ग्वालियर, 11 जुलाई। कभी खुद नौकरी तलाशने के लिए मजबूर रहे दिव्यांग युवक देवेन्द्र अब नौकरी देने वाले बन गए हैं। उन्होंने अपने जुनून और जज्बे की बदौलत गारमेंट का स्टार्टअप स्थापित कर लिया है। इस स्टार्टअप से देवेन्द्र 10 जरूरतमंद महिलाओं को रोजगार भी दे रहे हैं। स्टार्टअप खड़ा करने में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) ने उन्हें सहारा दिया है।
उपनगर ग्वालियर में किलागेट के समीप स्थित मंगलेश्वर रोड निवासी देवेन्द्र सिंह राठौर बताते हैं कि बीएससी नर्सिंग की डिग्री हासिल करने के बाद मैंने इस उम्मीद के साथ कंप्यूटर की पढ़ाई की कि इससे मुझे नौकरी मिल जाएगी। नौकरी के लिए मैंने कई कंपनियों व फर्मों के चक्कर लगाए, पर निराशा ही हाथ लगी। बताता कोई नहीं था पर मुझे आभास हो जाता था कि दिव्यांगता की वजह से कंपनियां हमें नौकरी देने में झिझक रही हैं। मैंने भी ठान लिया कि अब हम नौकरी नहीं स्वयं का उद्यम खड़ा करेंगे। मेरे पिता ने गदाईपुरा ग्वालियर स्थित औद्योगिक विकास निगम के गारमेंट पार्क में एक प्लॉट खरीद रखा था। पर इस पर उद्यम शुरू करने के लिए पैसों की कमी आड़े आ रही थी।
देवेन्द्र कहते हैं कि एक दिन टीवी पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का उदबोधन सुन रहा था। प्रधानमंत्री ने अपने उदबोधन में आह्वान करते हुए कहा कि युवा ‘प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम’ का लाभ उठाकर उद्यमी बन सकते हैं। मुझे उम्मीद की किरण नजर आई। मैंने भी पीएमईजीपी के तहत गारमेंट इकाई शुरू करने के लिए उद्योग विभाग के अधिकारियों के सहयोग से सेंट्रल बैंक की मुख्य शाखा में आवेदन कर दिया और हमारी वर्षों पुरानी उम्मीद पूरी हो गई।
दिव्यांग देवेन्द्र कहते हैं कि गारमेंट स्टार्टअप स्थापित करने के लिए गत दिसंबर माह में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत मुझे सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के माध्यम से साढ़े 37 लाख रुपए की आर्थिक सहायता मंजूर हुई, जिसमें 40 प्रतिशत अनुदान राशि शामिल थी। इस धनराशि से मैंने 10 स्टीचिंग मशीनें खरीदीं और गारमेंट पार्क में ‘ध्रुव गारमेंट’ के नाम से अपना स्टार्टअप शुरू कर दिया। हमारे स्टार्टअप में महिलाओं के लिए चैन-बटन लोअर, शर्ट व अन्य डिजाइनर कपड़े बनते हैं। स्टार्टअप में तैयार कपड़ों के लिए ऑनलाइन व ऑफलाइन बाजार भी हमें मिल गया है। स्टार्टअप के उत्पादों को बाजार मिल जाने से हम काफी उत्साहित हैं। उनका कहना है कि इस स्टार्टअप ने मुझे तो आत्मनिर्भर बनाया ही है, साथ ही 10 जरूरतमंद महिलाओं को भी रोजगार दिया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति आभार जताते हुए देवेन्द्र कहते हैं कि यदि उन्होंने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम नहीं चलाया होता तो हम आज भी नौकरी के लिये दर-दर भटक रहे होते। बीते दिनों ग्वालियर में आयोजित समरसता सम्मेलन में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया एवं विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने जब सफल स्टार्टअप खड़ा करने के लिए दिव्यांग देवेन्द्र राठौर को सम्मानित कर प्रोत्साहित किया, तब खुशी से गदगद होकर देवेन्द्र बोले कि सरकार हम जैसे जरूरतमंदों की केवल आर्थिक मदद ही नहीं करती, हमारा मान-सम्मान भी बढ़ा रही है।