नाबालिगा से दुष्कर्म करने वाले आरोपी को 20 वर्ष सश्रम कारावास

सागर, 30 नवम्बर। अपर-सत्र न्यायाधीश तहसील बंडा, जिला सागर आरपी मिश्र के न्यायालय ने नाबालिग बालिका से दुष्कर्म करने वाले आरोपी इन्द्र सेन पुत्र गुलझारी सेन उम्र करीब 26 वर्ष, थाना शाहगढ़ को दोषी करार देते हुए धारा 366 भादंसं के तहत सात वर्ष सश्रम कारावास तथा एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 376-(2)(आई) के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास तथा दो हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 376-(2)(एन) के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास तथा दो हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी ताहिर खान ने की।
मीडिया प्रभारी जिला लोक अभियोजन सागर के अनुसार घटना संक्षेप में इस प्रकार है कि फरियादिया के पिता ने 16 मार्च 2016 को रिपोर्ट लेख कराई कि 14. मार्च 2016 को सुबह आठ बजे वह अपनी पुत्री एवं उसकी बहन को घर पर छोड़कर अपनी पत्नी एवं अन्य बच्चों के साथ खेत चला गया था। शाम करीब सात बजे खेत से वापस आया तो उसकी मझली लड़की ने उसे बताया कि उसकी बहिन दोपहर 12 बजे घर से खेत में पड़े गेहू को पलटने का कहकर गई, जो घर वापस नहीं आई, तो वह अपने परिवार के लोगों के साथ उसको आस-पास एवं रिश्तेदारी में उसी दिन से तलाश किया, किंतु लड़की का कोई पता नहीं चला। फरियादिया के पिता को यह संदेह होने पर कि कोई अज्ञात व्यक्ति उसकी पुत्री का अपहरण कर ले गया है। करीब एक माह बाद अभियोक्त्री को पुलिस थाना शाहगढ़ में दस्तयाब किया, पूछताछ पर उसने बताया था कि उसे अभियुक्त इन्द्र सेन मोटर साइकिल से जबरजस्ती हाथ पकड़कर ले गया था, इन्द्र सेन ने उसे धमकी दी थी कि वह उसके मम्मी-पापा को उठवा लेगा और जान से खत्म कर देगा। इन्द्र सेन उसे मोटर साइकिल में बैठाकर जंगल में ले गया और रात नौ बजे बस में बैठाकर सागर ले गया, सागर से ट्रेन द्वारा खुरई फिर इंदौर ले गया, इंदौर में किराये का एक कमरा लेकर दो-तीन दिन तक वहां रखा और उसके साथ दुष्कर्म किया, फिर उसके बाद इन्द्र सेन उसे दिल्ली ले गया, दिल्ली में एक किराये के कमरे में उसे 15-20 दिन तक रखे रहा और उसके साथ दुष्कर्म करता रहा, एक दिन मौका मिलने पर वह दिल्ली से ट्रेन में बैठकर झांसी आ गई और झांसी से अभियोक्त्री ने अपने पिता को फोन करके टीकमगढ़ बुलाया, टीकमगढ़ से अभियोक्त्री पिता के साथ पुलिस थाना शाहगढ़ आ गई थी। उक्त रिपोर्ट के आधार पर भारतीय दण्ड संहिता 1860 की धारा- 363, 366, 376(2)(आई) तथा 376(2)(एन) एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012, की धारा 5(एल) सहपठित धारा 6 का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज करते हुए विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। जहां विचारण उपरांत अपर सत्र न्यायाधीश तहसील बण्डा, जिला सागर श्री आरपी मिश्र की न्यायालय ने दोषी करार देते हुए आरोपी को धारा 366 भादंसं के तहत सात वर्ष, धारा 376-(2)(आई) के तहत 20 वर्ष एवं धारा 376-(2)(एन) के तहत 20 वर्ष के सश्रम कारावास एवं अर्थदण्ड की सजा से दण्डित किया है।