यदि सुख की घडी में प्रभु का नाम स्मरण करते रहे, तो जीवन में कभी दु:ख नहीं : विनय सागर

भक्ताम्बर विधान में कलश की जलधार से किया भगवान जिनेन्द्र का अभिषेक, हुई शांतिधारा

भिण्ड, 13 अगस्त। जैन धर्म में भक्ति का प्रयोजन अपने भीतर की भगवत्ता को प्रकट करने से है। अंतरंग की बुराईयों व विकारो के नष्ट होते ही अपने आप अंदर की भगवत्ता प्रकट हो जाती है। जीवन में कुछ अच्छा गुजरने की क्षमता भगवान की भाव पूर्वक भक्ति करने से ही मिलती है। विडंबना है कि लोग दुख की घडी में भगवान का नाम लेते हैं। यदि सुख की घडी में प्रभु का नाम स्मरण करते रहे, तो जीवन में कभी दुख आएगा ही नहीं। यह उदगार श्रमण मुनि विनय सागर महाराज ने संस्कारमय पावन वर्षायोग समिति एवं सहयोगी संस्था जैन मिलन परिवार के तत्वावधान में रविवार को महावीर कीर्तिस्तंभ मन्दिर में आयोजित 48 दिवसीय भक्ताम्बर महामण्डल विधान में धर्मसभा को सांबोधित करते हुए व्यक्त किए।
श्रमण मुनि विनय सागर महाराज ने कहा कि कहा कर्म काटने के लिए सबसे सीधा व सरल उपाय भगवान का नाम स्मरण ही है। तुम जप-तप, ध्यान न कर सको, तो कोई बात नहीं। भगवान के नाम, उच्चारण मात्र से भाव का उद्धार हो जाएगा। प्रभु इतने उदार हैं कि वे अपने भक्त को अपने समान बना लेते हैं। इसलिए प्रभु भक्ति को अपने जीवनचर्या का अनिवार्य अंग बना लेना चाहिए। भाव पूर्वक प्रभु का नाम लेने से पाप तो कटते ही है। साथ ही एक दिन वह स्वयं प्रभु बन जाता है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है। प्रभु भक्ति ही जीवन को संभालने का सही तरीका है। उन्होंने कहा कि अपने संस्कारों, संस्कृति को आत्मसात करें। जिसने भी गुरु माता-पिता को धोखा दिया है, उनको कष्ट सहन करना पडा है। माता-पिता, गुरु के उपकार कभी नहीं भूलना चाहिए। शिक्षा संस्कारों के साथ मिले उसे स्वीकार करना चाहिए।
प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि श्रमण मुनि विनय सागर महाराज के सानिध्य एवं विधानचार्य शशिकांत शास्त्री ग्वालियर के मार्गदर्शन में इन्द्रों ने हाथों में कलश लेकर भगवान जिनेन्द्र का जलधार व जयकारों के साथ अभिषेक किया। मुनि ने अपने मुखारबिंद मंत्रों से भगवान आदिनाथ के मस्तक पर इन्द्रा- सुनील जैन, हरेश जैन परिवार ने शांतिधारा की और दीपों से भगवान की महाआरती उतारी। मुनि को शास्त्र भेंट समाज जनों ने सामूहिक रूप से किया। आचार्य विराग सागर, विनम्र सागर के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन सुनील जैन मेडिकल, हरेश जैन, गुंजन जैन ने किया।
रोज अलग-अलग जैन परिवार चढ़ा रहे हैं महाअघ्र्य
श्रमण मुनि विनय सागर महाराज के सानिध्य में विधानचार्य शशिकांत शास्त्री ने भक्ताम्बर महामण्डल विधान में सुनील जैन मेडिकल, हरेश जैन, गुंजन जैन परिवार एवं इन्द्रा-इन्द्राणियों ने भक्ताम्बर मण्डप पर बैठकर अष्टद्रव्य से पूजा अर्चना कर भक्ति नृत्य करते हुए भगवान आदिनाथ के समक्ष मण्डप पर 48 महाअघ्र्य समर्पित किए।