रीवा, 16 अगस्त। विशेष लोकायुक्त न्यायालय पीसी एक्ट रीवा श्री गिरीश दीक्षित ने थाना डभौरा जिला रीवा के अपराध क्र.12/15 के अभियुक्तों पर जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक मर्यादित रीवा में लगभग 16 करोड़ 14 लाख रुपए का गबन करने के मामले में धारा 420, 409, 467, 468, 471, 477, 477ए, 201, 204, 120बी, 109 भादंवि व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7(ग), 13(1)ए, 13(1)बी 13(2) व धारा 12 के तहत आरोप तय किया है।
न्यायालय ने जिन अभियुक्तों के खिलाफ आरोप तय किए हैं उनमें रामकृष्ण मिश्रा शाखा प्रबंधक शाखा डभौरा, विजय सिंह परिहार महाप्रबंधक मुख्यालय रीवा, अमरनाथ पाण्डेय अतिरिक्त महाप्रबंधक, आरके पचौरी अतिक्त महाप्रबंधक, अंजनी मिश्रा, श्रीकृष्ण मिश्रा, प्राणेश मिश्रा, बाबूलाल यादव, जय सिंह, खातेदार जिनके खातों में गबन का पैसा आया उनमें संदीप सिंह, अमित मिश्रा, राजेश सिंह, अमर सिंह, आशीष गुप्ता, बृजेश उर्मलिया, राजेश मिश्रा हैं।
अभियोजन शाखा मीडिया प्रभारी मोहम्मद अफजल खान ने जानकारी देते हुए बताया कि रामकृष्ण मिश्रा, सहकारी बैंक शाखा डभौरा में लिपिक के पद पर कार्यरत था, जिसने अमरनाथ पाण्डेय व अन्य अभियुक्तों से मिलकर पहले अपनी पदस्थापना प्रभारी शाखा प्रबंधक शाखा डभौरा के रूप में करवाई। फिर अपनी आईडी जो उसे बैंक द्वारा बैंकिंग लेन-देन के विवरण दर्ज करने हेतु बैंक की बेबसाईट तक पहुच बनाने के लिए दी गई थी, इस आईडी का दुरुपयोग करते हुए रामकृष्ण मिश्रा ने सण्ड्रीज खाता में से अलग-अलग समयों पर अपने कार्यकाल के दौरान कुल मिलाकर 16 करोड़ 14 लाख रुपए का गबन अन्य आरोपियों के साथ षडय़ंत्र कर किया गया । विजय सिंह परिहार, अमरनाथ पाण्डेय एवं आरके पचौरी का यह कर्तव्य था कि वह प्रत्येक दिन बैंक की अलग-अलग शाखाओं से प्राप्त होने वाले बैंकिंग लेन-देन की रिपोर्ट प्राप्त करते व उनका विश्लेषण करते, किंतु उक्त तीनो आरोपियों द्वारा रामकृष्ण मिश्रा से मिलकर अपने देखरेख के कर्तव्य का पालन नहीं किया गया, जिससे रामकृष्ण मिश्रा लगातार शासकीय राशि का गबन आसानी से अपने कार्यकाल के दौरान करता रहा। रामकृष्ण मिश्रा ने अपने कार्यकाल के दौरान उपर्युक्त खातेदारों के नए खाते सहकारी बैंक मे खुलवाए और खातों मे बैंक के सण्ड्रीज खाते से रुपए ट्रांसफर किए और फिर खातेदारों से मिलकर उन रुपयों को प्राप्त कर लिया। रामकृष्ण मिश्रा ने ऐसे खाते खोलने के लिए फर्जी हस्ताक्षर और फर्जी दस्तावेजों का भी उपयोग खातेदारों से मिलकर किया। खातेदारों ने बैंक से उनके खाते में आए सरकारी रुपए से एफडी करवाई और उनका बतौर सुरक्षा निधि शराब के ठेके प्राप्त करने व पेट्रोल पंप के संचालन में आबकारी विभाग जैसे विभागों मे व अन्य विभागों में किया। रामकृष्ण मिश्रा ने अपने भाई श्रीकृष्ण मिश्रा और रिश्तेदारों यथा- अंजली मिश्रा, प्राणेश मिश्रा के खातों मे करोड़ों रुपयों की राशि ट्रांसफर की गई, जिससे कई सारे प्लाट, मकान, लग्जरी गाडियां खरीदी गई।
क्या है सण्ड्रीज खाता
सहकारी बैंक की कार्यप्रणाली को सीबीएस प्रणाली के माध्यम से डिजिटल युग में प्रवेश कराया गया था। इस प्रणाली के अपनाए जाने के दौरान कागजी तरीके से पूर्व में किए जा रहे काम की एक बैलेंस शीट तैयार की गई थी, ठीक इसी समय हर खाते के अंतिम शेष को कंप्यूटर मे दर्ज कर सीबीएस सिस्टम की बैंलेंस शीट तैयार की गई थी, जिस दिन दोनो बैलेंस शीट तैयार की गई, उस दिन दोनो बैलेंस शीट की राशियों मे अंतर पाया गया था, इस अंतर की राशि का सण्ड्रीज खाता बनाकर उसमे सुरक्षित कर दिया गया। सण्ड्रीज खाता बनाते समय बैंक का आशय यह था कि भविष्य में कागजी खाते की सभी प्रविष्टियों को कंप्यूटर मे अपडेट किया जाएगा, जिससे धीरे-धीरे यह अंतर की राशि अपने वास्तविक खातेदार के पास पहुंच जाएगी। भविष्य मे सण्ड्रीज खाते की राशि को शत-प्रतिशत वास्तविक खातेदारों के खातों में पहुचाना था।
जिला अभियोजन अधिकारी सुशील कुमार शुक्ला के मार्गदर्शन मे शासन की ओर से पैरवी करते हुए विशेष लोक अभियोजक (लोकायुक्त) रीवा सचिन द्विवेदी द्वारा मामले में आरोप पर अपने तर्क प्रस्तुत किए गए प्रभावी तर्को से सहमत होते हुए विशेष न्यायाधीश लोकायुक्त, जिला-रीवा श्री गिरीश दीक्षित के न्यायालय ने आरोपीगण के विरुद्ध उपर्युक्त आरोप तय किए हैं। आरोप तय होने के बाद अब उपर्युक्त आरोपियो के विरुद्ध विचारण की कार्रवाई प्रारंभ होगी और शेष आरोपी जो अभी फरार है, उनके विरुद्ध सीआईडी द्वारा विवेचना जारी है।