मोबाइल की लत से बिगड़ते बच्चे

अशोक सोनी निडर


मोबाइल के बिना कई बच्चे अपने अभिवावकों के प्रति उग्र होते जा रहे हैं। मप्र की राजधानी भोपाल में भी इस तरह के कई मामले सामने आए हैं। ऐसे ही एक मामले में सूचना पाकर सिटी चाइल्ड लाइन की टीम कोलार क्षेत्र के एक घर में पहुंची तो हैरान रह गई। घर का सारा सामान बिखरा पड़ा था, मां-बाप परेशान थे। 13 साल की बेटी ने अपने आपको कमरे में बंद कर लिया था, टीम की समझाइस के बाद किसी तरह कमरा खुला तो अस्त-व्यस्त था। बड़ी मुश्किल से बात करने की तैयार हुई बच्ची ने टीम को बताया कि रात को पापा ने मोबाइल छीन लिया था और में बिना मोबाइल के नहीं रह सकती। अगर मोबाइल न मिला तो में घर में भी नहीं रहूंगी। तीन दिन की काउंसलिंग के बाद बच्ची घर जाने को तैयार हुई।
ऐसे ही एक मामले में अश्लील फिल्म देखते हुए एक 14 वर्षीय छात्र से उसके पिता ने मोबाइल छीन कर थप्पड़ मार दी, नतीजन बच्चे ने गुस्से में आकर घर की टीवी, फ्रिज आदि सामान तोड़ दिया और घर से भाग गया। जिसे बड़ी मुश्किल से ढूंढकर घर लाया गया और मोबाइल देकर जिद पूरी करनी पड़ी। चाइल्ड लाइन में इस तरह के कई केस पहुंच रहे हैं, जिसमें बच्चे खतरनाक कदम उठा रहे हैं, जो उनके भविष्य के लिए अशुभ संकेत है। हालांकि स्कूली शिक्षा के लिए मोबाइल आवश्यक हो गया है, फिर भी अभिभावकों को चाहिए कि जहां तक संभव हो बच्चों को सादा मोबाइल देकर उनकी मानसिकता को बदलने का प्रयास करें।

लेखक- राष्ट्रीय स्वतंत्रता सेनानी परिवार संगठन उत्तर प्रदेश के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं स्वतंत्रता सेनानी/उत्तराधिकारी संगठन मप्र के प्रदेश सचिव हैं।