विद्या भारती की शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला का हुआ समापन
भिण्ड, 30 दिसम्बर। विद्या भारती मध्य भारत प्रांत द्वारा मार्गदर्शित विभाग स्तरीय शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला सरस्वती शिशु मन्दिर नदीद्वार ग्वालियर में आयोजित की गई। जिसमें भिण्ड जिले से भी कई शिक्षक शामिल हुए।
तीन दिवसीय शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला को संबोधित करते हुए क्षेत्रीय (मध्य भारत, महाकौशल मालवा, छत्तीसगढ़ प्रांत) बालिका शिक्षा प्रमुख श्रीमती सुनीता पांडे दीदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के माध्यम से जानकारी दी कि हमारी दिन-प्रतिदिन की ध्येय निष्ठा, साधना, भारत भक्ति के द्वारा हमारा भारत पुन: विश्वगुरु बनेगा। सरस्वती पूजा, वंदना में हर रोज लाखों छात्र- छात्राएं यह प्रार्थना करते हैं कि जग सिरमौर बनाएं भारत, वह बल विक्रम दे। अम्ब विमल मति दे। उन्होंने कहा कि स्वदेशी, तकनीकी शिक्षा कौशल विकास, भारत की संस्कृति ज्ञान परम्परा, भारतीय जीवन मूल्यों पर आधारित शिक्षा, वेदों में वर्णित बहुमूल्य विचार हमें अपने विद्यालय, ग्राम-नगर को आगे बढऩे में सहयोगी होगी।
संस्कृति शिक्षा उत्थान न्यास के प्रांतीय सह संयोजक धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में वह सब शामिल किया गया है। जो पहली, दूसरी शिक्षा नीति में शेष रह गया था। उन्होंने कहा कि इस शिक्षा नीति में तीन वर्ष के छात्र को प्रवेश दिया जाएगा। अभी तक छह वर्ष के छात्र को प्रवेश दिया जाता था। मातृभाषा में शिक्षा, क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा क्षेत्रीय बोली में शिक्षा दी जाएगी। शिक्षण व्यवस्था में बदलाव किया गया है। शिक्षा अब आनंद का अनुभव कराएगी। छात्र का परीक्षा पद्धति के स्थान पर मूल्यांकन किया जाएगा। उसका सामाजिक, व्यवहारिक, नैतिक, चारित्रिक, बौद्धिक आदि विषयों शिक्ष, सहपाठी छात्र एवं अभिभावकों द्वारा मूल्यांकन किया जाएगा। छात्र का 360 डिग्री का मूल्यांकन होगा।
इस अवसर पर विभाग प्रमुख रघुराज सिंह चौहान, प्रहलाद सिंह घुरैया, डॉ. लाखन सिंह राजपूत, रामसेवक शर्मा, जिला प्रमुख मुकेश दांगी, मुख्य शिक्षक राहुल तिवारी, अवधेश सिंह बघेल, रामप्रसाद राठौर, श्रीमती श्वीटी शर्मा, राकेश विश्वकर्मा एवं ग्वालियर, भिण्ड, दतिया, मुरैना जिले से आचार्य-दीदी सहभागी हुए। कार्यक्रम का संचालन एवं अतिथि परिचय भिण्ड जिला प्रमुख राजेन्द्र सिंह ठाकुर ने कराया। अतिथि स्वागत नंदराम बघेल, हेमेन्द्र सिंह राणा एवं श्रीमती शशि सविता ने किया। कार्यशाला के समापन सत्र में राजेन्द्र सिंह तोमर, आरती राजपूत आदि आचार्य-दीदियों ने सकारात्मक अनुभव साझा किए।