तेजस पर उडते मोदी जी की छवि

– राकेश अचल


राजनीति हो या समाज या जीवन का कोई और क्षेत्र, छवियों के अधीन होता है। जिसकी जैसी छवि बन जाए, उसे बदलना आसान नहीं होता। अब जैसे तुलसीदास जी को ही लीजिए। उनके मन में श्रीराम की छवि जिस तरह से विराजी थी उस तरह से कोई दूसरी छवि आजीवन नहीं बन सकी। उनके सामने कृष्ण आए तो उन्होंने हाथ जोडकर कह दिया-
‘कहा कहों छवि आजुकि भले बने हो नाथ।
तुलसी मस्तक तव नवै, धनुष-बाण लेओ हाथ’।।
भक्तों की भक्त मीरा के मन में कृष्ण की जो छवि थी सो थी। वे कहतीं थीं- बसों मेरे नैनन में नंदलाल, मोहनि मूरत, सांवरि सूरत, नैना बने रसाल। कहने का आशय ये है कि छवियां एक बार बन जाएं तो ताउम्र मिटती नहीं हैं। हमारे आज के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की छवि भी अपने आप में सबसे अलग है। वे हर छवि में फबते हैं। कोई माने या न माने, लेकिन मैं ऐसा मानता हूं कि वे ‘छविराज’ हैं। जैसे मोदी जी के मन से कांग्रेस का भूत नहीं उतरता, वैसे ही हम भक्तों के मन से मोदी की छवि नहीं मिटती। भले ही कोई उन्हें जेबकतरा कहे या पनौती। कोई फर्क नहीं पडता इस सबसे। किसी की छवि मिटाने के लिए ऐसे टोटके सदियों से चले आ रहे हैं, किन्तु किसी की छवि आज तक न बिगडी और न बनी। गांधी-नेहरू इसका सबसे बडा उदाहरण हैं।
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव प्रचार में खून-पसीना बहाने के बाद मोदी जी मन बहलाने के लिए तेजस युद्धक विमान की उडान पर चले गए। बाबर्दी गए। तेजस पर कोई खादी का कुर्ता-पायजामा पहनकर बैठे तो बिजूका सा लगेगा। मोदी जी से पहले देश के तमाम राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री युद्धक विमानों की कॉकपिट में बैठे है। सभी ने इसमें बैठकर अपने फोटो सेशन कराए हैं। कुछ ने उडान भी भरी और कुछ बिना उडन भरे ही नीचे उतर आया। हमने भी ऐसी छवियां उतरवा रखी हैं। अब मोदी जी की तेजस छवि देखकर लोगों को उदरशूल होने लगा तो कोई क्या करे? हमारे मोदी जी तो बचपन में जब चाय बेचते थे तभी से उनका सपना तेजस में बैठने का था, ये बात और है कि जब मोदी जी बच्चे थे तब तेजस नहीं था।
जैसा मैंने पहले ही निर्भीक होकर कहा है कि मोदी जी छविराज हैं। उनका मुकाबला कोई नहीं कर सकता। पेशेवर बहुरूपिये भी मात खा सकते हैं मोदी जी के सामने। वे हर भूमिका में, हर छवि में सौ फीसदी फिट बैठते हैं। वे नायक बनें, खलनायक बने, अधिनायक बनें, जांचते हैं। ईश्वर ने उन्हें ‘फोटो जनक’ सूरत दी है। जब मैं छवियों की बात करता हूं तो प्रमाण भी देता हूं। हवा-हवाई नहीं करता। मिसाल के तौर पर बहुत पीछे न जाएं तो पिछली सदी में ही देख लें। महात्मा गांधी की छवि अधनंगे फकीर की बनी तो मरते दम तक बनी रही। बल्लभभाई पटेल की छवि सरदार की बनी तो ताउम्र बनी रही, हालांकि वे सरदार नहीं असरदार थे। सुभाषचंद्र बोस की छवि ‘नेता जी’ की बनी तो कोई माई का लाल उसे मेंट नहीं सका, जबकि नेताजी हमेशा फौजी बर्दी में ही फबते थे, नेताओं की बर्दी में नहीं।
देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू की छवि ‘चाचा’ की बन गई सो बन गई। वे सबके चाचा बने रहे। उनके समकालीन नेताओं में राम मनोहर लोहिया की छवि फक्कडों की थी तो थी। इन्दिरा गांधी की छवि आयरन लेडी की बनी तो बनी। राहुल गांधी को भले ही बोफोर्स काण्ड को लेकर खूब मलिन करने का प्रयास किया गया किन्तु वे ‘मिस्टर क्लीन’ ही बने रहे। नीतीश बाबू आज तक ‘सुशासन बाबू’ बने हुए हैं। शिवराज सिंह चाचा नहीं बन पाए तो मामा बन गए और आज भी उनकी छवि मामा की है। बे मामा बनते भी हैं और मामू बनाते भी हैं। यानि छवियां तो छवियां हैं। अब मोदी जी की छवि ‘फेंकू’ की और राहुल की छवि ‘पप्पू’ की बनी तो बनी ही रही, जबकि दोनों श्रेष्ठ नेता हैं। दोनों की अपनी फैन फॉलोइंग है।
लोकतंत्र में सारा खेल छवियों का है। जिसकी जैसी छवि बन जाए या बना दी जाए उसे वैसा या तो बनना पडता है या बनी-बनाई छवि से बाहर निकलने के लिए तमाम कोशिश करना पडती है। छवियों का नाम से कोई लेना-देना नहीं है। हमारे चंबल में एक छविराम सांसद बने तो एक छविराम डाकू बने। दोनों का नाम एक जैसा था किन्तु छवियां अलग थीं। जैसे एक नरेन्द्र हमारे बेदाग प्रधानमंत्री हैं और एक नरेन्द्र हमारे दागदार कृषि मंत्री है। एक की छवि ‘न खाने दूंगा और न खाऊंगा’ की है तो एक की छवि ‘खाऊंगा और खाने भी दूंगा’ की बन गई है। एक की छवि संघ ने बनाई है और एक की छवि उनके अपने बेटों ने। कलियुग है ही छवि प्रधान युग। इसमें यदि आपकी कोई छवि नहीं है तो आप किसी काम के नहीं।
प्रधानमंत्री मोदी की तेजस विमान में कुल 45 मिनट की थी। इसे सॉर्टी कहते हैं। यानी मोदी ने हल्के लडाकू विमान तेजस में 45 मिनट तक उडान भरी और इस दौरान आसमान में उडान भरते वक्त कुछ देर के लिए सारे कंट्रोल को भी खुद ऑपरेट किया। तेजस मोदी जी के सामने लगता कहां है? मोदी जी एक दशक से भारत जैसा महान देश खुद आपरेट कर रहे हैं। उनका पूरा मंत्रिमण्डल केवल मोदी जी को देश ऑपरेट करते देखता है। मोदी जी देश-दुनिया कि कुशल ऑपरेटर हैं। मोदी ने तेजस लडाकू विमान में उडान भरने के बाद कहा कि उन्होंने सफलता पूर्वक तेजस की उडान भरी और उन्हें इसके लिए गर्व है। मोदी जी का हर काम गर्व करने लायक होता है, जो लोग मोदी जी के कामकाज पर गर्व नहीं करते वे राष्ट्र विरोधी हैं।
मोदी जी ने तेजस उडान तब भरी है जब उनकी पार्टी के पांच राज्यों से तंबू उखडने की खबरें आ रही हैं। लेकिन मुझे मोदी पर भरोसा है। वे इन पांचों राज्यों में अपनी पार्टी का तम्बू किसी भी सूरत में उखडने नहीं देंगे, भले ही उन्हें इसके लिए सूरत जाकर देश को संबोधित करना पडे। मोदी जी को केंचुआ भी ये छूट देता है कि चुनाव चाहे कहीं भी हो वे कहीं से भी अपने मतदाताओं को संबोधित कर सकते हैं। वे चाहे झारखण्ड से मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ के मतदाताओं को लुभाएं, चाहे मथुरा से राजस्थान के राजपूतों को। कोई उनसे कुछ नहीं कहेगा। कोई नोटिस जारी नहीं होगा उनके लिए। वे किसी को कुछ भी कह सकते हैं, लेकिन कोई दूसरा यदि मोदी जी को पनौती कहेगा तो नोटिस जारी किया जाएगा, हां मोदी जी किसी को भी मूर्खों का सरदार कह सकते हैं। केंचुआ के तमाम नोटिस बने ही दूसरों के लिए हैं। आखिर नोटिस भी छवियां देखकर जारी किए जाते हैं।
अब देखिये ईडी यानि परवर्तन निदेशालय ने ‘यंग इण्डिया’ की 700 करोड से ज्यादा की संपत्ति फोरन अटैच कर ली, क्योंकि इस संपत्ति के मालिक की छवि ईडी की नजर में अच्छी नहीं है। लेकिन ईडी ने दस हजार करोड के सौदे को संपादित करने की बातें करने वाले केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर के घर की ओर झांका तक नहीं, संपत्ति जब्त करना तो दूर की बात है। तोमर की छवि ईडी की नजर में एक कामयाब कृषि मंत्री की है, क्योंकि तोमार इतने उदार कृषि मंत्री निकले कि उन्होंने 700 किसानों की शहादत का सम्मान करते हुए किसानों के लिए बनाए गए तीनों कानून फोरन वापस ले लिए। एक नरेन्द्र के लिए दूसरे नरेन्द्र ने अपनी छवि दांव पर लगा दी। कांग्रेस में है कोई ऐसा जो एक-दूसरे पर इतना जान छिडकता हो!
मुमकिन है कि आपको आज का छविराज लेख रोचक न लगे किन्तु मैं कर भी क्या सकता हूं, मेरी भी तो छवि लिखते-लिखते बिगड गई है। मैंने भी कभी कोशिश नहीं की मेरी छवि कभी बदले। मैं सत्ता प्रतिष्ठान के खिलाफ आश्रम का प्रतिनिधित्व करने वाला लिख्खाड ही भला। आपको आपकी बेहतरीन तेजस छवि मुबारक हो। भगवान करे कि आप तेजस से भी तेज उड सकें।