बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजनांतर्गत टास्क फोर्स बैठक आयोजित

भिण्ड, 31 दिसम्बर। महिला एवं बाल विकास विभाग की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना अंतर्गत कलेक्टर डॉ. सतीश कुमार एस की अध्यक्षता में कार्ययोजना के क्रियान्वयन हेतु जिला स्तरीय टास्क फोर्स बैठक का आयोजन जिला स्तरीय विभागों के साथ किया गया, जिसमें योजनांतर्गत गतिविधियों के आयोजन के संबंध में निर्देश प्रदान किए गए। बैठक में जिला पंचायत सीईओ जेके जैन, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अजीत मिश्रा, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास अब्दुल गफ्फार, जिले के सीडीपीओ एवं सुपर वाईजर उपस्थित थे।
कलेक्टर डॉ. सतीश कुमार एस ने बैठक में कहा कि जिला अंतर्गत संचालित समस्त विद्यालयों में बालिका शौचालय की उपलब्धता सुनिश्चित करें। आंगनबाड़ी रजिस्टर में पंजीयन अनुसार शत प्रतिशत बालिकाओं का विद्यालय में प्रवेश हेतु अभियान चलाया जाए। ड्रॉप आउट (शाला त्यागी) बालिकाओं के विद्यालय में पुन: प्रवेश हेतु अभियान एवं शाला त्यागी बालिकाओं की सूची शाला त्यागने के कारण सहित तैयार करें ताकि ड्रापआउट बालिकाओं के पुन: प्रवेश के प्रयास किये जा सकें। उन्होंने कहा कि समस्त प्रायमरी, मिडिल, हाईस्कूल एवं हायर सेकेण्डरी विद्यालयों में पोक्सो एक्ट का प्रचार-प्रसार किया जाए। जिसमें शिकायत पेटी का संधारण हो। साथ ही प्राईवेट स्कूल में संचालकों द्वारा स्वयं दीवार लेखन, बसों में स्टीकर लगाने का कार्य किया जाए। उन्होंने कहा कि 10वीं में 70 प्रतिशत से ऊपर अंक प्राप्त करने वाली बीपीएल परिवार की बालिकाओं की सूची एवं बैंक खाता की जानकारी, जिससे जरूरतमंद बालिकाओं को अधिकारी, कर्मचारी, अन्य समाजसेवी व्यक्तियों एवं संस्थाओं के सहयोग से शिक्षा हेतु गोद लिए जाने की कार्रवाई की जा सकती है। विद्यालयों में माह में एक बार प्रथम मंगलवार को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की रैली का आयोजन किया जाए तथा तीन माह में एक बार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ एवं शिशु लिंगानुपात जैसे विषयों पर जागरुकता हेतु रंगोली, पेंटिंग, वाद-विवाद, भाषण आदि प्रतियोगिताएं की जाएं। आंगनबाड़ी केन्द्रों अंतर्गत समस्त गर्भधारण की टे्रकिंग कर बालिका होने पर टे्रकिंग को जन्म के एक वर्ष तक किया जाना। इसके लिए फोर्मेट तैयार किया जाकर आंगनबाड़ी में उपलब्ध कराया जाए।
कलेक्टर ने कहा कि समस्त आंगनबाड़ी केन्द्रों में माह में जन्मी बालिकाओं का जन्मोत्सव मनाया जाए, जिसमें पंच, सरपंच की उत्सव में भागीदारी से बालिका के परिजनों द्वारा बालिका के नाम पर फलदार पौधा लगाया जाए। विगत एक वर्ष में गर्भपात हुए परिवारों का सर्वे कराया जाकर कारण सहित सूची तैयार करें। गांव में होने वाले विवाहों पर निगरानी रखना, बाल विवाह की लगभग 15 दिवस पूर्व प्रशासन को सूचना देना, ग्राम सभा में ग्राम के महिला, पुरुषों को सम्मिलित कर बाल लिंगानुपात पर चर्चा की जाए। 2011 की जनगणना अनुसार ग्राम का लिंगानुपात एवं वर्तमान में प्रतिमाह जन्मे बालक-बालिका की संख्या दर्ज कर, ग्राम स्तर से सुधार के प्रयास किए जाएं। बालिका जन्मोत्सव, रैली, शपथ आदि कार्यक्रमों का आयोजन करों तथा बालिका के नाम पर फलदार पौधा लगवाएं तथा बालिका के परिजनों को बालिका तथा पौधों के महत्व से अवगत कराएं। पीसीपीएनडीटी एक्ट का प्रभावी क्रियान्वयन किया जावे एवं व्यापक प्रचार-प्रसार की भी आवश्यकता है। ग्राम स्तर पर शत प्रतिशत बालिकाओं का टीकाकरण सुनिश्चित करें। साथ ही शत-प्रतिशत संस्थागत प्रसव के प्रयास करें।