भिण्ड, 12 नवम्बर। महायर रेमुजा रौन क्षेत्र में हनुमान मन्दिर पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा के षष्ठम दिवस में कथा व्यास सोमेश शास्त्री (अमायन वाले) ने भगवान श्रीकृष्ण कथा सुनाते हुए बताया कि एक दिन बृंदावन में घर घर में पकवान बन रहे है तो उन्होंने मैया यशोदा से पूछा मैया आज क्या है, यशोदा मैया ने उन्हें बताया कि भगवान इन्द्र देव की कृपा हो तो अच्छी बारिश होती है, जिससे हमारे अन्न की पैदावार अच्छी होती है और हमारे पशुओं को चारा मिलता है। माता की बात सुनकर भगवान कृष्ण ने कहा कि हमें गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि हमारी गाय तो वहीं चारा चरती हैं और वहां लगे पेड़-पौधों की वजह से ही बारिश होती है।
भगवान कृष्ण की बात मानकर गोकुल वासी गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे यह सब देखकर इन्द्र देव क्रोधित हो गए और उन्होंने इसे अपना अपमान समझा और ब्रज के लोगों से बदला लेने के लिए मूसलाधार बारिश शुरू कर दी। बारिश इतनी विनाशकारी थी कि गोकुल वासी घबरा गए। तब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाया और सभी लोग इसके नीचे आकर खड़े हो गए। इन्द्र ने 7 दिनों तक लगातार बारिश की और 7 दिनों तक भगवान कृष्ण ने इस पर्वत को उठाए रखा। भगवान कृष्ण ने एक भी गोकुल वासी और जानवरों को नुकसान नहीं पहुंचने दिया, ना ही बारिश में भीगने दिया। तब भगवान इन्द्र को अहसास हुआ कि उनसे मुकाबला कोई साधारण मनुष्य तो नहीं कर सकता है। जब उन्हें यह बात पता चली कि मुकाबला करने वाले स्वयं भगवान श्री कृष्ण हैं तो उन्होंने अपनी गलती के लिए क्षमा याचना मांगी और मुरलीधर की पूजा करके उन्हें स्वयं भोग लगाया तब से ही गोवर्धन पूजा की शुरुआत हुई।







