सागर, 27 अक्टूबर। तृतीय अपर-सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) जिला सागर नीलम शुक्ला की अदालत ने बालिका के साथ छेडखानी करने वाले अभियुक्त अमित सिंह दांगी को दोषी करार देते हुए धारा 354 भादंवि के तहत तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 354घ में एक वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड, पाक्सो एक्ट की धारा 7/8 में तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। मामले की पैरवी प्रभारी उपसंचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि सूचनाकर्ता बालिका ने 30 अप्रैल 2020 को थाना चौकी सीहोरा में एक लिखित आवेदन इस आशय का पेश किया कि उक्त दिनांक को शाम करीब पांच बजे वह अपने बगीचे में आम तोडने जा रही थी, तभी रास्ते में बगीचे के पास उसे अभियुक्त अमित ठाकुर मिला, जिसने बुरी नियत से उसका हाथ पकड लिया तथा वह उसका मोबाईल नंबर मांगने लगा, बालिका द्वारा मना करने पर अभियुक्त उसे अश्लील गालियां देकर नंबर न देने पर जान से मारने की धमकी देने लगा। अभियुक्त करीब दस दिन से उसका पीछा कर रहा था एवं परेशान कर रहा था। बदनामी के डर से उसने पहले घर पर घटना के बारे में नहीं बताया, परन्तु फिर हिम्मत करके बालिका ने अपने पिता को घटना के बारे में बताया और पिता के साथ चौकी जाकर लिखित आवेदन पेश किया। उक्त आवेदन के आधार पर चौकी सीहोरा में अभियुक्त के विरुद्ध धारा 354, 354डी, 294, 506 भादंसं एवं धारा 7/8 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट शून्य पर कायम की जाकर चौकी सीहोरा थाना राहतगढ के अंतर्गत आने से थाना राहतगढ में अभियुक्त के विरुद्ध अपराध क्र.231/2020 पर उक्त धाराओं के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट की असल कायमी की जाकर प्रकरण विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान बालिका एवं अन्य साक्षीगण के कथन लेखबद्ध किए गए। बालिका का धारा 164 दंप्रसं के तहत कथन कराया गया। घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया। बालिका से संबंधित विद्यालय की दाखिल खारिज पंजी एवं जन्म तिथि पंजी तथा बालिका की जन्मतिथि का प्रमाण पत्र प्राप्त कर प्रकरण में संलग्न किया गया। संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियुक्त के विरुद्ध धारा 354, 354डी, 294, 506 भादंसं एवं धारा 7/8 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के अंतर्गत अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया गया। जहां अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत तृतीय अपर सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) नीलम शुक्ला के न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपर्युक्त सजा से दण्डित किया है।