– राकेश अचल
गड्ढों में तब्दील हो गई है सडकें, छोटी-छोटी झील हो गई है सडकें
पैदल चलना दूभर है इन सडकों पर, चुभती हैं अब कील हो गई है सडकें
राजनीति से गठबंधन है सडकों का, एक अघोषित डील हो गई हैं सडकें
अतिविशिष्ट लोगों की आवाजाही से, कदम-कदम पर सील हो गई हैं सडकें
सरकारी दावा है, झूठ नहीं होगा, देखो! मीलों-मील हो गई है सडकें
रोज मौत के परवाने लिखने वाली, लगता है तहसील हो गई है सडकें
पढऩे वाले पढ़ सकते हैं अगर पढ़ें, हर दुख की तफ्सील हो गई है सडकें