हाथरस में भगदड़ ‘हिन्दुत्व को प्रणाम!’

– राकेश अचल


हाथरस में हुई भगदड़ के कारण बड़ी संख्या में लोगों के मरे जाने के बाद मुझे अपने हिन्दू होने पर गौरवानुभूति की जगह ग्लानि हो रही है। लेकिन उत्तर प्रदेश की डबल इंजिन की सरकार को इस घटना के बाद कोई मलाल नहीं है। किसी ने इस हादसे की जिम्मेदारी अपने ऊपर नहीं ली है। कोई इस्तीफा नहीं दे रहा। देश की संसद भी त्रिदेव संवाद के बाद अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई है। हाथरस में कोई 110 हिन्दू मरे गए हैं। इस हादसे के बाद भी मुझे छोड़ पूरी सरकार को हिन्दू होने पर गर्व है ।
हिन्दू धर्म स्थलों पर भगदड़ कोई नई चीज नहीं है। दुनिया में हिन्दू धर्म का मुकाबला करने वाला कोई दूसरा धर्म है ही नहीं। मक्का में पिछले दिनों गर्मी से एक हजार लोग मर गए। इस तरह के हादसों में धर्म का क्या दोष? दोष है उन लोगों का जो धार्मिक हैं। अनुशासन नहीं जानता। अनुशासन नहीं मानता। उन्हें तो मोक्ष चाहिए। चाहे गर्मी से मारकर मिले, चाहे सर्दी से। चाहे भगदड़ से मिले या किसी और रास्ते से, इस तरह के हादसे में मारे जाने वाले शहीद नहीं होते। उनके लिए कोई मुआवजा नहीं होना चाहिए, लेकिन दो-चार लाख रुपए तो केन्द्र और राज्य की सरकारें दे ही देती हैं, क्योंकि अंतत: वे भी धार्मिक सरकारें हैं।
अगर आप टीवी देखते हैं और अखबार पढ़ते हैं तो आपको ज्ञात होगा कि यूपी के हाथरस के सिकंदराराऊ थाना क्षेत्र के फुलरई गांव में भगवान भोले बाबा के सत्संग में मंगलवार को भगदड़ मच गई। हादसे में 110 से ज्यादा लोगों के मरने की पुष्टि की गई है। भगदड़ के बाद हाथरस और एटा के अस्पतालों में लाशें बिखरी हुई देखी जा रही हैं। अस्पतालों के बाहर चीख पुकार मची है। सूत्रों के मुताबिक सत्संग में करीब 40 हजार लोग थे।
हाथरस में जिन भोले बाबा का सत्संग था वे हिमालय के भोले बाबा नहीं थे, उन्हें तो फुरसत ही कहां है जमीन पर आने की। हाथरस के भोले बाबा हमारे नेताओं की तरह नान-बायलोजिकल या अवनाशी हैं। साकार हरि बाबा उर्फ भोले बाबा का असली नाम सूरज पाल सिंह है। बाबा कासगंज के पटयाली के रहने वाले हैं। करीब 17 साल पहले पुलिस कांस्टेबल की नौकरी छोडक़र सत्संग करने लगे। नौकरी छोडऩे के बाद सूरज पाल नाम बदलकर साकार हरि बन गए। अनुयायी उन्हें भोले बाबा कहते हैं। कहा जाता है कि गरीब और वंचित तबके के लोगों के बीच में इनकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी। कुछ समय में लाखों की संख्या में अनुयायियों बन गए। उत्तर प्रदेश के अलावा मध्य प्रदेश और राजस्थान में इनके अनुयायी फैले हैं।
हाथरस के भोले बाबा सबसे अलग हैं। साकार हरि बाबा अपने सत्संग में मानव सेवा का संदेश देते हैं। ज्यादातर सत्संग में लोगों से बाबा कहते हैं कि मानव की सेवा ही सबसे बड़ी सेवा है। सत्संग में आने से रोग मिट जाते हैं, मन शुद्ध होता है, यहां पर कोई भेदभाव नहीं, कोई दान नहीं और कोई पाखंड नहीं। दावा करते हैं यहीं सर्व समभाव है यहीं ब्रह्मलोक है, यहीं स्वर्ग लोक है। अब इन भोले बाबा से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बाबा आदित्यनाथ तो जूझ नहीं सकते। उनसे इस्तीफा भी नहीं मांग सकते। खुद इस्तीफा देने का सवाल ही नहीं उठता। इस्तीफा देने के लिए नैतिकता चाहिए, जमीर चाहिए जो शायद ही किसी नेता के पास होता हो। हाथरस के भोले बाबा के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता के तहत मुकदमा भी दर्ज नहीं हो सकता, गिरफ्तारी तो बहुत दूर की बात है। बीएनएस यानि भारतीय न्याय संहिता तो रेहड़ी-पटरी वालों के लिए बनी है। अविनाशी और सत्यानाशी, अवतारी इस संहिता के दायरे में नहीं आते।
इस हादसे के बाद मुख्यमंत्री जो कर सकता है सो कर ही रहा है। आगरा के अपर पुलिस महानिदेशक और अलीगढ़ के आयुक्त के नेतृत्व में टीम गठित कर दुर्घटना के कारणों की जांच के निर्देश भी दिए हैं। मुख्यमंत्री योगी ने अगले 24 घण्टों में जांच रिपोर्ट मांगी है। युद्ध स्तर पर राहत और बचाव कार्य हो रहा है। आगरा के अपर पुलिस महानिदेशक और अलीगढ़ के आयुक्त के नेतृत्व में टीम गठित कर दुर्घटना के कारणों की जांच के निर्देश भी दिए हैं। मुख्यमंत्री योगी ने अगले 24 घण्टों में जांच रिपोर्ट मांगी है। युद्ध स्तर पर राहत और बचाव कार्य हो रहा है। इस हादसे के पहले हमारी संसद में राहुल गांधी और प्रधानमंत्री जी के बीच हिन्दुत्व के हिंसक और अहिंसक होने पर बहस हो रही थी। राहुल कह रहे थे की हिन्दू हिंसक हो ही नहीं सकता लेकिन भाजपा हो सकती है। और प्रधानमंत्री जी कह रहे थे कि पूरे हिन्दू समाज को हिंसक कहना बहुत गंभीर बात है।
दरअसल भारत कृषि प्रधान नहीं बल्कि भगदड़ प्रधान देश है। यहां यदि भगदड़ न हो तो मजा ही नहीं आता। 2005 में महाराष्ट्र के मंधारदेवी मन्दिर में हुई भगदड़ में 340 श्रद्धालुओं की मौत और 2008 में राजस्थान के चामुण्डा देवी मन्दिर हुई भगदड़ में कम से कम 250 लोगों की मौत शायद आपको याद ही न हो। हिमाचल प्रदेश के नैना देवी मन्दिर में भी 2008 में ही धार्मिक आयोजन के दौरान मची भगदड़ में 162 लोगों की जान चली गई थी। आपको हाल के वर्षों में देश में मन्दिरों और धार्मिक आयोजनों के दौरान भगदड़ की कुछ प्रमुख घटनाएं के बारे में बताते हैं।
हमारे अपने मध्य प्रदेश में 31 मार्च 2023 को इंदौर शहर के एक मन्दिर में रामनवमी के अवसर पर आयोजित हवन कार्यक्रम के दौरान एक प्राचीन बावड़ी के ऊपर बनी स्लैब ढह जाने से कम से कम 36 लोगों की मौत हो गई। एक जनवरी 2022 को जम्मू-कश्मीर स्थित प्रसिद्ध माता वैष्णो देवी मन्दिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण मची भगदड़ में कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई और एक दर्जन से अधिक घायल हो गए थे। 14 जुलाई 2015 में आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी जिले में ‘पुष्करम’ उत्सव के पहले दिन गोदावरी नदी के तट पर एक प्रमुख स्नान स्थल पर भगदड़ से 27 तीर्थयात्रियों की मृत्यु हो गई तथा 20 अन्य घायल हो गएथे। तीन अक्टूबर 2014 में दशहरा समारोह समाप्त होने के तुरंत बाद पटना के गांधी मैदान में भगदड़ मचने से 32 लोगों की मौत हो गई थी। 13 अक्टूबर 2013 को मध्य प्रदेश के दतिया जिले में रतनगढ़ मन्दिर के पास नवरात्रि उत्सव के दौरान मची भगदड़ में 115 लोगों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे, भगदड़ की शुरुआत नदी के पुल टूटने की अफवाह से हुई जिसे श्रद्धालु पार कर रहे थे।
मैं यदि आपको देश और विदेश में हुई भद्द की घटनाओं को गिनाने बैठूं तो रात हो जाएगी, इसलिए संक्षेप में ये कहा जा सकता है कि हम यानि हमारा समाज, हमारी सरकार हादसों को याद रखने और उनसे सीख लेने की जरूरत नहीं समझती। हादसे भगवान की देन है। उनके बारे में कोई कुछ कह नहीं सकता। संसद में सवाल नहीं उठाये जा सकते। उनके लिए जांच की मांग बेमानी है। इस्तीफा मांगना अनैतिकता है इसलिए आइये हाथरस हादसे में मारे गए लोगों के प्रति अपनी श्रृद्धांजलि अर्पित करें और मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना जताएं। सरकार के प्रति आभार जताएं कि उसने जो हो सकता था सो किया। हमें किसी का इस्तीफा-सिस्टीफा नहीं चाहिए। हम हादसा प्रूफ होना ही नहीं चाहते, क्योंकि धर्म स्थलों और सत्संगों में प्राण जाना सीधा मुक्ति दिलवाता है। सरकार ये सब नहीं कर सकती। अत: इतिश्री। जय-जय शिव शंकर। कांटा लगे न कंकर।