नाबालिगा से दुष्कर्म करने वाले आरोपी को 20 वर्ष का कठोर कारावास

न्यायालय ने आरोपी पर नौ हजार का अर्थदण्ड भी लगाया

रायसेन, 10 नवम्बर। अपर सत्र न्यायाधीश तहसील गौहरगंज, जिला रायसेन के न्यायालय ने नाबालिग बालिका को भगाकर ले जाने व दुष्कर्म करने वाले आरोपी राजेश कहार उम्र 24 वर्ष, निवासी वार्ड क्र.23 आकांक्षा नगर, थाना मण्डीदीप, जिला रायसेन को दोषी पाते हुए धारा 376(3) भादंवि में 20 वर्ष का कठोर कारावास तथा नौ हजार रुपए अर्थदण्ड एवं धारा 363, 366 भादंवि, पॉक्सो एक्टस की धारा 5(एल)/6 में क्रमश: तीन वर्ष, पांच वर्ष एवं 20 वर्ष के कठोर कारावास से दण्डित किया है। प्रकरण में में मप्र राज्य की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक गौहरगंज अनिल कुमार तिवारी ने की।
अभियोजन मीडिया प्रभारी जिला रायसेन श्रीमती शारदा शाक्य के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि 30 अक्टूबर 2019 को थाना मण्डीदीप, जिला रायसेन (मप्र) में फरियादी पिता ने अपनी अवयस्क पुत्री अभियोक्त्री के गुम हो जाने की सूचना दी कि उसकी लड़की अभियोक्त्री उम्र 15 साल 28 अक्टूबर 2019 को दोपहर तीन बजे घर से बिना बताए कहीं चली गई है। उसे संदेह है कि उसकी नाबालिग लड़की को कोई अज्ञात व्यक्ति बहला फुसलाकर भगा ले गया है। अभियोक्त्री के पिता की सूचना पर थाना मण्डीदीप में गुम इंसान सूचना लेख कर अपराध पंजीबद्ध किया गया। अनुसंधान के दौरान अभियोक्त्री को दस्तयाब कर उससे पूछताछ कर कथन लेखबद्ध किया गया, जिसमें अभियोक्त्री ने बताया कि राजेश कहार को वह तीन-चार महीने से जानती थी जो उसके पड़ौस में किराये से रहता था। राजेश उससे बातचीत करने लगा और वह उसे शादी करने का प्रलोभन देने लगा और साथ चलने को कहा। 28 अक्टूबर 2019 को दोपहर करीब दो बजे राजेश कहार का फोन आया और उसके साथ भागने के लिए उकसाया। राजेश के कहने पर वह पानी की टंकी के पास चली गई जहां राजेश उसका इंतजार कर रहा था। उसके बाद वह राजेश कहार के साथ उसके घर खरगोन चली गई थी। उसके बाद दूसरे दिन उन्होंने वहीं के मन्दिर में शादी कर ली थी। वह खरगोन में दो दिन रुकी, उसके बाद वे दोनों पिपरिया आ गए थे, जहां किराये से रुके थे। राजेश कहार ने पिपरिया में उसके साथ जबरदस्ती दो बार बुरा काम किया। उसके बाद पुलिस वाले उन्हें लेने आ गए। अनुसंधान पूर्ण कर पुलिस ने अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया। न्यायालय में सुनवाई के दौरान गवाहों के बयान वैज्ञानिक चिकित्सीय साक्ष्य से अभियुक्त को संदेह से परे मामला प्रमाणित पाते हुए सभी आरोपों में सिद्ध दोष पाया गया। शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक ने पक्ष रखते हुए मामले को संदेह से परे प्रमाणित कराया। फलस्वरूप न्यायालय ने आरोपी को उक्त धाराओं में दोषी पाते हुए दण्डित किए जाने का आदेश सुनाया है।