बेटियां दो कुलों की शान एवं प्रकाश देने वाली होती हैं : विराग सागर

पंचकल्यााणक प्रतिष्ठा महोत्सव में तीर्थंकर बालक की हुई बाल क्रीड़ाएं, बने युवराज मिला राजपाठ

भिण्ड, 15 जनवरी। गणाचार्य विराग सागर महाराज एवं मेडिटेशन गुरू विहसंत सागर महाराज के सानिध्य में 13 जनवरी से चल रहे श्री 1008 मज्जिनेन्द्र आदिनाथ जिनबिंब पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव एवं विश्व शांति महायज्ञ में शनिवार को सुबह तीर्थंकर बालक आदिकुमार की बाल क्रीड़ाएं दिखाई गईं तथा आदिकुमार जब युवावस्था में आए तो उन्हं युवराज पद पर आसीन कराया तथा इनका विवाह संस्कार आदि नाट्य रूपांतरण में कराए गए।
इस अवसर पर गणाचार्य विराग सागर महाराज ने कहा कि जैन दर्शन के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव के कुल 103 पुत्र पुत्रियां थीं। ऋषभदेव पुराण में उल्लेख मिलता है कि इन्होंने अपनी पुत्रियों को पढ़ाने लिखाने पर जोर दिया था, क्योंकि बेटियां दो कुलों की शान होती हैं एवं दोनों कुलों को प्रकाश प्रदान करती हैं। उन्होंने ब्राह्मी को कलम पाली के माध्यम से वर्ण विध्या एवं लिखना सिखाया था और सुन्दरी को अंक विध्या 1, 2, 3 सिखाई।

प्रतिष्ठा महोत्सव में हुई दीक्षाएं

गणाचार्य विराग सागर महाराज ससंघ मेडिटेशन गुरू विहसंत सागर महाराज के सानिध्य एवं प्रतिष्ठायचार्य सतीश शास्त्री, संदीप शास्त्री के निर्देशन में तीन दीक्षार्थियों की दीक्षाएं कीर्तिस्तंाभ परिसर में चल रहे पंच कल्योणक प्रतिष्ठा महोत्सव के अवसर पर हुई। इसमें गणाचार्य विराग सागर महाराज ने विधि विधान से सुकमाल भैया को क्षुल्लक विक्षोभ सागर महाराज, नीरू बेन को क्ष्ुाल्लिका विनिताश्री माताजी एवं इन्द्रा दीदी को विश्वनीताश्री माताजी के नाम से दीक्षा दी।
इस अवसर गणाचार्य विराग सागर महाराज ने बताया कि सुकमाल भैया उम्र 22 वर्ष मूलत: भिण्ड के निवासी होकर खरौआ जैन समाज से इनकी माता श्रीमती रानी जैन एवं पिता जितेन्द्र जैन हैं। इन्होंने 24 अक्टूबर 2018 को शिखरजी में ब्रह्मचर्य का व्रत धारण कर किया था। चार वर्ष की अनवरत तपस्या साधना के बाद आज क्षुल्लक दीक्षा दी गई है। नीरू दीदी अहमदाबाद उम्र 69 वर्ष, बीए पास, अनेक पाठशाला शिविरों में प्रशिक्षणों को कराया तथा तत्वार्थ सूत्र आदि कण्ठस्थ याद हैं। इनके पिता दूरालाल माता मंजू बेन शाह पति दिनेश शाह, इन्होंने 2007 गुजरात में ब्रह्मचर्य व्रत धारण किया था, आज से इनकी क्षुल्लिका दीक्षा में विनिताश्री माताजी के नाम से जाना जाएगा। इन्द्रा दीदी उम्र 80 वर्ष में वैराग्य की भावना बनी, जो गोलश्रृंगार समाज से हैं।

विराग विद्यापीठ संभालेंगे महाराज

गणाचार्य विराग सागर महाराज के आशीर्वाद से कीर्तिस्तंाभ जैन मन्दिर परिसर में विगत कई वर्षों से चल रही विराग विद्यापीठ जिसमें बच्चों की पढ़ाई एवं वाचनालय आदि चल रहा था। उक्त व्यवस्था के लिए गणाचार्य विराग सागर महाराज ने पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के दौरान कहा कि विराग विद्यापीठ को आगे बढ़ाने के लिए श्रमण मुनि विहसंत सागर महाराज के निर्देशन में रहेगा एवं दमोह जिले के पथरिया में 2023 में होने वाले पंच कलयाण की भी व्यवस्था विहसंत सागर महाराज रखेंगें, जिसमें लगभग 400 संतों का समागम होगा।