सागर, 27 जुलाई। विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट) एवं तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश जिला सागर श्रीमती नीलम शुक्ला के न्यायालय ने नाबालिग के साथ छेडखानी करने वालेे आरोपीगण को दोषी करार देते हुए अभियुक्त हल्लू उर्फ दुर्जन अहिरवार को धारा 354 भादंसं के तहत तीन वर्ष सश्रम कारावास व 500 रुपए अर्थदण्ड, धारा 354-डी के तहत एक वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड, धारा 354-ए के तहत एक वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 9(जी), सहपठित धारा 10 के तहत पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड, अभियुक्त प्रकाश अहिरवार को धारा 354-डी भादंसं के तहत एक वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड, धारा 354-ए के तहत एक वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 9(जी), सहपठित धारा 10 के तहत पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए जुर्माने से दण्डित किया है। मामले की पैरवी विशेष लोक अभियोजक श्रीमती रिपा जैन ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि शिकायतकर्ता (पीडिता) ने 12 अक्टूबर 2020 को थाना केंटोन्मेंट में इस आशय की रिपोर्ट लेख कराई कि 11 अक्टूबर को करीब तीन बजे जब वह मन्दिर गई थी, तो वहां अभियुक्तगण हल्लू अहिरवार एवं प्रकाश अहिरवार मिले व उसे देखकर गंदे-गंदे इशारे करने लगे और अभियुक्त हल्लू अहिरवार बुरी नियत से उसका हाथ पकड कर साथ चलने के लिए कहने लगा, पीडिता ने इस संबंध में उसके माता-पिता से कहने पर अभियुक्त हल्लू ने बालिका को उसके माता-पिता को जान से मारने की धमकी दी, फिर बालिका ने घर आने के बाद माता-पिता को घटना के बारे में बताया। उक्त अवेदन के आधार पर अभियुक्तगण के विरुद्ध अंतर्गत धारा 354, 354(घ), 34, 506 भादंसं एवं धारा 7/8, 11/12 पॉक्सो एक्ट 2012 एवं धारा 3(1)(डब्ल्यू)ए 3(2)(व्हीए) अजा/जजा (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर प्रकरण विवेचना में लिया गया। विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया गया। जहां अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट) एवं तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश श्रीमती नीलम शुक्ला के न्यायालय ने आरोपीगण को दोषी करार देते हुए उपर्युक्त सजा से दण्डित किया है।