ट्रांसफर रूल की उड़ाई जा रहीं धज्जियां
भिण्ड, 13 मार्च। पुलिस नियमावली के तहत किसी भी थाने में कोई भी सिपाही व अधिकारी चार वर्षों से अधिक नहीं रह सकता, लेकिन जिले के कई थानों में कुछ पुलिसकर्मी लंबे समय से अंगद की तरह पैर जमाये हुए हैं, तबादले के नियम की पुलिस विभाग में धज्जियां उड़ रही हैं। पुराने कर्मचारियों के कारण स्टाफ में मतभेद की स्थित बनी रहती है, थानों में सिपाही से लेकर आरक्षक तक कई साल से जमे होने के कारण पुलिसिंग भी प्रभावित हो रही है। एक की थाना में लंबे समय तक जमे रहने से उन पर लेन-देन व पक्षपात के आरोप भी लगते रहे हैं, एक ही थाना में पदस्थ रहने से पुलिसकर्मियों को अन्य इलाकों के बदमाशों की जानकारी नहीं रहती है, उन्हें अपने जिले व बदमाशों की जानकारी रहे इसके लिए डीजीपी ने निर्देश जारी किए थे, जिसमें एक थाने में सामान्यत चार साल और अधिकतम पांच साल से पदस्थ पुलिसकर्मियों का जिले के दूसरे थानों में तबादला किया जाएगा। थाने में दोबारा पदस्थापना (वापसी) तीन साल से पहले नहीं होना चाहिए। लेकिन जिले में कुछ ऐसे पुलिसकर्मी जिनकी राजनीतिक पकड़ मजबूत होने के कारण अपने मनचाहे थाने पर सालों से जमे हुए हैं।
निरीक्षक-उपनिरीक्षक तो बदले पर कब बदले जाएंगे सालों से जमे सिपाही और आरक्षक
अभी हाल ही में पुलिस अधीक्षक शैलेन्द्र सिंह चौहान ने बड़ी संख्या में निरीक्षकों का फेरबदल किया है और जल्द ही उपनिरिक्षकों के फेरबदल होने की चर्चा भी सुनने में आ रही है। सुनने में यह भी आया है कि जल्द ही ऐसे पुलिस कर्मियों का भी फेरबदल किया जाएगा, जिन्हें एक ही थाने में पैर जमाये वर्षों हो गए। सूत्रों की मानें तो मलाईदार थानों में अंगद की तरह पैर जमाये हुए पुलिस कर्मियों के फेरबदल की सुगबुगाहट से पैर डगमगाने लगे हैं, अपने मनपसंद थाने से हटाए जाने का डर सताने लगा है। इसी डर के चलते सिफारिशों का दौर भी शुरू हो गया है। अब देखना होगा कि क्या पुलिस अधीक्षक बड़ी सर्जरी कर वर्षों से एक ही थाने पर जमे पुलिस कर्मियों का फेरबदल कर अंगद के पैर वाली प्रथा को खत्म करेंगे या पुलिसकर्मी राजनैतिक पहुंच का फायदा उठाकर अपने मनचाहे थानों पर ही विराजमान बने रहेंगे?