बाद में निराश्रित भवन पहुंचे तहसीलदार को सौंपा सात सूत्रीय ज्ञापन
भिण्ड, 05 फरवरी। भिण्ड में रविवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के एमजेएस ग्राउण्ड पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान ज्ञापन सौंपे जा रहे विकलांग बल के पदाधिकारियों को पुलिस ने निराश्रित भवन भिण्ड में नजरबंद कर बिठा लिया और कार्यक्रम समाप्ति के पश्चात विकलांगों ने मुख्यमंत्री के नाम सात सूत्रीय ज्ञापन तहसीलदार भिण्ड को सौंपा।
विकलांग बल के प्रदेश सचिव सौरभ बघेल ने बताया कि रविवार को उनके एवं चंबल उपाध्यक्ष आशीन खान नेतृत्व में आधा सैकड़ा से अधिक विकलांगजन ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को विकलांगजन की समस्या निवारण हेतु सात सूत्रीय ज्ञापन देने जा रहे थे, तभी पुलिस सभी विकलांगजनों को गाड़ी में बैठा ले गई, दोनों पदाधिकारियों ने अनुरोध किया मुझे विकलांग हित में ज्ञापन देना है, लेकिन कोई बात नहीं सुनी गई। बाद में जब मुख्यमंत्री आ गए तब दोनों पदाधिकारियों को पुलिस ने निराश्रित भवन में छोड़ दिया। पुलिस अधिकारियों ने सहानुभूति दिखाई और कहा कि हम आपका ज्ञापन शासन के किसी अधिकारी को दिलवा देते हैं, बाद में प्रशासन की ओर से ज्ञापन लेने की औपचारिकता के लिए जिला प्रशासन की ओर से तहसीलदार भिण्ड को निराश्रित भवन भेजा गया। इस घटना से विकलांगजनों में आक्रोश है।
विकलांग बल के पदाधिकारियों ने ज्ञापन के माध्यम से मुख्यमंत्री को अवगत कराया है कि प्रदेश में विकलांगजनों की एक बड़ी संख्या है, यह समाज का सबसे अधिक वंचित और उपेक्षित वर्ग है। विकलांग जन की मांगे इस प्रकार हैं- मप्र में विकलांगजनों की मासिक पेंशन मात्र 600 रुपए है। इतनी कम राशि में एक विकलांग का एक माह तक पेट भरना भी असंभव है। अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति होना तो दूर की बात है। इसलिए पेंशन को तीन हजार रुपए किया जाए, ताकि विकलांग कम से कम पेट भरकर खा सकें। मप्र में प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए न्यूनतम अर्हता 50 प्रतिशत अंकों की है, इस कारण बड़ी संख्या में विकलांग असफल हो जाते हैं।,इस अर्हता को घटाकर 40 प्रतिशत अंक किया जाए, ताकि अधिक विकलांगजन नौकरियों के लिए क्वालीफाई कर सकें। सरकारी नौकरियों में विकलांगजनों के लिए छह प्रतिशत स्थान आरक्षित होते हैं, परंतु यह कोटा कभी पूरा नहीं भरा जाता। इसलिए प्रत्येक जिले में विकलांगजनों के लिए उपयुक्त पदों की पहचान करके उनको भरने के लिए विशेष नि:शक्तजन भर्ती अभियान चलाया जाए। राष्ट्रीय स्तर पर खेलने वाले विकलांग खिलाडिय़ों को सरकारी कार्यालयों में रोजगार दिया जाए। संसद, विधानसभा और जिला पंचायतों में विकलांगजनों की आवाज उठाने वाला कोई नहीं होता। इसलिए प्रत्येक चुनाव में पांच प्रतिशत स्थानों का आरक्षण विकलांगजनों के लिए किया जाए। विकलांगजनों की सबसे बड़ी समस्या शिक्षा प्राप्त करना है, सामान्य स्कूलों में उनकी पढ़ाई उचित प्रकार से नहीं हो पाती, इसलिए प्रदेश के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में विकलांगों के लिए कम से कम एक हजार सीटों वाला एक आवासीय स्कूल अवश्य खोला जाए, ताकि वे उत्तम शिक्षा प्राप्त कर सकें और देश के योग्य नागरिक बन सकें। विकलांग अधिनियम 2016 की हार्ड कॉपी और सॉफ्ट कॉपी प्रत्येक छोटे-बड़े सरकारी कार्यालय में तथा निजी कार्यालयों में भेजकर अनिवार्य रूप से प्रदर्शित की जाए, ताकि सभी लोग इस कानून में विकलांगजनों को दिए गए अधिकारों से अवगत हो सकें और उनका पालन कर सकें।
ज्ञापन देने वालों में विकलांग बल चंबल उपाध्यक्ष अशीन खान, अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी गिर्राज भदौरिया, राजवीर बघेल, गजेन्द्र कुशवाह, सचिव ब्रजेश शाक्य, गोहद नगर अध्यक्ष सुदामा कुशवाह, लहार नगर अध्यक्ष संजय कुमार, फूफ उपाध्यक्ष रामशेष बघेल, नवीन श्रीवास्तव, भानुप्रताप दौहरे, संतोष चौरसिया, नंदकिशोरी बघेल, संगठन मंत्री करन गर्ग, आरती राजावत, सिंटू यादव, कृष्णा प्रजापति, महेन्द्र, बंटी नरवरिया आदि उपस्थित रहे।