बौद्धिक संपदा अधिकार विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

भिण्ड, 20 नवम्बर। शहर के अग्रणी शा. एमजेएस महाविद्यालय की रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट सेल द्वारा रूसा और मप्र उच्च शिक्षा विभाग के सहयोग से एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार महाविद्यालय के नवनिर्मित भवन के कक्ष क्र.दो में आयोजित की गई। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में शा. स्वश्वासी स्नातकोत्त महाविद्यालय दतिया के प्राध्यापक रसायन विभाग डॉ. किशोर अरोरा और वर्चुअल लैब आईआईटी दिल्ली के टेक्निीकल कंसल्टेंट अक्षत अग्रवाल उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने सरस्वती प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन व महाविद्यालय की छात्राओं ने सुमधुर कंठ से सरस्वती वंदना से किया। तत्पश्चात महाविद्यालय के प्रार्चाय प्रो. मालवीय विमल ने कार्यक्रम की रूप रेखा सबके सामने रखी।
महाविद्यालय के प्रो. अभिषेक यादव ने भिण्ड अंचल के इतिहास की जानकारी देते हुए महाविद्यालय के अतीत और वर्तमान पर प्रकाश डाला साथ ही महाविद्यालय की वर्तमान छात्र संख्या, संचालित कक्षाओं, पुस्तकालय और ई-लायब्रेरी इत्यादि की भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की।


कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. किशोर अरोरा ने बौद्धिक संपदा अधिकार पर अपना गंभीर वक्तव्य देते हुए कहा कि संपत्तियां तीन प्रकार की होती हैं- चल, अचल और बौद्धिक संपत्ति। इसमें बौद्धिक मनुष्य के मस्तिष्क और हृदय का सृजानात्मक उत्पाद है। साहित्यक और कलात्मक कार्य यथा-पुस्तक, पेटिंग, संगीत, नाटक, फिल्में, रेडियो-टीव्ही प्रोग्राम इत्यादि सब कॉपीराइटस के अंतर्गत आते हैं। वस्तुएं और उत्पाद और वह संपदा जिनका उपयोग व्यावसायिक लाभ के लिए किया जाता है, वह सब इंडस्ट्रियल प्रॉपर्टी के अंतर्गत आते है। वहीं प्रतीक, लोगो, शब्द, ध्वनि, रंग, डिजाइन इत्यादि सब ट्रेड मार्क राइट्स के अंतर्गत आते हैं। इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी के लिए ‘कॉपी राईट्स’ होता है। इंडस्ट्रियल प्रॉपर्टी के लिए ‘पेटेंट्स राइट्सÓ होता है। यह सब भारत सरकार के पेटेंट अधिनियम 1970, 1999, 2005 कॉपी राइट्स अधिनियम 1957, 1982, 1984, 1992, 1994, 1996, 2000 तथा ट्रेड मार्क अधिनियम 1999, 1994, 1996, 2000 के अंतर्गत आते हैं। इसका रजिस्टर कार्यालय मुंबई में है।
कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो. अक्षत अग्रवाल ने बौद्धिक संपदा अधिकार जागरुकता पर अपना विशिष्टि उद्बोधन दिया। जिसमें उन्होंने छात्रों और प्राध्यापकों से अपनी बौद्धिक संपत्ति के दुरुपयोग और चोरी चले जाने से बचने के लिए कॉपी राइट्स अधिकार के सजगता से प्रयोग पर विषेष व्याख्यान दिया। अंत में सेमीनार की ब्रीफिंग प्रो. सोमवीर ने की। संगोष्ठी का संपूर्ण संचालन प्रो. ऋचा सक्सेना एवं अतिथियों, प्राध्यापकों और छात्रों का अभार प्रदर्शन डॉ. आशीष गुप्ता ने किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के समस्त विभाग अध्यक्ष, प्राध्यापक, छात्र और समस्त कर्मचारियों की गरिमामयी उपस्थिति रही।
फोटो 20 बीएचडी-05, 06