मध्यस्थता समय की जरूरत, राजीनामा से करें विवादों का अंत

भिण्ड, 10 सितम्बर। प्रधान न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला न्यायालय भिण्ड के आदेशानुसार तथा जिला न्यायाधीश एवं सचिव जिविसेप्रा भिण्ड सुनील दण्डौतिया के मार्गदर्शन में ग्राम डिड़ी खुर्द में विधिक साक्षरता एवं जागरुकता शिविर आयोजित किया गया।
शिविर में जिला विधिक सहायता अधिकारी जिविसेप्रा भिण्ड सौरभ कुमार दुबे ने ग्रामीणों को मध्यस्थता योजना, लोक अदालत, जनउपयोगी लोक अदालत, विधिक सहायता योजना तथा नालसा गरीबी उन्मूलन के लिए विधिक सेवाएं योजना 2015 के आलोक में जानकारी देकर जागरुक किया। इस अवसर पर ग्रामीणों को संबोधित करते हुए उन्होंने मध्यस्थता समय की जरूरत विषय पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वर्तमान समय में भारत के अधीनस्थ न्यायालयों में कुल लगभग 4.7 मामले लंबित हैं, जिसके कारण किसी मामले के निराकरण में औसतन लगभग पांच-दस वर्ष का समय लगता है, फलस्वरूप लोगों को न्याय मिलने में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है, जिससे उन्हें समय, पैसा एवं परिश्रम आदि का भार सहन करना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए मध्यस्थता एवं लोक अदालत प्रणाली द्वारा राजीनामा योग्य प्रकरणों के निराकरण हेतु भारत की संसद द्वारा लीगल सर्विसेस ऑथोरिटी एक्ट 1987 को पारित किया गया है। जिसके अंतर्गत जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रशिक्षित मध्यस्थतों द्वारा राजीनामा योग्य प्रकरणों का निराकरण किया जाता है। इसलिए आप अपने प्रकरण जिसमें राजीनामा हो सकता है, उसे प्री-लिटीगेशन स्तर पर ही मध्यस्थता एवं लोक अदालत के माध्यम से निराकरण कराएं। जिससे आप अपने समय, धन एवं परिश्रम की बचत कर सकते हैं। इस अवसर पर ग्राम पंचायत डिड़ीखुद की सरपंच श्रीमती अनीता यादव, पीएलव्ही कृष्ण सिंह एवं सुमित यादव उपस्थित रहे।