ओजोन परत के क्षरण से मनुष्य ही नहीं संपूर्ण प्रकृति का अस्तित्व खतरे में आ रहा है : प्रो. रामानंद शर्मा

अंतर्राष्ट्रीय ओजोन परत संरक्षण दिवस पर सुप्रयास भिण्ड ने आयोजित किया जागरुकता कार्यक्रम

भिण्ड, 16 सितम्बर। ओजोन लेयर को बचाने और जागरुकता फैलाने के लिए हर वर्ष 16 सितंबर को ‘वल्र्ड ओजोन डे’ मनाया जाता है। पृथ्वी की सतह से करीब 30 किमी ऊंचाई पर ओजोन लेयर की एक पतली परत पाई जाती है, इसे ही ओजोन लेयर या ओजोन परत कहते हैं। यह परत सूरज की खतरनाक अल्ट्रावायलेट किरणों को अब्जॉर्ब करके पृथ्वी और उस पर रहने वाले जीवों को बचाती हैं। यह उदगार समाजसेवी प्रो. रामानंद शर्मा ने व्यक्त किए। वे सामाजिक संस्था सुप्रयास भिण्ड द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय ओजोन परत संरक्षण दिवस के अवसर पर देशराज मेमोरियल विद्यालय में आयोजित जागरुकता कार्यक्रम में बोल रहे थे।
प्रो. शर्मा ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि ये रेडिएशन अगर धरती तक बिना किसी परत के सीधी पहुंच जाए, तो ये मनुष्य के साथ पेड-पौधों और जानवरों के लिए भी बेहद खतरनाक को सकती है।
सुप्रयास के सचिव डॉ. मनोज जैन ने कहा कि 19 दिसंबर 1964 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने ओजोन लेयर को बचाने के लिए 16 सितंबर को इंटर नेशनल ओजोन डे मनाने की घोषणा की थी। संयुक्त राष्ट्र और 45 अन्य देशों ने 16 सितंबर 1987 को ओजोन लेयर को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए थे। जिसके बाद पहली बार 16 सितंबर 1995 को ‘वल्र्ड ओजोन डे’ मनाया गया और इसके बाद से हर साल ये दिवस मनाया जाता है। सुप्रयास भी जागरुकता अभियान चला रहा है।
विद्यालय के संचालक चंद्रशेखर भदौरिया ने स्वागत भाषण में कहा कि ओजोन लेयर धरती के वायुमण्डल की एक परत है, जो सूरज से सीधी आती किरणों को रोकती है, ओजोन परत सूरज की खतरनाक अल्ट्रावायलेट किरणों को छानकर धरती पर भेजता है, ओजोन लेयर धरती और उस पर रहने वाले सभी जीवों की रक्षा हानिकारक किरणों से करती है, सूरज की हानिकारक किरणों से बहुत सी बीमारियां और परेशानियां झेलनी पड सकती है, जिसे केवल ओजोन लेयर ही रोक सकती है। यहां आपको बताते चलें कि फ्रांस के भौतिकविद फैबरी चाल्र्स और हेनरी बुसोन ने 1913 में इस परत की खोज की थी।
आभार व्यक्त करते हुए विद्यालय की प्राचार्या नीरज भदौरिया ने कहा कि ओजोन परत की स्थिति को देखते हुए हर साल ओजोन डे मनाना बेहद जरूरी है, ताकि हर किसी को ओजोन परत के बारे में जानकारी देकर जागरुकता फैलाई जा सके। हर साल ओजोन डे पर लोगों को क्लोरोफ्लोरोकार्बन, प्लास्टिक और सभी हानिकारक पदार्थों के इस्तेमाल को कम कर ज्यादा से ज्यादा पेड लगाने की सलाह दी जाती है। हम लोग घर पर एसी और फ्रिज का इस्तेमाल करते हैं और उससे जो गैस निकलती है वो ओजोन परत को नुकसान पहुंचाती है। वहीं लोगों द्वारा पेड पौधों को काटना भी ओजोन लेयर के लिए नुकसानदायक है, क्योंकि पृथ्वी पर जीवन के लिए ओजोन परत बहुत जरूरी है। ओजोन लेयर के बिगडने से जलवायु परिवर्तन को बढावा मिलता है, जलवायु परिवर्तन से धरती का तापमान लगातार बढता जा रहा है, जिससे कई तरह की बीमारियां फैल रही हैं। जिस तरह ओजोन लेयर इंसानों और धरती पर प्राणियों को घातक किरणों को बचाती है, वैसे ही इसका फायदा खेती को भी मिलता है। ओजोन लेयर न रहे तो फसलों को कई तरह के नुकसान हो सकते हैं। यहां तक कि फसलों पर रेडिएशन का खतरनाक असर देखा जा सकता है।