नाबालिगा से दुष्कृत्य करने वाले आरोपी को 10 वर्ष का कारावास

दूसरे आरोपी को पांच वर्ष सश्रम कारावास

सागर, 31 दिसम्बर। तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) जिला सागर सुश्री नीलम शुक्ला की अदालत ने नाबालिग का अपहरण कर जबरन दुष्कृत्य करने वाले आरोपी छत्रपाल उर्फ सत्तू घोषी उर्फ टीआई उर्फ भानूप्रताप घोषी पुत्र रघुवीर घोषी थाना बडऱा मलहरा, जिला छतरपुर को भादंवि की धारा 376(2)(एन) के तहत 10 वर्ष का सश्रम कारावास व पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 368 में पांच वर्ष सश्रम कारावास व दो हजार रुपए अर्थदण्ड एवं बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की धारा 09 के तहत दो वर्ष सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड तथा आरोपी मिठाईलाल पुत्र बाबूलाल पटैल (कुर्मी) थाना मोती नगर को धारा 366 भादंवि के तहत पांच वर्ष सश्रम कारावास व दो हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 366ए में पांच वर्ष सश्रम कारावास व दो हजार रुपए अर्थदण्ड एवं बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की धारा-10 में दो वर्ष सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। न्यायालय ने पीडि़ता को दो लाख रुपए प्रतिकर दिलाए जाने का आदेश भी पारित किया है। मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि शिकायतकर्ता बालिका की मां ने थाना केंटोनमेंट में रिपोर्ट लेख कराई कि उसकी नाबालिग लड़की बिना बताए घर से कहीं चली गई है, आस-पास तलाश की लेकिन उसका काई पता नहीं चला, कोई अज्ञात व्यक्ति उसकी लड़की को बहला फुसलाकर भगाकर ले गया है। विवेचना के दौरान 31 अगस्त 2018 को बालिका के दस्तयाब होने पर उसने बताया कि मेरी मां का स्वास्थ्य ठीक न होने से वह तिली अस्पताल में भर्ती थी। अभियुक्त मिठाईलाल उसके घर आया और कहने लगा कि उसकी मां ने उसे बुलाया है, वह और उसके भाई-बहिन अभियुक्त मिठाईलाल के साथ अस्पताल गए, अभियुक्त मिठाईलाल ने उसके भाई बहिन को अस्पताल के सामने छोड़ दिया और जब वह भी उतरने लगी तो अभियुक्तगण मिठाईलाल, छत्रपाल एवं एक अन्य व्यक्ति ने उसक मुंह दबा लिया और उसे बड़ा मलहरा अभियुक्त छत्रपाल के घर ले गए और जहां अभियुक्त छत्रपाल ने उसके साथ मारपीट की तथा जबरदस्ती गलत काम किया। घर का ताला खुला छूट जाने से वह भागकर वापस घर आई। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना केंटोनमेंट में धारा 366क, 368, 376 भादंसं एवं धारा 3/4 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं अजा/जजा अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा 3(2)(व्हीए) का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज करते हुए विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। विचारण के दौरान अभियोजन ने साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया, अभियोजन ने अपना मामला आरोपीगण के विरुद्ध संदेह से परे प्रमाणित किया। जहां विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) सुश्री नीलम शुक्ला की अदालत ने दोषी करार देते हुए आरोपियों को उपरोक्त सजा से दण्डित किया है।