भगवान की सत्ता से ही सारी सृष्टि सत्य प्रतीत होती है : पाठक जी

भिण्ड, 02 फरवरी। श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास श्री अनिल पाठक महाराज ने गौकरण द्वारा धुंधकारी को कथा श्रवण कराना, गौकरन का मुक्त होकर स्वर्ग सिधारना, गंगाजी के तट पर भक्ति का अपने दोनों पुत्रों ज्ञान और वैराग्य, जो कलियुग के प्रभाव से वृद्ध हो चुके है उनके लिए रोना और श्रीमद् भागवत कथा श्रवण द्वारा उनका ठीक हो जाना आदि कथाओं का विस्तार से वर्णन किया।
व्यास जी ने सत्य के संबंध में कहा कि ‘सत्यं परं धीमहि’ अर्थात- हमें सदा सत्य वस्तु भगवान का ध्यान करना चाहिए और निरंतर सत्य का सुमिरन करना चाहिए। तीन गुणों से रची गई सारी सृष्टि मिथ्या है, असत्य है, भगवान की सत्ता से ही सारी सृष्टि सत्य प्रतीत होती है। इसलिए हमें हमेशा उन सत्य स्वरूप भगवान का ध्यान करना चाहिए और सत्य की प्रतिपादक श्रीमद् भागवत गीता का निरंतर श्रवण करना है। वर्तमान समय बहुत ही खराब चल रहा है, इस समय चक्र में जो फसा हुआ है वह अत्यधिक दुखों और कष्टों को भोगता है। इसलिए हमें निरंतर भगवान और भगवान की कथा से जुडऩा चाहिए, तभी हम जीवन में सुखी हो सकते हैं और अपने कल्याण को प्राप्त हो सकते हैं।