– राकेश अचल
देश की समस्त बहनों को रक्षाबंधन की कोटि-कोटि बधाइयां, साथ ही मुफ्त में तमाम सलाहें। राखी कच्चे धागों के जरिये भाई-बहन के स्नेह को इंगित करने वाला पवित्र त्यौहार है, लेकिन अब इसे भी बाजार कर सियासत की नजर लग गई है। पहले बहने अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर अपने ही नहीं बल्कि अपने सुहाग की रक्षा का भी वचन हासिल करती थीं, पर अब जमाना बदल गया है। अब राखियां सियासत और कमाई का जरिया बन गई हैं।
हमने और आपने इतिहास में पढा होगा कि कैसे अतीत में राजपूतानियों ने मुगलों को युद्धकाल में राखी भेजकर अपना भाई बनाया था और कैसे अपने सुहाग और राज की रक्षा की थी। मुमकिन है कि इतिहास ही गलत हो और किस्सा भी गलत हो। लेकिन आज-कल हम देख रहे हैं कि चाहे नेता हों या व्यापारी राखी के जरिये अपने मतलब साधने में लगे हैं। सब बहनों को मूर्ख समझ रहे हैं और उनके स्नेह को लालच देकर खरीदना चाहते हैं। कोई सत्ता चाहता है तो कोई अपना कारोबार बढाना चाहता है। उन्हें बहनों की रक्षा, सम्मान और सुहाग से कोई लेना-देना नहीं है।
हमारे मध्य प्रदेश में लगभग 18 साल सत्ता में रहने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अचानक बहनों के आत्म सम्मान की याद आई तो उन्होंने डेढ करोड बहनों को हर महीना एक हजार रुपया नगद उनके खाते में भेजना शुरू कर दिया। 18 साल से उनकी ये बहनें कहां थीं, उन्हें खुद होश नहीं है। अब चौहान साहब अपनी बहनों का वोट हासिल करने के लिए उन्हें राखी के बदले रसोई गैस का सस्ता सिलेण्डर और 100 रुपए की बिजली भी देने को राजी हैं। अटक जो रही है। वे अपनी बहनों के आंसू पौंछना चाहते हैं, लेकिन बहनोइयों को बेरोजगारी और दुर्दशा से बाहर नहीं निकालना चाहते। बहनें भी एक हजार रुपए में खुश हो रही हैं। अरे सोचो की इन एक हजार रुपए से न गृहस्थी चलने वाली है और न सम्मान की रक्षा होने वाली है। ये सब तभी मुमकिन है जब उनके सुहाग को रोजगार मिले, बच्चों को नौकरियां और काम धंधा मिले। उनके सिर पर तो दबंग पेशाब कर रहे हैं, उन्हें मैला खिला रहे हैं। उन्हें पीट रहे हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की देखा-देखी पूर्व हो चुके कांग्रेस के कमलनाथ भी सत्ता का शेषनाग नाथने के लिए बहनों को बरगला रहे हैं। वे कहते हैं कि हमारी सरकार बनवा दो तो हम डेढ हजार रुपया महीना देंगे। ये भाई हैं या सौदागर? ये जानना मप्र की बहनों को जानना जरूरी हैं। बहनों को ये जानना होगा कि ये वे भाई हैं जिनके राज में दस रुपए किलो बिकने वाला टमाटर 250 रुपए किलो बिका, महंगाई आसमान छूने लगी। लेकिन इन भाइयों का रोम तक नहीं फडका। रक्षाबंधन का पर्व आते ही नेता ही नहीं दवा और गाय का शुद्ध घी बेचने वाले बाबा भी बहनों के प्रति द्रवित हो जाते हैं। बहनों से अपील करते हैं कि अपने सुहाग ही नहीं, बल्कि बच्चों को भी जहरीले रसायनों से बचाइए और उनका बनाया शुद्ध कच्ची घानी का सरसों का तेल खाइये। बाबाजी अपनी बहनों को सचेत करने के लिए अखबारों में एक-एक पेज के विज्ञापन देते हैं लेकिन बहनों से स्नेह जताने के लिए नहीं अपनी जेबें भरने के लिए।
बाबा तो बाबा साथ ही बहुराष्ट्रीय कंपनियां तक राखी के जरिये अपनी बिक्री बढाने का मौका हाथ से नहीं जाने देतीं। ये कंपनियां राजस्थान के घेवर और बूंदी के लड्डू बनाने वालों की दुश्मन हैं। ये रंग-बिरंगे विज्ञापन बनाकर कहती हैं कि राखी पर घेवर और लड्डू नहीं चॉकलेट के पैकेट उपहार में दीजिये। बहनों को ठगने के लिए सेल्समेन बनते हैं अभिनय के बादशाह और शहंशाह। बेचारी बहनें झांसे में आ जाती हैं और लड्डुओं के बदले चॉकलेट खरीद ले आती हैं। जिसमें न खुशबू होती है और न स्नेह। भारत की आधी आबादी बहनों की है, यानि आधा बाजार उनका है। देश में जब बडी संख्या में बहनें गायब होती हैं तब कोई मुख्यमंत्री भाई सामने नहीं आता। जब उन्हें मणिपुर में नंगा घुमाकर सामूहिक बलात्कार किया जाता है तब ये तमाम भाई भूमिगत हो जाते हैं। संसद का सामना नहीं करते, लेकिन जब आंधी गुजर जाती है तब इनका लाड-प्यार बरसात के बादलों की तरह उमडने लगता है।
बहनों को राखी बांधने से पहले भाई की कलाई भी देखना होगी। चेहरा, चाल और चरित्र भी देखना होगा। नीयत भी देखना होगी। देखना होगा कि भाई फर्जी तो नहीं है। बहुरूपिया या झूठा तो नहीं है। आज-कल चुनाव में हर दल के पास पुलिस के इतिहास पुरुष (हिस्ट्रीशीटर) तक नकली भाई बनकर राखियां बंधवाने के लिए उतारे जा चुके हैं, बहनें भाई से पाई-पाई का हिसाब मांगें। पूछें कि भाईजान अस्पताल, स्कूल बनवाने के बजाय लोक पर लोक बनाने पर क्यों आमादा हैं? मैं अपने शहर में देखता हूं कि बहनें बेहद भावुक होती हैं। झूठे-सच्चे अपराधों में जेलों में बंद अपने भाइयों को राखी बांधने के लिए वे कितना अपमान सहती हैं। कितना भ्रष्टाचार सहती हैं? ऐसी निश्छल बहनों को ठगना सियासी और व्यापारी भाइयों के लिए बहुत आसान होता है। वे उनका आसान शिकार बनती हैं। ज्योतिषी बहनों को भद्रा और अभद्र के जाल में उलझाते हैं, जबकि राखी बांधने के लिए हर समय शुभ होता है।