बिना डिग्री के इलाज कर रहे डॉ. अंशुल मेहरा पर लगा जुर्माना

बच्ची की मौत पर पिता ने लड़ी लंबी कानूनी लड़ाई

ग्वालियर, 10 अगस्त। शहर के थाटीपुर चौहान प्याऊ निवासी मनोज उपाध्याय एडवोकेट की तीन वर्षीय बेटी गार्गी को 25 जनवरी 2013 को मेहरा बाल चिकित्सालय अनुपम नगर में डॉ. डीडी शर्मा द्वारा रेफर किया गया था। गार्गी को निमोनिया की शिकायत थी। मेहरा बाल चिकित्सालय में डॉक्टर आरके मेहरा अस्पताल के संचालक थे एवं डॉ. अंशुल मेहरा बच्चों के डॉक्टर की हैसियत से पदस्थ थे। बच्ची का इलाज भी एमडी पीडियाट्रिशियन यूएसए बताते हुए किया था। गार्गी को निमोनिया होते हुए भी मेहरा हॉस्पिटल में एक घण्टे के भीतर 500 एमएल नॉर्मल सलाइन की बोतल चढ़ा दी गई और स्वास्थ्य बिगडऩे पर भी आईवी फ्लूड दिया जाता रहा। इससे बेबी गार्गी के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ा। डॉ. अंशुल मेहरा ने भर्ती के तीन घण्टे बाद वेंटीलेटर की आवश्यकता बताते हुए मैस्कॉट हॉस्पिटल रेफर कर दिया था।

बिना डिग्री के एमडी पीडियाट्रिशियन कर रहे थे इलाज

गार्गी के पिता एडवोकेट मनोज उपाध्याय द्वारा मप्र मेडिकल काउंसिल में मैस्कॉट के डॉ. अंशुल मेहरा की एमडी पीडियाट्रिशियन की डिग्री पर सवाल करते हुए शिकायत की गई थी। इस पर डॉ. अंशुल मेहरा ने मप्र मेडिकल काउंसिल भोपाल के समक्ष माफी मांगी थी।
डॉक्टरों ने बच्ची के पिता को परेशान करने ग्वालियर उपभोक्ता फोरम से प्रकरण शिवपुरी जिला आयोग के समक्ष ट्रांसफर कराया था। शिवपुरी जिला आयोग से भी न्याय न मिलने की शिकायत करते हुए उच्च न्यायालय ग्वालियर से शिकायत प्रकरण इंदौर ट्रांसफर कराया गया था। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग क्र.एक इंदौर के अध्यक्ष सत्येन्द्र जोशी, सदस्य कुदन सिंह चौहान एवं साधना शर्मा द्वारा प्रकरण में अंतिम तर्क सुने गए। आठ अगस्त 2022 को परिवादी मनोज उपाध्याय की शिकायत को आंशिक रूप से सही पाते हुए डॉ. अंशुल मेहरा एवं मेहरा बाल चिकित्सालय पर पांच लाख क्षतिपूर्ति व 20 हजार रुपए प्रकरण व्यय और मैस्कॉर्ट हॉस्पिटल के मालिक आलोक अग्रवाल, डॉ. सीमा शिवहरे अस्पताल अधीक्षक एवं डॉ. मनोज बंसल पीडियाट्रिशियन के खिलाफ पांच लाख रुपए क्षतिपूर्ति व 20 हजार रुपए शिकायत व्यय का आदेश दिया है।