– न्यायालय ने 25 लाख रुपए अर्थदण्ड लगाया
– सहआरोपी को एक वर्ष सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड
सागर, 09 अगस्त। विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) सागर आलोक मिश्रा के न्यायालय ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने वाले आरोपी कैलाश वर्मा को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13(1)(ई), सपठित धारा 13(2) के अंतर्गत तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं 25 लाख रुपए अर्थदण्ड, धारा 120बी भादंस के तहत एक वर्ष सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड तथा सहआरोपी शीला वर्मा को धारा 120बी भादंस के तहत एक वर्ष सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुप अर्थदण्ड की सजा से दण्डित किया है। मामले की पैरवी प्रभारी उपसंचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी लक्ष्मी प्रसाद कुर्मी ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना संक्षिप्त में इस प्रकार है कि पूर्व ट्रेपशुदा प्रकरण में अभियुक्त कैलाश वर्मा के रहन-सहन, शानो-शौकत व निवास पर विलासिता की सामग्री को देखते हुए अनुपातहीन संपत्ति अर्जित करने का संदेह होने पर पर ट्रेप कार्रवाई संचालनकर्ता द्वारा अभियुक्त के शासकीय आवास बण्डा पर दस्तावेजों व अन्य साक्ष्य की तलाश किए जाने पर पांच लाख 53 हजार रुपए नगद प्राप्त हुए, जिसके संबंध अभियुक्त कैलाश वर्मा कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सका। अभियुक्त से पूछताछ व गोपनीय जानकारी के आधार पर अभियुक्त कैलाश वर्मा द्वारा अन्य जगहों पर अनुपातहीन संपत्ति अर्जित करने की जानकारी प्राप्त हुई। अभियुक्त कैलाश वर्मा ने सहअभियुक्त शीला वर्मा के साथ मिलकर आपराधिक षडयंत्र कर अनुपातहीन संपत्ति उसके नाम से भी अर्जित की है, जिसमें सहअभियुक्त शीला वर्मा का दुष्प्रेरण सहायता द्वारा रहा है। विवेचना के दौरान संकलित साक्ष्य के आधार पर दुष्प्रेरण सहायता द्वारा रहा है। विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्षा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13(1)(ई), सपठित धारा 13(2) एवं धारा 120बी भादंवि का अपराध आरोपीगण के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। जहां विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) सागर आलोक मिश्रा के न्यायालय ने आरोपीगण को दोषी करार देते हुए उपरोक्त सजा से दण्डित किया है।