क्राउड फंडिंग : नए जमाने में पुराना फण्डा

– राकेश अचल


‘क्राउड फंडिंग’ एक लोकप्रिय फण्डा है, इससे जनता द्वारा सीधे नगद सहायता हासिल की जाती है। ‘क्राउड फंडिंग’ सोशल मीडिया पर बहुत बाद में चलन में आया लेकिन ये फण्डा है बहुत पुराना। किसी बीमार की मदद से लेकर देश की आजादी के आंदोलन तक के लिए समझदार लोगों ने ‘क्राउड फंडिंग’ का फार्मूला अपनाया है। साल 2023 के अंत में देश की सबसे पुरानी लेकिन सबसे कमजोर पार्टी कांग्रेस ने ‘क्राउड फंडिंग’ का अभियान आरंभ किया है।
देश में अधिकांश राजनीतिक दल या तो जनता के पैसे से चलते हैं या उद्योगपतियों के पैसे से। राजनीतिक दलों को जो पैसा देता है वो ही इन दलों का नीति नियंता भी हो जाता है। इसलिए महात्मा गांधी जैसे लोगों ने जनता से पैसा लेना ज्यादा ठीक समझा। कालांतर में राजनीतिक दलों को धन संग्रह की समस्या से निबटने के लिए चुनावी बॉण्ड प्रणाली अपनाई गई। वर्ष 2017 में एक वित्त विधेयक के माध्यम से इसे वर्ष 2018 में लागू किया गय। चुनावी बॉण्ड दाता की गुमनामी बनाए रखते हुए पंजीकृत राजनीतिक दलों को दान देने के लिए व्यक्तियों और संस्थाओं हेतु एक साधन के रूप में काम करते है। चुनावी बॉण्ड केवल वे राजनीतिक दल ले सकते हैं जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के तहत पंजीकृत हैं, या जिन्होंने पिछले आम चुनाव में लोकसभा या विधानसभा के लिए डाले गए वोटों में से कम-से-कम एक फीसदी वोट हांसिल किए हों।
चुनावी बॉण्ड के जरिए राजनितिक दलों ने खूब पैसा जमा किया। कांग्रेस समेत चार अन्य क्षेत्रीय दलों ने 1245 करोड रुपए जमा भी किए, लेकिन सबसे ज्यादा पैसा सत्तारूढ भाजपा को मिला। चुनावी बॉण्ड पहली बार वर्ष 2018 में जारी हुआ और तब से लेकर अब तक 11 बार जारी किया जा चुका है, इसमें बॉण्ड खरीदकर आप किसी भी सियासी दल को पैसा दे सकते हैं। इस बॉण्ड पर कोई ब्याज नहीं मिलता। धन संग्रह की ये योजना जल्द ही अदालती फेर में पड गई। सुप्रीम कोर्ट इन दिनों मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के जरिए राजनीतिक दलों के वित्तपोषण के लिए चुनावी बॉण्ड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
इस बारे में अदालत चार याचिकाओं पर विचार करने वाली है। केन्द्र सरकार की ओर से इस पर अपना पक्ष रखा गया है। 29 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सौंपे गए एक हलफनामे में केन्द्र सरकार ने चुनावी बॉण्ड योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को संबोधित किया है। उन्होंने बताया कि अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने शीर्ष अदालत को बताया कि नागरिकों को चुनावी बॉण्ड के स्त्रोतों को जानने का सामान्य अधिकार नहीं है। एक आधिकारिक आंकडे के मुतबिक इलेक्टोरल बॉण्ड के जरिए अब तक 5851 करोड रुपए जुटाए जा चुके हैं। इस साल मई माह में 822 करोड रुपए के इलेक्टोरल बॉण्ड खरीदे गए। जनवरी से लेकर मई 2019 तक भारतीय स्टेट बैंक की विभिन्न शाखाओं के जरिए 4794 रुपए के बॉण्ड खरीदे गए। जबकि इससे पहले 2018 में एक हजार रुपए की बॉण्ड खरीदी हुई थी।
दस साल से सत्ता से दूर कांग्रेस इस समय धन की कमी से जूझ रही है। भाजपा ने चुनाव इतना मंहगा कर दिया है कि अब कांग्रेस जैसी पार्टी के लिए उसका सामना कठिन हो गया है। विपक्ष में होने की वजह से उसे चंदा भी नहीं मिल पा रहा है। कांग्रेस को चंदा देने की चाहत रखने वाले लोग ईडी और सीबीआई से डरने लगे हैं। ऐसे में साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने फण्ड जुटाने के लिए ‘क्राउड फंडिंग अभियान’ शुरू किया है। कांग्रेस ने इसे ‘डोनेट फॉर देश’ नाम दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने एक लाख 38 हजार रुपए दान कर इस अभियान की शुरुआत की। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल और कोषाध्यक्ष अजय माकन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि 18 साल से ज्यादा उम्र का कोई भी व्यक्ति 138, 1380, 13 हजार 800 या एक लाख 38 हजार रुपए का दान दे सकता है।
दरअसल कांग्रेस 138 साल की यात्रा का जश्न मना रही है, इसलिए लोगों से 138 के गुणांक में चंदा देने की अपील की गई है। कांग्रेस का ये अभियान महात्मा गांधी के ऐतिहासिक ‘तिलक स्वराज फण्ड’ से प्रेरित है, जिसे 1920-21 में शुरू किया गया था। कांग्रेस के इस अभियान को लेकर भाजपा के पेट में मरोड हो रही है। भाजपा ने इसे लेकर कांग्रेस को घेरा है। भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने आरोप लगाया कि जिन्होंने 60 साल तक देश को लूटा, वो अब उसी देश से चंदा मांग रहे हैं। कांग्रेस का ऑनलाइन क्राउड फंडिंग ‘डोनेट फॉर देश’ का मकसद एक बूथ के 10 घर तक दस्तक देने का है। राजस्थान में कांग्रेस की ओर से पिछले विधानसभा चुनाव 2018 से पहले क्राउड फंडिंग अभियान शुरू किया गया था।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी क्राउड फंडिंग अभियान में दान दिया। दान देने के बाद राहुल ने कहा कि प्रगतिशील भारत के लिए यह उनका योगदान है। इसी के साथ उन्होंने लोगों से भी अभियान का हिस्सा बनने के लिए आग्रह किया है। गांधी ने अपने दान की राशि सार्वजनिक नहीं की। क्राउड फंडिंग से कांग्रेस को फण्ड और क्राउड दोनों हासिल करना है। कांग्रेस को इस अभियान में कितनी कामयाबी मिलेगी कहा नहीं जा सकता, क्योंकि इस समय देश तो राम नाम में डूबा हुआ है। राजनीतक दलों के पास जितनी राज्य सरकारें होती हैं उसे उतना ज्यादा पैसा मिलता है। खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राज्य सरकारों को राजनीतिक दलों का एटीएम बता चुके हैं। इस समय भाजपा के पास सबसे ज्यादा और कांग्रेस के पास सबसे कम एटीएम हैं। आम आदमी पार्टी भी दो एटीएम की मालिक है। लेकिन समाजवादी पार्टी और बहुजन समा पार्टी के पास कोई एटीएम नहीं है।