राज्य कर्मचारी संघ ने विभिन्न मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

भिण्ड, 24 सितम्बर। प्रदेश के अधिकारियों-कर्मचारियों की न्यायोचित मांगों पर निर्णय कर आदेश करने हेतु मप्र राज्य कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष राघवेन्द्र सिंह कुशवाह एवं जिला सचिव सत्यनारायण सोनी, जिला कोषाध्यक्ष अवधेश शर्मा के नेतृत्व में अधिकारी एवं कर्मचारियों ने मप्र के मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में बताया गया है कि मप्र राज्य कर्मचारी संघ द्वारा प्रदेश के अधिकारियों कर्मचारियों की न्यायोचित मांगों के संबंध में मप्र शासन/ प्रशासन को ज्ञापन पत्र के माध्यम से मांगो की पूर्ति हेतु समय-समय पर ध्यानाकर्षण करवाया जाता रहा है। संपूर्ण भारतवर्ष में मध्य प्रदेश ऐसा इकलौता राज्य बन गया है, जहां पिछले सात वर्षों से प्रदेश के अधिकारियों-कर्मचारियों की पदोन्नति रुकी हुई है, जिससे प्रदेश के अधिकारियों-कर्मचारियों में दिन प्रतिदिन निराशा बढने से शासकीय कार्यों पर भी विपरीत प्रभाव पड रहा है। मप्र राज्य कर्मचारी संघ के 18वे त्रिवार्षिक प्रादेशिक अधिवेशन में लिए गए निर्णय अनुसार ज्ञापन की प्रमुख मांगे हैं कि मप्र में पुरानी पेंशन योजना वरिष्टता के साथ लागू कि जाए। प्रदेश के अधिकारियों कर्मचारियों की पदोन्नतियां सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिका के अधीन उल्लेखित कर अतिशीघ्र प्रारंभ की जाए, जैसा कि पशुपालन विभाग के संचालक के पदोन्नति आदेश में उल्लेख किया गया है। प्रदेश के अधिकारियों कर्मचारियों एवं पेंशनरों को केन्द्र के समान महंगाई भत्ता देते हुए एरियर्स की राशि का भुगतान किया जाए। प्रदेश के अधिकारियों कर्मचारियों सहित निगम-मण्डल इत्यादि के अधिकारी-कर्मचारी को गृह भाडा भत्ता व अन्य भत्ते सातवें वेतनमान अनुसार केन्द्रीय कर्मचारियों के समान दिया जाए। प्रदेश के अधिकारियों-कर्मचारियों सहित पेंशनरों, निगम मण्डल इत्यादि में कार्यरत अधिकारियों-कर्मचारियों को स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ मंत्री परिषद के आदेश चार अप्रैल 2020 के संदर्भ में किया जाए। विभिन्न विभागों के संवर्गों के वेतन विसंगति का निराकरण मप्र शासन द्वारा गठित वेतन आयोग द्वारा कराया जाए एवं वेतन आयोग के विचारणीय विषय के निर्देश जारी किए जाएं। नए शिक्षा संवर्ग (राज्य शिक्षा सेवा) में नियुक्त अध्यापक संवर्ग को नियुक्ति के स्थान पर संविलियन के आदेश जारी कर सेवा अवधि की गणना प्रथम नियुक्ति दिनांक (शिक्षा कर्मी, संविदा शिक्षक, गुरूजियों) के पद पर नियुक्ति के दिनांक से करते हुए वरिष्ठता के आदेश जारी कर समयमान वेतनमान दिया जाए तथा मूल शिक्षा विभाग को पुनर्जीवित करते हुए हाईस्कूल प्राचार्य एवं 10+2 प्राचार्य के पदों का एकीकरण कर केवल एक ही पद किया जाए। सहायक शिक्षकों एवं शिक्षकों को क्रमोन्नत वेतनमान के स्थान पर समयमान वेतनमान दिया जाए, ताकि प्रदेश के अन्य कर्मचारियों को एक अप्रैल 2006 से देय समयमान वेतनमान की भांति इन्हें भी प्रथम, द्वितीय, तृतीय के साथ चतुर्थ समयमान स्वयं ही हासिल हो सके, जो कि मप्र शासन वित्त विभाग के पत्र 14 अगस्त 2023 के बावजूद उक्त शिक्षक संवर्ग वंचित हैं तथा शासन ने क्रमोन्नति के लिए शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता को हटा दिया है, ऐसे में जिन्होंने योग्यता होने के बाद भी पदोन्नति लेने से मना कर दिया था, उन्हें भी 12-24/10-20 के साथ ही 30 व 35 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर अन्य सभी की भांति देय सभी वेतनमान का लाभ दिया जाए।
प्रदेश में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी, संविदा कर्मचारी, स्थाई कर्मी, कर्मचारियों को विभाग में रिक्त पदों के विरुद्ध नियमितीकरण करने के उपरांत शेष पदों पर सीधी भर्ती की जाए एवं विभागाध्यक्ष को अपने विभाग में उपरोक्त कर्मियों को नियमितीकरण के अधिकार दिए जाए तथा तृतीय श्रेणी, चतुर्थ श्रेणी के पदों पर आउटसोर्स कर्मियों को शा. सेवक मान्य किया जाकर कार्यभारित कर्मचारियों को अवकाश नकदीकरण का लाभ दिया जाए। लिपिक संवर्ग को मंत्रालय के समान समयमान वेतनमान दिया जाए एवं लिपिक संवर्ग को भी उच्च पदभार के आदेश जारी किए जाए। सभी विभागों के कर्मचारियों को समयमान वेतनमान का लाभ पदोन्नत वेतनमान के अनुसार दिया जाए, तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को भी उच्च पदभार के आदेश जारी किए जाए। भारत सरकार एवं छत्तीसगढ सरकार की भांति मप्र के वे कर्मचारी जो पांचवे वेतनमान में एक जनवरी से 30 जून के मध्य वेतनवृद्धि प्राप्त करते थे उन्हें एक अतिरिक्त वेतनवृद्धि का लाभ दिया जाए। नवीन नियुक्तियों मे स्टाय फंड (70, 80, 90 प्रतिशत) की व्ययवस्था को समाप्त कर दो वर्ष की परिवीक्षा अवधि के पूर्ववर्ति नियम को लागू किया जाए। महिला एवं बाल विकास विभाग में वर्ष 2007 में नियुक्त संविदा पर्यवेक्षकों का नियमितिकरण किया जाकर वर्ष 2007 से कार्यरत पर्यवेक्षकों की सेवाकाल की गणना प्रथम नियुक्ति दिनांक से किया जाए।
समस्त विषय के सहायक शिक्षक/ उच्च श्रेणी शिक्षक को वरिष्ठ और योग्यता के आधार पर पदोन्नति एवं पदनाम दिया जाए, विशेषकर जिन्होंने स्नातक एवं स्नातकोत्तर जिस विषय में किया है उस पर विशेष ध्यान दिया जाए एवं 300 दिवस का अर्जित अवकाश का नगदीकरण के आदेश किया जाकर उच्च पदभार में डीएड और बीएड की अनिवार्यता, उच्च पदभार देने के बाद किया जाए तथा विभाग में रिक्त समस्त पदों पर उच्च पद प्रभार दिया जाए, ताकि अधिकाधिक लोक सेवक लाभान्वित हो सकें। विगत 31 वर्षों से स्वास्थ्य विभाग में नियमित पदों के विरुद्ध कार्यरत कुष्ठ कर्मचारियों को नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता एवं महंगाई भत्ता का लाभ दिया जाए। पंचायत सचिवों को नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता के आदेश जारी किया जाए। स्थाई कर्मियों को सातवें वेतनमान का लाभ दिया जाए। प्रदेश मे अधिकारियों-कर्मचारियों को त्वरित न्याय के लिए प्रशासनिक अधिकरण को पुन: प्रारंभ किया जाए। दिव्यांग कर्मचारियों का दिव्यांग वाहन भत्ता सातवे वेतन आयोग की अनुशंसा अनुसार दिया जाए। आयुष महाविद्यालयों द्वारा वर्ष 2002 में एवं आयुष संचनालय द्वारा वर्ष 2003 में रिक्त पद के विरुद्ध की गई संविदा नियुक्तियां को नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता दी जाए, पूर्व में भी इस प्रकार की नियुक्ति में वरिष्ठता दी गई है। परिवार पेंशन के लिए 33 वर्ष की अहर्ता सेवा को कम कर 25 वर्ष किया जाए।
प्रदेश के सभी विभागों में अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरणों का तत्काल निराकरण किया जाए एवं नियमों का सरलीकरण करते हुए तीन वर्ष में सीपीसीटी परीक्षा उतीर्ण करने की अनिवार्यता में संसोधन कर पूर्व नियमों के अनुसार सीपीसीटी परीक्षा उतीर्ण करने के उपरांत वेतन वृद्धि का लाभ दिया जाए एवं सेवा समाप्ति के आदेश को निरस्त किया जाए। शिक्षा विभाग में अनुकंपा नियुक्ति हेतु पात्रता परीक्षा एवं प्रक्षिक्षण की अनिवार्यता को समाप्त किया जाए। आदिम जाति कार्य विभाग और शिक्षा विभाग में परस्पर प्रतिनियुक्ति से आए शिक्षकों को वर्तमान में कार्यरत विभाग में मर्ज किया जाए। वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी 24 घण्टे वन अपराधियों व वन्य प्राणियों के मध्य कार्य करते हैं उन्हें प्रतिमाह 500 रुपए जोखिम भत्ता दिया जाए। मुख्य सचिव स्तरीय परामर्श दात्री समिति की बैठक शीघ्र आयोजित की जाए। उपरोक्त मांगों के संबंध में तत्काल निर्णय लेकर आदेश जारी करें।