रोजगार सहायक, सचिव एवं सरपंच अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर बैठे

भिण्ड, 29 मार्च। मप्र की लगभग 23800 ग्राम पंचायतों में कार्यरत सरपंच, सचिव एवं सहायक सचिव ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार की समस्त महत्वपूर्ण योजनाओं को सफल होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने हैं। यह अमला शासन की मंशा को गरीब मजूदर ग्रामीण व्यक्ति तक पहुंचाता है तथा मैदानी स्तर पर शासन की समस्त योजनाओं को सफलतम रूप देते हैं, किन्तु जब इनके अधिकारों की बा आती है तो तब यह कहीं ना कहीं अपने आप को असहज महसूस करते है। सरपंच, सचिव एवं सहायक सचिवों के प्रति सरकार के इस निराशाजनक रवैये के कारण आज आंदोलन का आश्रय लेना पड़ रहा है। एक सरपंच जो सिर्फ पांच वर्षों के लिए निश्चित समय के लिए जनता की सेवा करने के लिए चुना गया है, अधिकार नहीं मिलने के कारण ग्राम पंचायतों में अपनी मंशा अनुसार कार्य नहीं कर पाते हैं एवं जनता की कसौटी पर खरे नहीं उतर पाते है। साथ ही ग्राम पंचायतों में कार्यरत पंचायत सचिव, सहायक सचिव लम्बे समय से अपनी मांगे के निराकरण के लिए संघर्ष कर रहे हैं, सरकार के लगभग सभी विभागों/योजनाओं का कार्य यहीं अमला ग्राम पंचायतों में करता है, लेकिन जहां इनके हक और अधिकारों की बात आती है वहां सरकार ऊंट के मुंह में जीरा के समान इन अधिकार प्रदान करती है। सरकार के हठधर्मी रवैया के कारण आज पंचायत स्तर पर निर्वाचित जनप्रतिनिधि और उसके सहायोगी अमला सचिव, सहायक सचिव को आदोलन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। सरकार इस अमले की और समय रहते ध्यान दें अन्यथा की स्थिति में एक बड़ा आंदोलन होगा। जिसकी समस्त जिम्मेदारी सरकार की रहेगी।
बुधवार को मेंहगांव जनपद प्रांगण में धरने पर बैठे पंचायत सचिवों की हड़ताल का कांग्रेस नेता राहुल भदौरिया ने धरना स्थल पर पहुंचकर समर्थन दिया। इस दौरान सचिव संगठन के ब्लॉक अध्यक्ष बृजेश सिंह, सहायक सचिव संगठन के ब्लॉक अध्यक्ष गिरिराज सिंह सहित सभी पंचायत सचिव उपस्थित रहे।
सरंपच, सचिव एवं सहायक सचिव अपनी जिन मांगों को लेकर धरने पर बैठे हैं, उनमें सरपंच संगठन की मांग है कि मनरेगा में निर्माण कार्यों की जियोटेग व्यवस्था समाप्त की जाए। मरनेगा मजदूरी 400 रुपए प्रतिदिन की जाए, मनरेगा में मजदूरी भुगतान का अधिकारी पंचायत को हो। मनरेगा योजना अंतर्गत श्रमिकों की उपस्थिति हेतु एनएमएमएस व्यवस्था समाप्त की जाए। मनरेगा सामग्री भुगतान के साथ मजदूरी भुगतान की एफआईएफओ के आधार पर हो। 181 पर झूठी शिकायत पर शिकायतकर्ता पर एफआईआर दर्ज हों। वित्त आयोग की राशि का आवंटन जनसंख्या 2023 के आधार पर हो। किसी भी वित की राशि सीधे ग्राम पंचायत को दी जाए। सरपंचों के स्वविवेक निधि एक लाख रुपए प्रतिवर्ष दी जाए। सरपंच जनप्रतिनिधि को आजीवन दो हजार रुपए प्रति माह पेंशन दी जाए। भूमि से अतिक्रमण सीमांकन और अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई ग्राम पंचायत के निर्णय पर तत्काल की जाकर सुपूर्दगी पुलिस विभाग द्वारा दी जाए।
वहीं सचिव संगठन की मांग है कि पंचायत सचिवों के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में संविलियन किया जाए। छटवे वेतनमान के निर्धारण में सेवाकाल की गणना प्रथम नियुक्ति दिनांक से की जाए। अध्यापक संवर्ग को दिए गए सातवें वेतनमान से ही सचिवों के एरियर सहित दिया जाए। प्रदेश के 100 प्रतिशत अनुकंपा आश्रितों को टोस्टर आमेलन आदि शर्तों को विलोपित कर जिले में सवर्ग का पद रिक्त हो उस पर 100 प्रतिशत अनुकंपा सरलीकरण करते हुए नियुक्तियां प्रदान की जाएं। वहीं सहायक सचिव संगठन की मांग है कि समस्त पदस्थ सहायक सचिवों को राज्य शासन द्वारा सहायक सचिव घोषित किए जाने के आदेश के पालन में जिला संवर्ग संविलियन कर एक निश्चित वेतनमान पर नियमितिकरण किया जाए।