डॉ. ज्योत्स्ना सिंह को मिला डॉ. अन्नपूर्णा भदौरिया स्मृति सम्मान
ग्वालियर, 18 दिसम्बर। साहित्यकार डॉ. अन्नपूर्णा भदौरिया की स्मृति में गत दिवस ग्वालियर शहर के होटल लैण्ड मार्क में सम्मान समारोह एवं अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस वर्ष यह सम्मान डॉ. अन्नपूर्णा भदौरिया स्मृति सम्मान जीवाजी विश्वविद्यालय भाषा अध्ययन केन्द्र में पदस्थ प्राध्यापिका एवं वरिष्ठ साहित्यकार सतत साहित्य साधना में रत डॉ. ज्योत्स्ना सिंह राजावत को दिया गया। कार्यक्रम में आमंत्रित अतिथिय के रूप में संत कृपाल सिंह जी, पूर्वमंत्री श्रीमती माया सिंह, विधायक डॉ. सतीश सिकरवार, देश के प्रख्यात पत्रकार डॉ. सुरेश सम्राट, गांधी वादी विचाकर एवं संपादक डॉ. राकेश पाठक मंचासीन रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यकार जगदीश तोमर ने की एवं प्रथम सत्र का संचालन कु. आद्या दीक्षित ने किया।
इस अवसर पर गांधी वादी विचाकर डॉ. राकेश पाठक ने डॉ. अन्नपूर्णा भदौरिया के साथ जुड़ीं स्मृति को ताजा करते हुए कहा कि उनके जैसे बिरले कम ही होते हैं। वे देश और समाज के लिए हमेशा चिंतन करती रहीं और उनकी साहित्यिक क्षेत्र में अच्छी पकड़ थी, वे मुझसे बहुत स्नेह करती थीं, मैं अखबार में बतौर संपादक नौकरी करता था, तब हैडिंग में त्रुटि होने पर कभी फोन पर तो कभी सीधे मेरे कार्यालय पहुंचकर उसे समझाती थीं।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें देशभर के प्रसिद्ध कवियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से श्रोताओं को भावविभोर किया। इस कार्यक्रम में देश के प्रख्यात कवि गुनवीर राणा दिल्ली, कवयित्री कीर्ति काले, अभय निर्भीक लखनऊ, अतुल वाजपेई लखनऊ, शिवांगी प्रेरणा उज्जैन के द्वारा रचना पाठ किया गया। जिसका संचालन रवीन्द्र रवि ने किया। कवि सम्मेलन में दिल्ली से सुप्रसिद्ध गीतकार गुणवीर राणा, दिल्ली से ही डॉ. कीर्ति काले, लखनऊ से अतुल बाजपेई, अंबेडकर नगर से अभय निर्भीक, उज्जैन से शिवांगी प्रेरणा सहित सभी कवियों ने शानदार काव्य पाठ किया।
इस मौके पर कवि अभय निर्भीक अम्बेडकर नगर ने काव्य पाठ करते हुए कहा- भारत माता का हरगिज सम्मान नहीं खोने देंगे। अपने पूज्य तिरंगे का अपमान नहीं होने देंगे।। अतुल बाजपेयी लखनऊ ने कहा कि हूं नही मात्र भूखण्ड एक, मैं चेतन, जीवित, जाग्रत हूं। मैं भारत हूं, मैं भारत हूं, मैं भारत हूं, मैं भारत हूं।। कवि गुनवीर राणा ने अपनी कविता यूं सुनाई- दूर चली जा सिया से कहीं तुझे क्रोध में दे दे न शाप अयोध्या। आग की आग बुरी है यहां झुलसेगी तू आप ही आप अयोध्या।। देव भी चौंक पड़े सुनके इस सीय का आज प्रलाप अयोध्या। आज के बाद न होगा कभी अब राम सिया का मिलाप अयोध्या।।
दिल्ली से पधारे डॉ. कीर्ति काले ने कहा- भारत के नौजवानों भारती पुकारती है, भेदभाव छोड़कर साथ साथ आईए। कोरोना तेरी बहुत हुई मनमानी, पिला दिया छोटे वायरस ने, बड़े बड़ों को पानी। शिवांगी शर्मा प्रेरणा ने अपनी कविता यूूं सुनाई- प्रेम नयनों में अपने बसाने लगूं, प्रेम रंग से ही अंतस रंगाने लगूं। कृष्ण की बांसुरी सा सुरीला हो स्वर, प्रीत राधा के जैसी निभाने लगूं।
कवि रविन्द्र रवि ने काव्यपाठ करते हुए कहा- मेरे घर मे बुजुर्गों के मधुर पद चाप जिंदा हैं, कहीं मानस कहीं गीता के पावन जाप जिंदा हैं। मैं जब घर से निकलता हूं दुआएं साथ चलती हैं, मुझे कुछ हो नहीं सकता मेरे मां बाप जिंदा हैं।
कार्यक्रम के समापन पर आभार डॉ. अन्नपूर्णा भदौरिया की पुत्री एवं कार्यक्रम की कुशल संयोजक अंशु सिंह ने व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि डॉ. अन्नपूर्णा भदौरिया जी की स्मृति में यह आयोजन विगत तीन वर्षों से निरंतर किया जा रहा है। जो प्रत्येक वर्ष आयोजित होगा और कार्यक्रम में उनके एक शिष्य का सम्मान किया जाएगा। इस अवसर पर शहर के साहित्य मनीषी, साहित्यकार, जनप्रतिनिधि, पत्रकार एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।