पादुका दान लीला का मंचन देख दर्शक हुए मंत्रमुग्ध
भिण्ड, 26 नवम्बर। मां सरस्वती सामाजिक एवं धार्मिक कला मण्डल मेहगांव द्वारा महामण्डलेश्वर दंदरौआ सरकार की अध्यक्षता में आयोजित रामलीला में शनिवार की शाम को प्रभु श्रीराम की आरती वार्ड क्र.दो मेहगांव के पार्षद राकेश चौधरी कतरोल वाले ने की।
रामलीला मंचन में गुरू की आज्ञा शिरोधार्य कर भरत अपने पिता का विधि-विधान से अंतिम संस्कार कर अवध वासियों के साथ भ्राता राम से वन में मिलने के लिए जाते हैं, वहां निशादराज से भेंट के बाद चित्रकूट पहुंचे। भीलों द्वारा प्रभु राम को चतुरंगिणी सेना के साथ आगमन की सूचना दी जाती है। लक्ष्मण क्रोधित होते हुए प्रभु श्रीराम से कहते हैं कि राज्य के मद में चूर दोनों भाई भरत शत्रुघन अकंटक राज्य की कुमंत्रणा करके सेना के साथ आना उनका कुचक्र है। राम समझाते हैं कि भरत को कभी भी राज्य मद नहीं हो सकता। श्रीराम के समक्ष पहुंचने पर भरत चरणों में गिर पडते हैं। श्रीराम, लक्ष्मण, जानकी गुरू वशिष्ठ व तीनों माताओं का भावपूर्ण मिलन होता है। भरत की ओर से मुनि वशिष्ठ प्रस्ताव रखते हैं कि आप अयोध्या वापस लौट कर वहां की राजगद्दी को शोभायमान करें। श्रीराम पिता की आज्ञा का अनुपालन करने की भरत को सलाह देते हैं। भरत के अनेकों बार अनुनय विनय को सुनकर भी श्रीराम अयोध्या वापस लौटने की मना कर देते हैं तो भरत प्रभु से अपनी पादुका प्रदान करने की प्रार्थना करते हैं। प्रभु श्रीराम उन्हें पादुका देते हैं, जिन्हें भरत अपने मस्तक पर धारण करके अपनी सेना, मंत्री, माताओं व कुलगुरू वशिष्ठ के साथ वापस अयोध्या लौट जाते हैं । प्रभु श्रीराम अपनी वन यात्रा को आगे बढा़ते हुए मुनि अगस्त द्वारा बताए स्थान पंचवटी पर पहुंचते हैं, वहां रावण की बहिन सूर्पणखां शादी का प्रस्ताव लेकर आती है और मना करने जब क्रोधित होती है, लक्ष्मण नाक-काट देते हैं तो वह खर-दूषण और त्रिसरा के पास आती है। प्रभु खरदूषण को सेना सहित मारकर समाप्त कर देते हैं।