गुण को प्रकट कर अवगुणों को दूर करें, वही हमारा मित्र है: शंकराचार्य जी

अमन आश्रम परा में चल रही है श्रीमद् भागवत कथा

भिण्ड, 13 अक्टूबर। अटेर रोड स्थित अमन आश्रम परा में श्रीमद् भागवत ज्ञानयज्ञ के अंतर्गत श्री काशीधर्मपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणानंद तीर्थ जी महाराज ने कहा कि गुण को प्रकट कर अवगुणों को दूर करें, वही हमारा मित्र है। भगवान का चरित्र एक रसायन है, श्रीमद् भागवत भौतिक जीवों के लिए औषधि है। गुरू तृष्णा रहित महापुरुषों ने भगवतधर्म का गान किया है। मनुष्य का संयम ही उसकी रक्षा करता है ज्ञान को जगाने के लिए गुरु के मंत्र की आवश्यकता होती है। ऐसा कौन व्यक्ति है जिसको भोजन अच्छा न लगे परंतु ज्वर से पीडि़त व्यक्ति को भोजन अच्छा नहीं लगता ऐसे ही जिसका मन विकारों से भरा है उसे ज्ञान की बातें अच्छी नहीं लगती। जो भागवत का सेवन नहीं करते वो लोग आत्मघाती होते हैं और दोष ईश्वर को लगाते है। श्रृद्धा स्त्रोता पाप-वासनाओं के प्रक्षालन के लिए है।
स्वामी जी ने कहा कि हृदय में स्थित कलि कल्मषों को दूर करने के लिए श्रीमद् भागवत श्रवण करना होगा। प्रेम की वृत्ति को जगाकर ईश्वर के साथ जोड़ो, अनुमान प्रमाण के द्वारा ईश्वर को प्राप्त नहीं किया जा सकता। मनुष्य को सत्संग का आश्रय लेना चाहिए, बुद्धि के आधार परमात्मा हैं। उस ब्रह्माण्ड का अधिष्ठान ब्रह्म है, गुरु की शरण सांसारिक जीवों के कल्याण का प्रमुख साधन है। भाव कुभाव कैसे भी हो कर भगवान की भक्ति की जाए तो उसका उद्धार हो जाता है। ईश्वर की दृष्टि में भेद नहीं है वो कैसे भी हो उसे अपना बनाने को तैयार है। भेद मनुष्य के अंदर भरा हुआ है भक्तों का धन भगवान होता है तथा शिष्यों के लिये गुरु का ज्ञान की सबसे बड़ा धन होता है।
महाराजश्री ने कहा कि संसार में कोई भी पराया नहीं है हमें सभी से प्रेम करना चाहिए, क्योंकि हमारे तुम्हारे सभी के हृदय में वही एक परमात्मा का निवास है। कार्यक्रम से पूर्व पदुकापूजन आचार्य योगेश तिवारी एवं कृष्ण कुमार दुबे ने संपन्न करवाया। जिसमे ग्रामवासियों सहित क्षेत्रांचल के भक्तजन तथा गणमान्यों ने पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।