मप्र किसान सभा ने सौंपा ज्ञापन
भिण्ड, 07 फरवरी। ओलावृष्टि से पीडि़त किसानों को अतिशीघ्र मुआवजा दिलाने के लिए किसानों की फसलों में हुए नुकसान का वास्तविक आकलन करने के लिए राजस्व एवं कृषि विभाग को मिलकर गांव-गांव जाकर विशेष शिविर लगाकर किसानों का दर्द समझना चाहिए, ताकि गांव के गरीब और छोटे किसानों को भी सहायता प्राप्त हो सके पीडि़त किसानों की सूची गांव स्तर पर चस्पा की जाए, ताकि किसान दावे आपत्ति कर सकेंं। पीडि़त किसानों को शीघ्र मुआवजा दिलाने के लिए आज मप्र किसान सभा के पांच सदस्य प्रतिनिधि मण्डल ने जिला अध्यक्ष राजीव दीक्षित के नेतृत्व में भिण्ड जिलाधीश को ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में मुख्य मांग थी के प्रशासन के नजरिया सर्वे में 122 गांव में तीन फरवरी को ओलावृष्टि हुई लेकिन नजरिया सर्वे में मात्र 13 गांव की पहिचान प्रशासन ने की है, जो गलत है, वह गांव कौन से हैं उन गांव में कितने किसान परिवारों की फसलों का नुकसान हुआ है उसकी सूची मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक की जाए। लगता है प्रशासन ने भाजपा सरकार के दबाव में जिले के मंत्री ओपीएस भदौरिया के विधानसभा क्षेत्र में प्रशासन ने सर्वे किया है। रौन, मिहोना, लहार, मौ क्षेत्र की उपेक्षा की है, जिले के मंत्री ने पीडि़त किसानों को फसल बीमा राशि दिलाने का ही वादा किया है न कि राज्य सरकार की तरफ से सहायता करने की बात, वहीं एक तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री 10 दिन के अंदर किसानों की सहायता करने की बात करते हैं, जो किसानों के साथ धोखाधड़ी है। 25 दिसंबर को भिण्ड जिले के दबोह, आलमपुर क्षेत्र में ओलावृष्टि से किसानों की फसलें बर्बाद हो गई थीं, उन्हें आज दिन तक मुआवजा नहीं मिला। चार दिन बाद भी तीन फरवरी को हुई ओलावृष्टि से कितने किसान प्रभावित हैं, यह जानकारी प्रशासन को नहीं है। किसानों की आजीविका का मुख्य साधन खेती किसानी है, ओलावृष्टि से वह फसलें बर्बाद हो गई हैं, प्रशासन एवं राज्य सरकार अति शीघ्र किसानों की मदद करने के लिए आगे आए। ज्ञापन देने वाले प्रतिनिधि मण्डल में अनिल दौनेरिया, विनोद सुमन, मुन्नालाल बाथम, शैलेन्द्र राजोरिया आदि उपस्थित रहे।