भारत को सशक्त बनाने के लिए पंच परिवर्तन आज की आवश्यकता: शिवराम समदरिया

– भगत सिंह शाखा सात दिवसीय वार्षिक उत्सव एवं योग चेतना शिविर का संपन्न

भिण्ड, 29 जनवरी। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की भगत सिंह शाखा का सात दिन से निरंतर चल रहा वार्षिक उत्सव एवं योग चेतना शिविर का आज हवन एवं प्रसाद वितरण के साथ संपन्न हुआ।
कार्यक्रम के अंतिम दिवस में मुख्य वक्ता क्षेत्र के प्रचारक प्रमुख शिवराम समदरिया ने अपने उदबोधन में कहा कि इस मातृभूमि के प्रति स्व का भाव जगाने का कार्य राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ विगत सौ वर्षों से निरंतर कर रहा है। स्व का भाव, नागरिक शिष्टाचार, पर्यावरण संरक्षण, कुटुंब में एकता पालन कराने का भाव शाखा से ही एक स्वयंसेवक के हृदय में जाग्रत होता है। नियमित शाखा से एक परिपक्व स्वयंसेवक समाज में इन कार्यों में लगा रहता है। तुलसीदास जी के कथन के माध्यम से वर्तमान ज्वलंत समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि तुलसी यही संसार में पंचरतन है सार। हरि भजन, संतमिलन, दया, दान, उपकार। अर्थात समाज के वे प्रबुद्ध लोग जो समाज के प्रति सेवाभाव रखने वाले है वो ही संत जन है एवं समाज की ज्वलंत समस्याओं पर चर्चा करना ही हरि भजन है।
उन्होंने वृक्षों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि घरों में बोनसाई पद्धति से पौधे लगाने से पर्यावरण संरक्षण संभव नहीं है। वृक्षों का उद्देश्य सिर्फ फल और उससे धन प्राप्त करना नहीं है, वरन संपूर्ण पर्यावरण संरक्षण करना है। अनियंत्रित उपभोगवाद शौषण और द्वंदात्मक संघर्ष के कारण समाज में पनपे दोषों जाति, वर्ग आदि के सामाजिक भेदभाव का स्थाई उपचार केवल उपदेशों नारों अथवा नेतृत्व परिवर्तन से नहीं होता, यह अकेले किसी सरकार अथवा संस्था या विचारधारा के बस की बात नहीं, यह सभी के समेकित प्रयासों से होता है। देश के सर्वांगीण विकास की यह यात्रा सबकी समन्वित चेतना से ही संभव है। इस विकास यात्रा के पांच स्तर हैं। स्वयं की चेतना, पारिवारिक चेतन, राष्ट्रीय चेतना, सामाजिक चेतना और वैश्विक चेतना, चेतना के इन पांचो सोपनो को पार करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने शताब्दी वर्ष में पांच परिवर्तन के माध्यम से समाज में कार्य करने का संकल्प लिया है। व्यक्ति स्तर पर स्व का बोध, पारिवारिक स्तर पर कुटुंब प्रबोधन, देश के स्तर पर नागरिक कर्तव्यों का पालन, सामाजिक स्तर पर सामाजिक समरसता, वैश्विक स्तर पर पर्यावरण अनुकूल जीवन संघ प्रत्येक नागरिक से इन पंच परिवर्तन को अपने जीवन में पालन करने का आवाहन अपने शताब्दी वर्ष में कर रहा है।