नाबालिगा से दुष्कर्म करने वाले आरोपी को 20 वर्ष का कारावास

– न्यायालय ने पीडिता के माता-पिता को एक लाख रुपए प्रतिकर देने का दिया आदेश

ग्वालियर, 01 जुलाई। अनन्यत: विशेष न्यायाधीश (लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम) एवं त्रयोदशम जिला एवं अपर सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) जिला ग्वालियर श्रीमती वंदना राज पाण्डे की अदालत ने नाबालिग अभियोक्त्री से दुष्कर्म करने वाले आरोपी मनोज टभोटिया उम्र 28 साल मुरार, जिला ग्वालियर को सत्र प्रकरण क्र.212/2023 धारा 366, 376(3) भादंसं एवं धारा 3/4(2) पॉक्सो एक्ट में क्रमश: 10 वर्ष, 20 वर्ष, 20 वर्ष, 100-100 रुपए अर्थदण्ड एवं व्यतिक्रम में प्रत्येक में एक-एक माह के सश्रम कारवास से दण्डित किया है। साथ ही पीडिता के माता-पिता को एक लाख रुपए प्रतिकर एवं सहायता राशि प्रदान करने हेतु आदेशित किया है।
अभियोजन की ओर से प्रकरण की पैरवी कर रहे विशेष लोक अभियोजक अनिल कुमार मिश्रा के अनुसार मामला संक्षेप में इस प्रकार है कि 29 अगस्त 2023 को पीडिता ने थाना हुजरात कोतवाली में लिखित आवेदन पेश किया कि वह कक्षा नौवीं में है, एक साल पहले उसकी बडी बहन का रिश्ता अभियुक्त से हुआ था तभी से वह अभियुक्त को जानती है। 9 जून 2022 को अभियुक्त की सगाई हो गई थी। 19 जुलाई 2023 को अभियुक्त अपनी मोटर साइकिल से पीडिता के स्कूल के आगे मिला और कहा कि वह उसे घर छोड देगा, तो वह अभियुक्त के साथ मोटर साइकिल पर बैठ गई थी। अभियुक्त उसे मुरार तरफ ले जाने लगा तो पीडिता ने पूछा कि कहां ले जा रहे हो तो अभियुक्त ने कहा कि उसे थोडा काम है फिर घर चल देंगे। फिर अभियुक्त उसे 2000 कैफे मुरार ले गया और बताया कि यह उसके दोस्त का कैफे है, उस समय कैफे पर कोई नहीं था। अभियुक्त उसे कैफे में अंदर केबिन में ले गया और जबरदस्ती उसके साथ गलत काम किया तथा उसके चिल्लाने पर जान से मार देने की धमकी दी। गलत काम करने के बाद अभियुक्त ने कहा कि अगर किसी को कुछ बताया तो तेरी बहन से रिश्ता तोड दूंगा। पीडिता और उसके परिवार की बदनामी कर दूंगा। उसने डर के कारण यह बात किसी को नहीं बताई। फिर अभियुक्त ने उसे दोबारा बुलाया तो वह डर गई और सारी बात अपने पापा-मम्मी, दादा और बहन को बताई। पीडिता ने अभियुक्त के विरुद्ध शिकायर्त दर्ज करने का निवेदन किया। पीडिता की लिखित शिकायत के आधार पर थाना कोतवाली लश्कर में अपराध क्र.208/2023 दर्ज कर उसका मेडिकल परीक्षण कराया गया, साक्षीगण के कथन लेखबद्ध किए गए। अभियुक्त को गिरफ्तार कर उसका मेडिकल और डीएनए परीक्षण कराया तथा विवेचना पूर्ण कर अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया गया। न्यायालय ने अभियोजन के तर्कों से सहमत होकर आरोपी को दोषसिद्ध किया है।