ग्वालियर, 17 जुलाई। मध्य भारतीय हिन्दी साहित्य सभा दौलतगंज लश्कर ग्वालियर के तत्वावधान में इंगित काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार राजकिशोर वाजपेयी ‘अभय’ ने की। मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ गीतकार ललित मोहन त्रिवेदी एवं विशिष्ट अतिथि कवि दिनेश विकल रहे। सभा प्रतिनिधि के रूप में सभा अध्यक्ष डॉ. कुमार संजीव मंचासीन रहे। कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन कवि रामचरण ‘रुचिर’ ने किया।
प्रारंभ में अतिथियों ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्ज्वलित किया। सरस्वती वंदना राजेश अवस्थी ‘लावा’ ने प्रस्तुत की। काव्य गोष्ठी में 32 रचनाकारों ने काव्य पाठ किया, जिनमें विजय कृष्ण योगी, जगमोहन श्रीवास्तव, दिनेश विकल, राजकिशोर वाजपेयी ‘अभय’, रामचरण रुचिर, कविता उपाध्याय, विजयशंकर श्रीवास्तव, विश्वास वर्धन गुप्त, आरती अक्षत, आलोक शर्मा, अशोक बित्थरिया, विजय शंकर श्रीवास्तव, अमर सिंह यादव, संदीप खेरा, पुष्पा शर्मा, श्वेता गर्ग ‘श्वाति’, आकाश शर्मा, डॉ. सुधीर चतुर्वेदी, माताप्रसाद शुक्ल, डॉ. रमेशचंद्र त्रिपाठी मछण्ड, व्याप्ति उमडेकर, अनिल कुमार कोचर, संदीप खेरा आदि ने सुंदर काव्य पाठ किया।
कवि राजकिशोर वाजपेयी अभय ने कहा कि जल के बिन जीवन कब होता। बिन इसके रसधार नहीं है।। ललित मोहन त्रिवेदी ने कहा कि केवल शब्दों की डोरी से गीत नहीं बंधता, इसमें तो खुद ही पूरा बंध जाना पडता है।। दिनेश विकल ने कहा कि राह में तुम जो मिलोगे कभी सोचा न था। हमसफर बनकर रहोगे यह कभी सोचा न था।। रामचरण रुचिर ने कहा कि पावस की बूंदें गिरीं धरा हुई खुशहाल। मन मोहक लगने लगे उपवन सरिता ताल।। विजय कृष्ण योगी ने कहा कि बाधा बन जाने पर हमने पी डाले सागर खारे हैं। अजय ज्योति पुंज के वाहक अधिकारी तो कब हारे हैं। आरती अक्षत ने कहा कि उमस भरे दिन बीते अब तो गर्मी पानी पानी। कविता उपाध्याय ने कहा कि जीवन सांसों का खेल नहीं, यह यात्रा तो अंदर की है। डॉ. रमेशचंद्र त्रिपाठी कहा कि बडा सुहाना मौसम आया पावस ऋतु आई। जगमोहन श्रीवास्तव ने कहा कि दीदी बडी जोर से बरसे बदरा, छानि पुरानी ढह गई। आग लगे ऐसी सावन में चून चपरिया बह गई।। विजय शंकर श्रीवास्तव ने कहा कि मोरपंखी स्वप्न फिर जगने लगे, फिर कोई प्यार के अंगार को दहका गया। व्याप्ति उमडेकर ने कहा कि पवन के तेज झोंको में हरसिंगार है झरते। पावस की प्रतीक्षा में पपीहे का उर है तरसे।। इसी प्रकार अन्य साहित्यकारों ने सुंदर काव्य पाठ किया। इस अवसर पर माता-प्रसाद शुक्ला, डॉ. सुखदेव माखीजा, विकास बघेल सहित युवा एवं अन्य साहित्यकार उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में सभी का आधार प्रदर्शन डॉ. सुधीर चतुर्वेदी ने किया।