सहयोग करने वाले आरोपी को 10 वर्ष का सश्रम कारावास
सागर, 04 नवम्बर। तृतीय अपर-सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) जिला सागर नीलम शुक्ला की अदालत नेे शादी का झांसा देकर बालिका के साथ दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त शहजाद पठान को धारा 366 भादंवि के तहत पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, पॉक्सो एक्ट की धारा 6 में 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड तथा अभियुक्त ऋषि खटीक को धारा 363 व 366क भादंवि के तहत पांच-पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं एक-एक हजार रुपए अर्थदण्ड एवं पॉक्सो एक्ट की धारा 4/17 में 10 वर्ष सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड की सजा से दण्डित किया है। मामले की पैरवी प्रभारी उपसंचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि शिकायतकर्ता (पीडिता की मां) ने आठ अगस्त 2021 को पुलिस थाना केंटोन्मेंट में इस आशय की रिपोर्ट लेख कराई कि आज उसकी लडकी (पीडिता) सुबह करीब 7.30 बजे पानी भरने गई थी, जो काफी देर तक वापस नहीं आई, तब उसने नल के पास जाकर देखा कि वहां पर कुप्पा रखा है लेकिन बालिका नहीं है। आस-पास पूछने पर भी बालिका का कोई पता नहीं चला। अभियुक्त शहजाद पठान द्वारा बालिका को बहला-फुसलाकर भगाकर ले जाने की शंका व्यक्त की। 10 अगस्त 2021 को बालिका के दस्तयाब होने पर उसने अपने कथन में बताया कि आठ अगस्त को अभियुक्त शहजाद उसे शादी की कहकर अपने दोस्त अभियुक्त ऋषि खटीक के साथ मिलकर मोटर साइकिल से आगरा ले गया और जहां अभियुक्त शहजाद ने उसके साथ दुष्कर्म किया। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-केंटोन्मेंट पुलिस ने धारा 363, 366, 366क, 376(2) भादंसं तथा धारा 5/6, 4/17, 4/18 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 का अपराध आरोपीगण के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। जहां अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) नीलम शुक्ला के न्यायालय ने आरोपीगण को दोषी करार देते हुए उपर्युक्त सजा से दण्डित किया है।