मौ में भी मनी समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले की जयंती 

भिण्ड, 03 जनवरी। भारत की प्रथम महिला शिक्षिका और समाजसेविका रहीं सावित्रीबाई फुले को उनको जयंती के अवसर पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने मण्डल अध्यक्ष गोपाल सिंह कुशवाह के निवास पर आयोजित कार्यक्रम में उनके छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर याद किया। जिसमें सावित्रीबाई फुले के जीवन के बारे में वक्ताओं ने महत्वपूर्ण जानकारी भी दी
वक्ताओं ने बताया कि सावित्रीबाई फुले का जन्म तीन जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले में स्थित नायगांव नामक छोटे से गांव में हुआ था। वे भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका एवं मराठी कवियत्री थीं। उन्होंने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर स्त्री अधिकारों एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए। उन्हें आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत माना जाता है। 1852 में उन्होंने बालिकाओं के लिए एक प्रथम विद्यालय की स्थापना की और उनकी मृत्यु 10 मार्च 1897 को हुई थी, वे स्कूल जाती थीं तो विरोधी लोग उनपर पत्थर मारते थे, उन पर गंदगी फेंक देते थे। आज से 191 साल पहले बालिकाओं के लिए जब स्कूल खोलना पाप का काम माना जाता था तब ऐसा होता था, आज उन्हीं की देन हैं कि हमारे भारत वर्ष में महिलाओं और पुरुषों को समान रूप से शिक्षा देने का कार्य किया जा रहा है।
मण्डल अध्यक्ष गोपाल सिंह कुशवाह ने बताया कि सावित्रीबाई पूरे देश की महानायिका हैं। हर बिरादरी और धर्म के लिए उन्होंने काम किया। पांच सितंबर 1848 में पुणे में अपने पति के साथ मिलकर विभिन्न जातियों की नौ छात्राओं के साथ उन्होंने महिलाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की। एक वर्ष में सावित्रीबाई और महात्मा फुले पांच नए विद्यालय खोलने में सफल हुए। तत्कालीन सरकार ने इन्हें सम्मानित भी किया। एक महिला प्रिंसिपल के लिए सन 1848 में बालिका विद्यालय चलाना कितना मुश्किल रहा होगा, इसकी कल्पना शायद आज भी नहीं की जा सकती। लड़कियों की शिक्षा पर उस समय सामाजिक पाबंदी थी। सावित्रीबाई फुले उस दौर में न सिर्फ खुद पढ़ीं, बल्कि दूसरी लड़कियों के पढऩे का भी बंदोबस्त किया।
इस अवसर पर पूर्व नप अध्यक्ष मुकेश भारद्वाज, नप उपाध्यक्ष पंकज कुशवाह, सुरेश छारी, वीरेन्द्र यादव फौजी, फरेन्द्र सिंह सिकरवार, रघुवीर सिंह पवैया, सोनू खान, रामअख्त्यार सिंह गुर्जर, सतीश परिहार, रामू कुशवाह, सुल्तान सिंह मौर्य आदि उपस्थित थे।