– राकेश अचल
सबसे महंगा और सबसे ज्यादा सुरक्षित आई-फोन एप्पल अगर आपको आपके फोन के हैक होने की चेतावनी दे तो चौंकने की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि हैकिंग कोई नई बात नहीं है। जिस देश में असुरक्षित, भ्रमित और भयभीत सरकार होती है वहां हैकिंग एक सामान्य सा अपराध है। ये अपराध तब भी भारत में होता था जब दुनिया में आईफोन का जन्म नहीं हुआ था। उस समय लैंडलाइन वाले फोन हुआ करते थे। आज-कल भारत ऐसे ही देशों में सबसे आगे हैं जहां सरकार अपने आपको सबसे ज्यादा असुरक्षित महसूस कर रही है, इसलिए उसे अपने तमाम प्रतिद्विंदयों पर ही नहीं अपितु समाज के उन तमाम वर्गों से भी खतरा है जो सत्ता प्रतिष्ठान से सवाल कर सकते हैं, सत्ता प्रतिष्ठान को चुनौती दे सकते हैं।
संयोग कहें या देव योग कि मेरे पास आई फोन नहीं है। ‘एप्पल’ का नाम मैंने सुना है, अपने तमाम मित्रों के हाथों में ही नहीं बाबाओ, बैरागियों, जेब कतरों के हाथों में भी एप्पल का आई फोन देखा है। भारत में आज भी एप्पल का आई फोन प्रतिष्ठा का प्रतीक चिन्ह है। जिसके पास एप्पल का आई फोन है वो प्रतिष्ठित व्यक्ति होगा ही, ऐसी धारणा है। भले ही ये धारणा अब गलत भी साबित होती रहती है। आईफोन के जरिये प्रतिष्ठित होने की भारत में होड लगी हुई है। अब तो बैंकों और फाइनेंस कंपनियों ने किश्तों में ये प्रतिष्ठा खरीदने की सुविधा मुहैया करा दी है। अब प्रतिष्ठा हासिल करने के लिए आपको अपने क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ देने या करने की जरूरत नहीं है। आप केवल एक एप्पल का आईफोन खरीद लो, प्रतिष्ठा आपके घर हाथ बांधे चली आएगी।
एप्पल फोन के जरिये ये प्रतिष्ठा भारत में ही हासिल की जाती है। अमेरिका में एप्प्लीय प्रतिष्ठा मारी-मारी फिरती है, क्योंकि सडकों पर भिक्षाटन करने वाले हाथों में भी एप्पल का आईफोन होता है। सफाई कर्मी के हाथों में होता है, मजदूर के हाथों में होता है, यानि आप अमेरिका में एप्पल आई फोन के जरिये प्रतिष्ठा हासिल नहीं कर सकते। अमेरिका में प्रतिष्ठा हासिल करने के लिए आपके पास डॉलर ही डॉलर होना चाहिए। वहां बिन डॉलर सब सून है, लेकिन भारत में बिन आईफोन सब सून है।
सुनते हैं कि एप्पल वाले सबसे सुरक्षित आई फोन बनाते हैं। कहते हैं कि एप्पल आईफोन सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं करता, लेकिन 31 अक्टूबर को तडके ही एप्पल के एक सावधान करने वाले संदेश ने एप्पल धारकों के बीच हडकंप मचा दिया। सबसे ज्यादा हंगामा विपक्ष के नेताओं ने किया। उनका खुला आरोप है कि सरकार विपक्ष की जासूसी करा रही है। यानि एप्पल धारक ही देश का सबसे बडा विपक्ष हो जैसे! कांग्रेस से लेकर आम आदमी पार्टी तक ने आरोप लगाए कि सरकार उनके फोन को हैक करवा रही है और ये आरोप उस अलर्ट के आधार पर लगाया जा रहा है जो खुद एप्पल ने भेजा है।
एप्पल ने अपना काम कर दिया, सरकार अपना काम कर रही है, ऐसे में विपक्ष को भी चाहिए कि अपना काम करे। सरकार पर जासूसी का आरोप लगाने के बजाय कुछ दिनों के लिए एप्पल के आईफोन को त्याग दें, उसे आराम करने दें। कुछ दिन बिना आईफोन के भी काम चलकर देख लें। सब कुछ मुमकिन है। कोई आईफोन के बिना ही तो दिल स्पंदित नहीं होता? सांसें बिना एप्पल के आई फोन के भी आ-जा सकती हैं। और फिर सरकार आईफोन के जरिये जासूसी कौन अकेले विपक्ष की करा रही होगी, अपने पक्ष के लोगों को भी उसने बख्शा नहीं होगा, क्योंकि सरकार सबका साथ देने वाली और सबको साथ लेकर चलने वाली सरकार है।
एप्पल के अलर्ट के बाद तृमूकां सांसद महुआ मोइत्रा, आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा, शिवसेना यूबीटी की प्रियंका चतुर्वेदी, एआइएमआइएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस के दिग्गज नेता शशि थरूर तक समवेत स्वर में चिल्ला रहे हैं कि उनके फोन को हैक किया जा रहा है। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी तो जब प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आए तो बाकायदा बडे-बडे फॉन्ट में प्रिंट आउट छपवाकर आए थे, ताकि मीडिया को दिखा सकें कि एप्पल ने अपने अलर्ट में क्या भेजा है?
हमें शुक्रगुजार होना चाहिए कि एप्पल ने व्यावसायिक ईमानदारी का मुजाहिरा किया और अपने उपभोक्ताओं को अलर्ट भेज दिया। भारत में अगर कोई आईफोन बनाता तो ऐसा अलर्ट कभी नहीं भेजता। उसकी निष्ठा अपने उपभोक्ता के प्रति नहीं अपने देश की सरकार के प्रति होती। आईफोन उपभोक्तओं को भेजे अलर्ट मैसेज में कहा, एप्पल को लगता है कि आपको स्टेट-स्पॉन्सर्ड अटैकर्स की ओर से निशाना बनाया जा रहा है, जो आपकी रजिस्टर्ड एप्पल आईडी से जुडेगी, फोन को रिमोटली हैक करने की कोशिश कर रहे हैं। ये अटैकर्स आपको निशाना आपकी पहचान या आपके काम की वजह से बना रहे हैं।
मेरे पास हालांकि एप्पल का आईफोन नहीं है, किन्तु मैं एप्पल की ईमानदारी का कायल हूं, एप्पल ने कहा है कि अगर आपके फोन के साथ छेडछाड हुई है तो क्या हुआ होगा? अलर्ट में कहा गया है कि अगर आपकी डिवाइस के साथ किसी स्टेट-स्पॉन्सर्ड अटैकर्स द्वारा छेडछाड की गई है तो वो आपके संवेदनशील डाटा, बातचीत और यहां तक कि कैमरा और माइक्रोफोन तक पहुंचने में सक्षम हो सकते हैं। हालांकि ये संभव है कि ये अलार्म गलत हो, फिर भी कृपया इस चेतावनी को गंभीरता से लें।
पिछले छह महीने से आग में झुलस रहे मणिपुर को लेकर सरकार संसद के विशेष सत्र में भी मौन रही थी, किन्तु एप्पल के अलर्ट और विपक्ष के आरोपों के बाद बोलने में सरकार ने एक पल भी नहीं लगाया। यानि हमारी तत्पर सरकार ने कह दिया कि अगर परेशानी है तो नेताओं को एफआईआर करवानी चाहिए। राहुल गांधी ने कहा कि हम डरेंगे नहीं लडेंगे, मेरा फोन चाहिए तो ले लो। इस पर भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि पेगासस का आरोप लगाया था, फोन मांगा जांच के लिए तो मना कर दिया था। हम सब जानते हैं कि हमारे यहां एफआईआर करने या न करने से कुछ नहीं होता। होता वही है जो मंजूरे सत्ता होता है। इसलिए एफआईआर करने से बेहतर है कि विपक्ष और दूसरे आईफोन धारक देश के पांच राज्यों में हो रहे चुनावों पर ध्यान दें। यदि मतदाता सही निर्णय करना सीख लें तो उनके आईफोन की सुरक्षा अपने आप हो जाएगी।
मेरी अपनी धारणा है कि इस समय सरकार के पास किसी की जासूसी करने की फुर्सत होगी ही नहीं। सरकार तो अभी मनी लाउंड्रिंग करने वालों के पीछे पडी है। आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो के पीछे पडी है। महुआ के पीछे पडी है। हमास के पीछे पडी है। हमास पर राजस्थान की जमीन से हमले कर रही है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ का बस नहीं चल रहा, अन्यथा वे अपना बुलडोजर लेकर गाजा पट्टी पहुंच जाते। चारों और से घिरी सरकार को किसी की जासूसी करने की क्या पडी? सरकार बिना ये सब किए धरे भी किसी को धर सकती है। जासूसी करने से ज्यादा आसान काम धर-पकड करना है। लेकिन मणिपुर पर ये फार्मूला लागू नहीं होता। आप कल्पना कीजिए कि जो सरकार दिल्ली की खराब आवो-हवा को ठीक नहीं करा पा रही, जो सरकार प्याज के दाम कम नहीं कर पा रही वो सरकार आपकी जासूसी कैसे करा सकती है?
भारत में आईफोन धारकों की सख्या कोई छह मिलियन के आस-पास है। ये फोन 80 हजार से लेकर दो-ढाई लाख तक का आता है। हमारी राज्य सरकारें तो आज-कल अपनी लाडली बेटियों तक को सस्ते आईफोन गिफ्ट कर रही हैं। सरकारों का इरादा लाडली बेटियों की जासूसी करने का तो होगा नहीं। बहरहाल हम बेफिक्र हैं, क्योंकि हमारे पास किसी भी प्रजाति का कोई आईफोन नहीं है। जो एण्ड्रॉइड फोन है, वो भी ठुमक-ठुमक कर चलता है। उस बेचारे की उम्र भी हो चुकी है। अब सरकार इस बूढे फोन में भी घुसकर जासूसी करना चाहे तो मुझे कोई उज्र नहीं, क्योंकि सरकार आखिर है तो अपने ही मोदी जी की।