न्यायालय ने आरोपी पर 20 हजार का अर्थदण्ड भी लगाया
रायसेन, 20 दिसम्बर। न्यायालय अनन्य विशेष न्यायाधीश (लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012) जिला रायसेन राजीव राव गौतम के न्यायालय अवयस्क बालिका के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी विजय मीणा पुत्र ओमकार सिंह मीणा उम्र 21 वर्ष निवासी कराघाटी, थाना सुल्तानपुर जिला रायसेन को धारा 450 भादंसं में पांच वर्ष के कठोर कारावास, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 3, सहपठित धारा 4(आई) में 10 वर्ष कठोर कारावास एवं अजा एवं अजजा (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की धारा 3(2)(1) में 10 वर्ष कठोर कारावास तथा कुल 20 हजार रुपए जुर्माने से दण्डित किया है। मामले में शासन की ओर से पैरवी अतिरिक्त जिला लोक अभियोजन अधिकारी रायसेन श्रीमती भारती गेडाम ने की।
अभियोजन मीडिया प्रभारी जिला रायसेन श्रीमती शारदा शाक्य के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि अभियोक्त्री ने आठ जून 2021 को अपने माता-पिता के साथ पुलिस थाना सुल्तानपुर में उपस्थित होकर इस आशय की मौखिक रिपोर्ट दर्ज कराई कि वह कक्षा 11वीं में पढती है, सात जून को रात्रि करीब 11 बजे वह एवं उसकी दादी घर पर थी, उसके माता-पिता, नानी के घर ग्राम गए थे, वह अपने कमरे में थी एवं उसकी दादी दूसरे कमरे में थी, तभी रात्रि 11 बजे विजय मीणा उसके घर के अंदर घुस आया, जब उसने विजय से कहा कि वह यहां क्यों आया, तो विजय ने उसके साथ जबरदस्ती दुष्कर्म किया, जब वह चिल्लाई तो दादी आ गई, जिसे आता देख विजय मीणा भाग गया, फिर उसने अपने माता-पिता को फोन पर सारी बात बताई और उनके घर आने के बाद रिपोर्ट कराने थाने गई। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाना सुल्तानपुर के अपराध क्र.126/21 पर विजय मीणा के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज की गई। प्रकरण की विवेचना के दौरान घटना स्थल का नक्शाा मौका बनाया गया, फरियादी के कथन लेखबद्ध किए गए, पीडिता को दस्तयाब कर दस्तयाबी पंचनामा बनाया गया, पीडिता का मेडिकल परीक्षण करवाया गया। आरोपी को गिरफ्तार कर गिरफ्तारी पत्रक बनाया गया। पीडिता एवं उसके माता-पिता के कथन लेखबद्ध किए गए, पीडिता ने अपने कथनों में आरोपी द्वारा उसके साथ गलत काम दुष्कर्म किया जाना बताया है। प्रकरण में रक्त नमूना लिया जाकर एफएसएल एवं डीएनए परीक्षण हेतु भेजा गया। संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया। न्यायालय द्वारा विचारण उपरांत मेडिकल एवं वैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर आरोपी को दोषसिद्ध किया गया।