अलग-अलग मामलों में न्यायालय ने सुनाई सजा
सागर, 03 अक्टूबर। तृतीय अपर-सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) जिला-सागर नीलम शुक्ला की अदालत ने बालिका के साथ छेडखानी करने वाले अभियुक्त द्वारका यादव को दोषी करार देते हुए धारा 354 भादंवि के तहत तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड, पाक्सो एक्ट की धारा-7/8 में तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड, एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(1)(डब्ल्यू)(आई) व धारा 3(2)(व्ही-ए) में तीन-तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं 500-500 रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। वहीं दूसरे प्रकरण में आरोपी अभिषेक अहिरवार को धारा 354 भादंवि के तहत तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 354क भादंवि में एक वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड, पाक्सो एक्ट की धारा 7/8 में तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। दोनों मामलों में पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार प्रकरण में घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि शिकायतकर्ता (पीडिता) ने इस आशय की रिपोर्ट लेख कराई कि वह चार सितंबर 2019 की शाम करीब 6.30 बजे अपने घर से दूध लेने गई थी, जब वह दूध लेकर आ रही थी तभी रास्ते में अभियुक्त द्वारका ने बुरी नियत से उसका हाथ पकडा और गाली दे रहा था। फिर वह किसी लडके की मोटर साइकिल पर बैठकर चला गया। अभियुक्त पहले भी उसे देखकर अश्लील गाने गाता था और बुरी नियत से उसे घूरता था। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना गोपालगंज पुलिस ने धारा 354, 354क, 294 भादंसं, एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(1)(डब्ल्यू), 3(2)(व्ही-ए) तथा धारा 7/8 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया।
वहीं दूसरे प्रकरण में घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि शिकायत कर्ता (पीडिता) ने थाना राहतगढ में इस आशय की रिपोर्ट लेख कराई कि 30 जनवरी 2023 को दोपहर तीन बजे वह स्कूल से घर वापस आ रही थी तभी रास्ते में अभियुक्त अभिषेक अहिरवार मिला, जिसने बुरी नियत से उसका हाथ पकड कर साथ चलने के लिए कहने लगा, बालिका के चिल्लाने पर अभियुक्त अभिषेक उसे गालियां एवं जान से मारने की धमकी देकर भाग गया। उसने पिता के घर आने के बाद उन्हें पूरी घटना बताई। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना राहतगढ़ पुलिस ने धारा 354, 354क, 294, 506 भादंसं तथा धारा 7/8 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। दोनों ही प्रकरणों में अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) नीलम शुक्ला के न्यायालय ने दोनों आरोपी को दोषी करार देते हुए उपर्युक्त सजा से दण्डित किया है।