सागर, 04 नवम्बर। तृतीय अपर-सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) जिला सागर नीलम शुक्ला की अदालत ने बालिका के व्यपहरण एवं दुष्कर्म में सहयोग करने वाले अभियुक्तगण किशन लोधी, गुलझार लोधी, मुलायम लोधी, भुरीबाई लोधी, बतीबाई लोधी एवं अनीता लोधी को दोषी करार देते हुए धारा 363, 366ए भादंवि के तहत पांच-पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं 500-500 रुपए अर्थदण्ड, धारा 344 भादंवि में दो-दो वर्ष सश्रम कारावास एवं 500-500 रुपए अर्थदण्ड, धारा 506 (भाग-2) में तीन-तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं 500-500 रुपए अर्थदण्ड, पाक्सो एक्ट की धारा 17 में 10-10 वर्ष सश्रम कारावास एवं पांच-पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(2)(व्ही-ए) में पांच-पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं 500-500 रुपए अर्थदण्ड, धारा- 3(2)(व्ही) में आजीवन सश्रम कारावास एवं पांच-पांच हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। प्रकरण में मुख्य अभियुक्त को सजा हो चुकी है। मामले की पैरवी प्रभारी उपसंचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि शिकायतकर्ता (पीडिता के पिता) ने चार फरवरी 2016 को थाना बण्डा में इस आशय की रिपोर्ट लेख कराई कि आज करीब 11.30 बजे उसकी लडकी (पीडिता) व छोटी लडकी साइकिल से पढने के लिए स्कूल गई थी, शाम करीब पांच बजे उसकी छोटी लडकी घर पहुंच गई, किन्तु पीडिता के घर नहीं पहुंचने पर छोटी लडकी से पीडिता के बारे में पूछने पर उसने बताया कि वे दोनों बहनें स्कूल में प्रार्थना करके अपनी-अपनी कक्षा में चली गई थीं, तीन बजे लंच की छुट्टी में पीडिता स्कूल में दिखी थी, पर छुट्टी होने पर नहीं दिखी, तो वह जहां साइकिल रखकर स्कूल जाती हैं, साइकिल उठाने आई तो उसे पीडिता की साइकिल वहा रखी मिली, लेकिन पीडिता साइकिल उठाने नहीं आई तो वह अकेली घर आ गई। तत्पश्चात पीडिता की तलाश रिश्तेदारों में करने पर भी उसका कोई पता नहीं चला, किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा पीडिता को बहला-फुसलाकर ले जाने की शंका व्यक्त की। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना बण्डा पुलिस ने धारा 363, 366ए, 344, 506(भाग-2) भादंसं, एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(2)(व्ही), 3(2)(व्ही-ए) तथा धारा 17 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। जहां अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) नीलम शुक्ला के न्यायालय ने आरोपीगण को दोषी करार देते हुए उपर्युक्त सजा से दण्डित किया है।