनों की शुरुआत जल्दी होने वाली है।