सागर, 27 अक्टूबर। तृतीय अपर सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) जिला सागर नीलम शुक्ला की अदालत ने बालिका के साथ दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त सुनील उर्फ टकला को दोषी करार देते हुए धारा 366 भादंवि के तहत पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 342 भादंवि में एक वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड, धारा 506 (भाग-2) में पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, पाक्सो एक्ट की धारा 6 में 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। मामले की पैरवी प्रभारी उपसंचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि सूचनाकर्ता (बालिका की मां) ने 24 जुलाई 2022 को थाना केंटोंमेंट में इस आशय की रिपोर्ट लेख कराई कि 23 जुलाई को शाम पांच बजे उसकी लडकी नानी के घर जाने का कहकर घर से गई थी, जो शाम 7.30 बजे तक लौटकर नहीं आई एवं नानी को फोन लगाकर बालिका के बारे में पूछने पर उन्होंने बालिका को घर न आना बताया। बालिका की तलाश सभी जगह व रिश्तेदारों में करने पर भी उसका कोई पता नहीं चला। सूचनाकर्ता ने अज्ञात व्यक्ति द्वारा बालिका को बहला फुसलाकर भगाकर ले जाने की शंका व्यक्त करने पर उक्त सूचना के आधार पर थाना केटोंमेंट में बालिका के संबंध में गुम इंसान क्र.78/2022 पंजीबद्ध की जाकर अज्ञात अभियुक्त के विरुद्ध अपराध क्र.682/2022 अंतर्गत धारा 363 भादंसं के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट लेख की जाकर प्रकरण विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान घटना स्थल का निरीक्षण कर नक्शा मौका तैयार किया गया एवं फरियादी तथा अन्य साक्षीगण के कथन लेखबद्ध किए गए। 26 जुलाई 2022 को बालिका को दस्तयाब किया जाकर उसके कथन लेख किए गए, जिसमें उसने अभियुक्त द्वारा बहला फुसलाकर ले जाकर गलत काम करना बताया। बालिका के धारा 164 दंप्रसं के कथन कराए गए, बालिका एवं अन्य साक्षीगण के कथनों के आधार पर प्रकरण में अभियुक्त सुनील उर्फ टकला के विरुद्ध प्रकरण में धारा 366ए, 376(2)(द), 342, 506 भादंसं एवं धारा 5(एल)/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 का इजाफा किया गया। बालिका एवं उसके परिजनों की सहमति प्राप्त मेडीकल परीक्षण जिला अस्पताल से कराया जाकर डॉक्टर द्वारा बालिका से प्रिजर्व सामग्री को जब्त कर जब्ती पंचनामा तैयार किया गया। अभियुक्त को गिरफ्तार किया जाकर गिरफ्तारी पंचनामा तैयार किया गया तथा उसकी सूचना उसके परिजनों को दी गई। अभियुक्त का मेडीकल परीक्षण कराया जाकर डॉक्टर द्वारा अभियुक्त से प्रिजर्व सामग्री को जब्त कर जब्ती पत्रक तैयार किया गया। संबंधित विद्यालय से दाखिल खारिज पंजी एवं बालिका की जन्मतिथि का प्रमाणीकरण प्राप्त किया गया। बालिका एवं अभियुक्त के जब्तशुदा प्रदर्शों को पुलिस अधीक्षक के ड्राफ्ट के माध्यम से डीएनए परीक्षण हेतु आरएफएसएल भोपाल भेजा गया तथा रिपोर्ट प्राप्त की गई। संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियुक्त के विरुद्ध धारा 363, 366ए, 376(2)(द), 342, 506 भादंसं एवं धारा5(एल)/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के अंतर्गत अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया गया। जहां अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) नीलम शुक्ला के न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपर्युक्त सजा से दण्डित किया है।