स्वाति उवाच : झूठ कि साँच?

– राकेश अचल


स्वाति मालीवाल को कल तक शायद दिल्ली वाले भी न जानते हों कि वे दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष हैं, लेकिन आज उन्हें पूरा देश जान रहा है, क्योंकि उन्होंने अपने दिवंगत पिता पर अपने बचपन में यौन शोषण का गंभीर आरोप लगाया है। स्वाति झूठ बोल रही है या सच, इस पर उनके पूर्व पति तक को यकीन नहीं ह। ऐसे में दुनिया स्वाति के खुलासे पर कैसे यकीन कर ले?
स्वाति का अर्थ ही विद्या की देवी सरस्वती होता है और सरस्वती जब जिव्हा पर विराजती है, तो कहते हैं कि मुंह से सुधा बरसती है विष नहीं। स्वाति मालीवाल ने अपने पिता पर आरोप इतने साल बाद क्यों लगाया, ये वे ही जानें, लेकिन उनके इस आरोप से वे सुर्खियों में हैं। क्या स्वाति ने सुर्खियां बटोरने के लिए ये बात उजागर की या फिर सचमुच वे ये कड़वा और घिनौना सच उजागर करने के लिए अब तक साहस नहीं जुटा पाई थीं?
आप जानते हैं कि दिल्ली इस समय मुश्किलों में है। दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री और पूर्व स्वाथ्य मंत्री जेल में हैं, ऐसे में दिल्ली का और देश का ध्यान बांटना कुछ और ही कहता है। स्वाति मालीवाल यदि यही बात अपने पिता के जीवित रहते कहती तो बात थी, तब उनके पिता इस आरोप पर अपना पक्ष रख सकते थे। कानून उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकता था। वे दोषी होते तो उन्हें सजा भी दी जा सकती थी, लेकिन अब तो स्वाति के आरोपों पर अपना पक्ष रखने के लिए कोई है ही नहीं। फिर इस तरह के रहस्योद्घाटन का मकसद क्या है?
हमारे देश में सुर्खियां बटोरने के लिए हथकण्डे अपनाने का शौक नया नहीं है। इससे पहले महिलाओं ने एक अभियान ‘मी टू’ चलाकर स्वाति की ही तरह सच बोलकर तमाम पुरुषों की ऐसे-तैसी कर दी थी। अपने साथ दुराचार को उजागर करने वाली महिलाओं को आधुनिक वीरांगना तक कहा गया था, किन्तु बाद में पुरुषों की चरित्र हत्या का ये अभियान अपनी मौत मर गया। स्वाति मालीवाल के आरोप भी कुछ ही दिनों में धुंए में उड़ते नजर आएंगे, क्योंकि ‘सूत न कपास’ वाला मामला है। जुलाहों में लठ्ठम-लठ्ठ चल ही नहीं सकते।
स्वाति के आरोप उन तमाम पिताओं की आत्माओं के लिए एक यातना है जो कथित तौर पर अपने व्यवहार में हिंसक रहे, लेकिन उन्होंने ये कल्पना कभी नहीं की होगी कि वे मरने के बाद किसी घ्रणित आरोप के भी शिकार होंगे। मुमकिन है कि स्वाति सौ फीसदी सच बोल रही हो या सौ फीसदी झूठ। उसके इस वक्तव्य का हासिल क्या है? इससे किसका लाभ और किसका नुक्सान होने वाला है? क्या स्वाति चाहती है कि उसकी तरह दूसरी लड़कियां इस तरह का सच समाज के सामने उजागर करें ताकि समाज का शुद्धिकरण हो सके?
हमारे देश में और श्रुतियों में घ्रणित यौनाचार के अनेक किस्से दर्ज हैं, इसलिए स्वाति का रहस्योद्घाटन कोई मायने नहीं रखता। हमारे यहां आखिर पुरुष में एक पशु की आत्मा भी निवास करती है। पशुता किसी के भी साथ क्रूर और हिंसक हो सकती है स्वाति के दिवंगत पिता की तरह। लेकिन सबका उद्धार करने के लिए राम का अवतरण नहीं होता। सबकी किस्मत में अहिल्या होना नहीं लिखा होता। सब स्वाति मालीवाल की तरह बोलने के लिए वक्त का इन्तजार नहीं करतीं।
स्वाति के आरोपों के बारे में उनके पूर्व पति नवीन जयहिन्द का पक्ष गौर करने लायक है। वे कहते हैं कि स्वाति ने उनसे कभी ये रहस्य साझा नहीं किया, इसलिए स्वाति को अपना मानसिक इलाज करने के साथ ही ‘लाइ डिटेक्टर’ मशीन पर भी बैठना चाहिए। नवीन का मानना है कि स्वाति का आरोप पिता-पुत्री के पवित्र रिश्ते को लांछित करता है। स्वाति के पिता सर्विसमैन थे। मुमकिन है कि वे अपने बच्चों के प्रति व्यवहार में हिंसक रहे हों, लेकिन वे अपनी हद से गुजरे होंगे इस पर आसानी से विश्वास नहीं किया जा सकता।
सवाल ये भी है कि क्या स्वाति मालीवाल महिला आयोग के अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठकर अपने पिता के हिंसक व्यवहार का बदला अपने जैसी पीडि़त महिलाओं को न्याय दिलाकर ले रही हैं या फिर वे सचमुच मनोविकार का शिकार हैं। महिलाओं का सगे-संबंधियों द्वारा यौन उत्पीडऩ एक कड़वी सच्चाई है। रोजाना इस तरह के असंख्य मामले पुलिस रोजनामचों में दर्ज किए जाते हैं। कुछ में आरोपियों को सजा भी होती है और अधिकांश मामलों में लोकलाज के फेर में आरोपियों को गवाही के अभाव में मुक्ति मिल जाती है। अब या तो सबके पास स्वाति मालीवाल जैसा नकली साहस नहीं होता या सब इस त्रासदी को झेलने में ही अपनी भलाई समझती हैं। सच केवल स्वाति मालीवाल ही बता सकती हैं क्योंकि उनके आरोप के बारे में कोई सबूत नहीं मांगा जा सकता। ये आपके ऊपर है कि आप स्वाति को सच्चा मानें या झूठा।
स्वाति के रहस्योद्घाटन से दिल्ली की हवाओं में फिलहाल गुनगुनाहट है। लोग मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को भूलकर स्वाति मालीवाल की चर्चा कर रहे हैं। सवाल ये है कि क्या स्वाति ने लोगों का ध्यान बांटने के लिए ही इस तरह की बात कही है या सचमुच उसे सच बोलने का मौका ही देर से मिला। जो भी हो स्वाति के प्रति सहानुभूति दिखाई जा सकती है। लेकिन स्वाति को भी चाहिए कि वो सच को सच प्रमाणित करे अन्यथा सरस्वती नाराज हो जाएगी। सरस्वती झूठ पसंद नहीं करती।
अपने पिता के प्रति आक्रामक हुई स्वाति दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष बनने से पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री की सलाहकार और उससे पहले अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की सदस्य थीं। स्वाति ने परिवर्तन नाम की संस्था भी बनाई और आम आदमी पार्टी के नेता नवीन जयहिंद से शादी भी की, लेकिन दो साल पहले ही उन्होंने अपने पति से तलाक ले लिया। तलाक के कारण क्या हैं ये स्वाति जानें, लेकिन देश जानता है कि स्वाति एक पढ़ी-लिखी और जिम्मेदार महिला हैं। मुझे याद आता है कि स्वाति ने कोई चार साल पहले अबोध बच्चियों से बलात्कार करने वालों के खिलाफ 10 दिन की भूख हड़ताल करते हुए प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर संयुक्त राष्ट्र के मानकों के हिसाब से पुलिस में भर्ती की मांग भी की थी। ये जानकारी मुमकिन है आपको स्वाति के बारे में धारणा बनाने में कोई मदद कर सके।