पलाश अस्पताल के संचालकों को 10 वर्ष एवं बच्चा खरीदने वाली महिला को तीन वर्ष का कठोर कारावास

गवाहों के पलटने के बाद भी डीएनए रिपोर्ट के आधार पर शिशुओं की खरीद फरोख्त करने वालों के विरुद्ध सत्र न्यायाधीश अशोक शर्मा ने सुनाया निर्णय
न्यायालय ने आरोपियों पर एक-एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया

ग्वालियर, 31 दिसम्बर। मुरार स्थित पलाश हॉस्पीटल के संचालक टीके गुप्ता और सह प्रवंधक अरुण भदौरिया द्वारा अस्पताल की आड़ में चलाए जा रहे नवजात शिशुओं की खरीद फरोख्त और नियम विरुद्ध बच्चा खरीदकर अपने पास रखने के गंभीर मामले में न्यायालय द्वारा निर्णय सुना दिया गया है। इस महत्वपूर्ण प्रकरण में ग्वालियर न्यायालय के सत्र न्यायाधीश अशोक शर्मा द्वारा अभियुक्तगण अरुण भदौरिया एवं तापोश गुप्ता (टीके गुप्ता) को धारा 370 भादवि में 10 वर्ष का कठोर कारावास एवं 10-10 हजार रुपए का जुर्माना तथा धारा 75, 80, 81 किशोर न्याय अधिनियम 2015 मे तीन-तीन वर्ष का सश्रम कारावास एवं धारा 81 में एक-एक लाख रुपए का जुर्माने की सजा सुनाई एवं आरोपी रौनक मखानी को धारा 80, 81 किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा का दोषी पाते हुए तीन वर्ष का सश्रम कारावास एवं एक लाख रुपए के अर्थदण्ड की सजा सुनाई है।
इस गंभीर मामले के घटनाक्रम के संबंध में शासन की पैरवी कर रहे जिला अभियोजन अधिकारी प्रवीण दीक्षित एवं सहायक जिला अभियोजन अधिकारी संतोष शर्मा ने बताया कि आज से लगभग पांच साल पहले 17 अप्रैल 2016 को पुलिस थाना मुरार को सूचना मिली थी कि मुरार के पलाश अस्पताल में दो नवजात शिशु खरीद फरोख्त के लिए अस्पताल के सह प्रबंधक अरुण भदौरिया ने रखे हुए हैं। सूचना की तस्दीक के लिए पुलिस बल जब पलाश अस्पताल पहुंचा तो वहां चिल्ड्रन वार्ड में दो नवजात शिशु जिनमें एक लड़का एवं लड़की थे, वो भर्ती मिले, लेकिन उनके साथ उनके मां-बाप नहीं थे। जब पुलिस टीम ने उन बच्चों के रिकॉर्ड के संबंध में अस्पताल प्रबंधन से जानकारी मांगी तो वो टालमटोल करने लगे और कोई रिकार्ड नहीं दे पाए, पुलिस को मामला संदिग्ध समझ आने पर अरुण भदौरिया को थाने लाया गया और उससे पूछताछ की गई। अरुण भदौरिया ने पूछताछ में सनसनीखेज खुलासा किया और बताया कि अस्पताल में भर्ती इन दो बच्चों को बेचने की तैयारी थी और इससे पहले भी लखनऊ के अनुपम कुमार चौहान को एक नवजात शिशु 45 हजार रुपए में और डबरा की रिंकी को एक नवजात शिशु 70 हजार रुपए में बेचा जा चुका है। आरोपी अरुण ने पूछताछ मे यह भी बताया कि पलाश अस्पताल मेरे और टीके गुप्ता द्वारा चलाया जाता है। उसने यह भी बताया कि बच्चों की खरीद फरोख्त के मामले मे टीके गुप्ता भी मेरे साथ शामिल रहा है और उसने एक बच्ची को अपने पास रख लिया है। अरुण ने पुलिस को यह भी बताया था कि अवैध तरीके से इन बच्चों को इसलिए बेचा जाता था ताकि बड़े होने पर इनसे घरेलू काम कराया जाए। पुलिस ने मामला गंभीर जान पडऩे पर धारा 370, 372, 373 भादंवि के तहत आरोपीगण के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर ली और पलाश अस्पताल के संचालक अरुण भदौरिया एवं टीके गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया। जांच में पुलिस को पता चला कि अनुपम कुमार चौहान लखनऊ नाम का कोई व्यक्ति नहीं मिल रहा है और रिंकी ने कोई बच्चा नहीं खरीदा, वल्कि डबरा निवासी रौनक मखानी ने पलाश हॉस्पीटल से एक बच्चा खरीदा था, तब रौनक मखानी को मामले में आरोपी बनाया गया। अदालत में जब गवाही शुरू हुई तो डीएनए के माध्यम से ये पता लगा रौनक मखानी के यहां जो बच्चा था वो पूनम बाल्मीकि का और टीके गुप्ता के यहां का बच्चा सोनम कुशवाह का था। उक्त पूनम और सोनम दोनो प्रकरण की महत्वपूर्ण साक्षी थी किन्तु दोनों मामलें में पलट गई और उन्होंने उक्त बच्चे अपने होने से इंकार कर दिया। इस मामले में मुख्य साक्षियों के पलट जाने के बाद भी अभियोजन द्वारा डीएनए रिपोर्ट एवं अन्य परिस्थितिजन्य साक्ष्य से यह साबित किया गया कि अरुण भदौरिया बच्चों की खरीद फरोख्त में शामिल था और पलाश अस्पताल का संचालक टीके गुप्ता के साथ मिलकर नवजात शिशुओं का क्रय विक्रय कर रहा था। साथ ही टीके गुप्ता और रौनक मखानी के यहां जो बच्चे मिले थे वो उनके ना होकर नियम विरुद्ध खरीद फरोख्त करते हुए अपने पास रखे गए थे। विद्वान न्यायाधीश अशोक शर्मा ने पैरवीकर्ता डीपीओ प्रवीण दीक्षित एवं एडीपीओ संतोष शर्मा एवं एडीपीओ अमोल सिंह तोमर के तर्कों से प्रभावित होकर यह पाया कि आरोपीगण द्वारा बच्चों की खरीद फरोख्त तो की ही जा रही थी साथ ही किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए बिना दत्तक प्रकिया के पालन के बच्चे भी गोद लिए गए हैं। न्यायालय ने निर्णय सुनाते हुए अभियुक्तगण अरुण भदौरिया एवं तापोश गुप्ता (टीके गुप्ता) को धारा 370 भादवि में 10 वर्ष का कठोर कारावास एवं 10-10 हजार रुपए का जुर्माना तथा धारा 75, 80, 81 किशोर न्याय अधिनियम 2015 मे तीन-तीन वर्ष का सश्रम कारावास एवं धारा 81 में एक-एक लाख रुपए का जुर्माने की सजा सुनाई एवं आरोपी रौनक मखानी को धारा 80, 81 किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा का दोषी पाते हुए तीन वर्ष का सश्रम कारावास एवं एक लाख रुपए के अर्थदण्ड की सजा सुनाई है।