गिनीज वल्र्ड रिकार्ड संगीत सम्राट तानसेन को सच्ची आदरांजलि : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

536 कला साधकों में 9 वाद्ययंत्रों का समवेत वादन कर बनाया वल्र्ड रिकार्ड

ग्वालियर के दुर्ग पर छेड़ा राग मल्हार, मियां की तोड़ी एवं दरबारी कान्हड़ा का नाद

तानसेन संगीत समारोह का 100वां उत्सव स्मरणीय बना, संगीत नगरी में स्वर सम्राट रचित रागों की गूंज

ग्वालियर, 15 दिसम्वर। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि गिनीज वल्र्ड रिकार्ड में दर्ज हुई संगीत साधकों की समवेत प्रस्तुति संगीत सम्राट तानसेन को सच्ची आदरांजलि है। यूनेस्को सिटी ऑफ म्यूजिक ग्वालियर में संगीत विरासत को सहेजने का यह अदभुत प्रयास है। मुख्यमंत्री की उपस्थिति में 536 कला साधकों में नौ वाद्ययंत्रों पर राग मल्हार, मियां की तोड़ी एवं दरबारी कान्हड़ा का समवेत वादन कर गिनीज वल्र्ड रिकार्ड बनाया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भारतीय सनातन संस्कृति में संगीत का विशेष महत्व है। महर्षि पतंजलि ने मानव शरीर में पांच प्राण-प्राण, अपान, उदान, व्यान और समान और पांच उप-प्राण-नाग, कूर्म, देवदत्त, कृकला और धनंजय बताए है। संगीत इन सभी प्राणों में चेतना का जागरण करती है। भारतीय संगीत की साधना शरीर के रोम रोम को पुलकित कर देती हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रकृति के साथ संगीत का संबंध नैसर्गिक होकर हमारी संस्कृति की पहचान है। हमारे भगवान भी किसी न किसी वाद्य यंत्र को धारण करते है। सबसे पहला वाद्ययंत्र डमरू जिसे भगवान शिव धारण करते है। उसी तरह भगवान श्रीकृष्ण के साथ बांसुरी जुड़ी है। बांसुरी को श्रीकृष्ण ने हमेशा अपने पास रखा और एक तरह से बांसुरी ही भगवान श्रीकृष्ण की पहचान बन गई। संगीत सम्राट तानसेन ने शास्त्रीय संगीत की साधना करते हुए अपने जीवन सार्थक किया। उनकी नगरी ग्वालियर में गिनीज वल्र्ड रिकार्ड के निर्माण से प्रदेश के कला साधकों का मनोबल बढ़ेगा और संगीत की परम्परा को आगे बढ़ाने की प्रेरणा भी मिलेगी।
सुरों की साधना को समर्पित 9 मिनट तक शास्त्रीय वाद्यों का वादन

सुरों की साधना को समर्पित समवेत प्रस्तुति में देश और प्रदेश के 536 कलाकारों में नौ शास्त्रीय वाद्ययंत्रों का वादन एक साथ किया। इसमें, 347 पुरुष एवं 189 महिला कलाकार सम्मिलित थीं। समवेत प्रस्तुति के माध्यम से स्वर सम्राट तानसेन को स्वरांजली अर्पित की गई। यह प्रस्तुति तानसेन रचित तीन राग जिनमें मल्हार, मियां की तोड़ी एवं दरबारी कान्हड़ा में निबद्ध थी। इस प्रस्तुति का संयोजन सुप्रसिद्ध बांसुरी वादक पं. रोनू मजूमदार ने किया। समवेत प्रस्तुति में वाद्ययंत्रों के साथ ही गायन भी शामिल था। निरंतर नौ मिनट तक वाद्यों का वादन करने पर गिनीज वल्र्ड रिकार्ड रचा गया।
इस अवसर पर केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर, जल संसाधन मंत्री और ग्वालियर के प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट, संस्कृति और पर्यटन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेन्द्र भावसिंह लोधी, सांसद ग्वालियर भरत सिंह कुशवाह, प्रमुख सचिव संस्कृति और पर्यटन शिवशेखर शुक्ला सहित स्थानीय अधिकारी और बड़ी संख्या में संगीत प्रेमी उपस्थित रहे।
समस्त भारतीय कलाओं को सम्मान प्रदान करने के लिए संकल्पित संस्कृति विभाग द्वारा एक और कीर्तिमान रचा गया। तानसेन संगीत समारोह के 100वें उत्सव को स्मरणीय बनाने के उद्देश्य से ग्वालियर किला पर रविवार को वृहद समवेत प्रस्तुति का आयोजन किया गया।
किस वाद्य पर कितने प्रतिभागी
गायन-एक, तबला-76, बांसुरी-56, वायलिन-80, वोकल-166, संतूर-तीन, सरोद-13, सारंगी-11, सितार-93, सितार-बैंजो-एक, हारमोनियम-34, सहायक-एक, सहायक दल प्रमुख-एक।
विगत वर्ष ताल दरबार से रचा था इतिहास
विगत वर्ष संगीत सम्राट तानसेन की नगरी ग्वालियर में अपराजेय भारतीयता के विश्वगान राष्ट्रगीत वंदे मातरम की धुन पर ‘ताल दरबार’ ने मप्र के संगीत को एक वैश्विक पहचान दिलाई थी। यूनेस्को द्वारा चयनित संगीत नगरी में राष्ट्रीयता का उद्घोष करते हुए 1500 से अधिक संगीत साधकों ने प्रदेश की ऐतिहासिकता, सांस्कृतिकता और संगीत की त्रिवेणी को गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में दर्ज कराया था।