सज्जन शक्ति की निष्क्रियता दुर्जनों की ताकत : शिवशंकर

हिन्दवी स्वराज्य न्यास के तत्वावधान में व्याख्यान आयोजित

भिण्ड, 16 सितम्बर। हिन्दवी स्वराज्य न्यास के तत्वावधान में आयोजित व्याख्यान माला के द्वितीय दिवस विघटनकारी शक्तियां एवं सज्जन शक्ति की भूमिका विषय पर व्याख्यान हाउसिंग कॉलोनी स्थित बद्रीप्रसाद की बगिया के सभागार में संपन्न हुआ।
मुख्य वक्ता प्रांत पर्यावरण संयोजक शिवशंकर जी ने कहा कि हम सबसे प्राचीन संस्कृति हैं, अनेक संस्कृतियों ने जन्म लिया और इतिहास में नष्ट हो गईं, लेकिन विघटनकारी शक्तियां आज भी हमारी संस्कृति को नष्ट करने में लगी हैं। सिकंदर अपने गुरू अरस्तू से आशीर्वाद लेकर भारत विजय के लिए निकला तो अरस्तू ने कहा कि तू भारत का कुछ नहीं बिगाड सकता, क्योंकि मैं भारत की संस्कृति को जानता हूं और वह भारत से हार कर वापस गया। दो हजार वर्ष पूर्व ईशू के उपासक एवं 1400 वर्ष पूर्व इस्लामी संस्कृति का जन्म हुआ, जो एक हाथ में तलवार और एक हाथ में बाईबिल या कुरान लेकर सारे विश्व को ईसाई और मुसलमान बनाने के लिए निकले, जिन्हें लोग शांति दूत कहते हैं। परंतु हमारी संस्कृति में अनेक पूजा पद्धति एवं धर्म ग्रंथ होते हुए भी शांति के साथ रहते हैं, हमारे यहां लोग जंगलों में पहाडों पर, नदियों एवं वृक्षों के नीचे बैठकर शांति की तलाश करते हैं। दूसरी संस्कृतियां केवल मानव कल्याण की बात करती है, लेकिन हमारी संस्कृति विश्व कल्याण के साथ प्राणी मात्र के कल्याण की बात करती है। वे एक स्त्री मां को छोडकर सभी को भोग्य बस्तु मानते हैं और हम एक पत्नी के अतिरिक्त सभी को पूज्य मानते हैं। अत: हमारी और अन्य संस्कृतियों का मेल हो ही नहीं सकता।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में वही सब शक्तियां भारत की संस्कृति में मिल कर उसे छिन्न भिन्न करने में लगी हैं, हमें उन्हें पहचान कर समाज को सावधान करने की जरूरत है। साम्राज्यवाद एवं विस्तारवादी संस्कृतियां आज माओवाद, उग्रवाद, कम्युनिस्ट कामरेड आदि अनेक रूपों में हमारे बीच भ्रांतियां फैला रहे हैं। इसमें अनेक स्वयंभू धर्म प्रचारक भी शामिल हैं, जो हमारे धर्म के बारे में दुष्प्रचार करने में लगे हैं, किन्तु ईसाई एवं मुस्लिम धर्म के विरुद्ध एक शब्द भी बोलने की उनमें ताकत नहीं। हमें तुलसीदास, बाल्मीकि एवं रविदास आदि को समझना पडेगा, जिन्होंने समाज को एक सूत्र बांध कर रखा। आज दिल्ली में कन्हैया कुमार, तमिलनाडु में स्टालिन एवं केरल में खडगे सभी की एक भाषा है। वे सनातन संस्कृति को नष्ट करने की बात करते हैं और हमारे आस-पास के लोग ही उनका सहयोग करते हैं, हम सभी सज्जन शक्ति को इन्हें पहचान कर इनके विरोध में खडे होना पडेगा। सज्जन शक्ति की निष्क्रियता ही दुर्जनों को ताकत प्रदान करती है।

मुख्य अतिथि 1008 सतेन्द्रगिरी महाराज एवं न्यास के अध्यक्ष नवल सिंह भदौरिया भी मंचासीन रहे। अतिथि परिचय सदस्य सुभाष गुप्ता एवं आभार हर्षवर्धन जैन ने व्यक्त किया। अतिथियों का स्वागत न्यास के सचिव कैलाश नगरिया एवं सदस्य मनोज अनंत ने किया। कार्यक्रम का सफल संचालन न्यास के सदस्य मनीष ओझा ने किया। कार्यक्रम में बडी संख्या में प्रबुद्धजन, गणमान्य नागरिक एवं मातृशक्ति उपस्थित रही।