पिताजी भूख से संतान को रोने नहीं देते

भामाशाह सम्मान समारोह में अखिल भारतीय कवि सम्मेन आयोजित

भिण्ड, 23 जनवरी। वो चाहे सूक्ष्म हो, स्थूल हो, विश्वास होता है। पिता के रूप में ईश्वर हमारे पास होता है। डॉ. सुनील त्रिपाठी निराला की इन पंक्तियों ने व्यापार मण्डल भिण्ड के खचाखच भरे सभागार को श्रृद्धा और उत्साह से भर दिया। मौका था भामाशाह सम्मान समारोह के अवसर पर जीव दया एवं शाकाहार पर केन्द्रित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का। जिसका आयोजन महिन्द्रा ट्रेडर्स के मालिक महेन्द्र जैन ने अपने पिताजी नेमीचंद जैन भगवासी वाले की पुण्यस्मृति में आयोजित किया। कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि भिण्ड के विधायक संजीव सिंह कुशवाह संजू तथा विशिष्ट अतिथि विधायक प्रतिनिधि सुनील वाल्मीकि, भाजपा युवामोर्चा के जिलाध्यक्ष विक्रांत सिंह कुशवाह, एडवोकेट अटल बिहारी टांक, समाजसेवी सुनील अग्रवाल, व्यापारी संघ के अध्यक्ष ओमप्रकाश अग्रवाल बाबूजी थे।
अनेक गणमान्य लोगों की गरिमामयी उपस्थिति में फिरोजाबाद से पधारे व्यंग्यकार मंजुल मयंक के व्यंग्य देखें- हालात किस कदर बिगड़ रहे हैं। बच्चे अकेले जन्म लेने में डर रहे हैं।। पुखरायां से आए मधुर गीतकार संजीव कुलश्रेष्ठ को सुनकर श्रोताओं ने भरपूर तालियां बजाकर कवियों का उत्साहवर्धन किया- कोई उम्मीद पलती है, कोई सपना मचलता है। लड़ा हालात से जो कल, वही आगे निकलता है।। मुरैना के हास्यकवि सांड मुरैनवी का अंदाज ही अनोखा था। महेन्द्र जैन व गजलकार कृष्णा शर्मा चिराग ने कवियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित कवि लेखक डॉ. सुनील त्रिपाठी निराला तथा आभार प्रदर्शन सुरेश जैन ने किया।